"राधेश्याम कथावाचक": अवतरणों में अंतर

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'''राधेश्याम कथावाचक''' (1890 - 1963)<ref>वर्मा श्याम बहादुर, ''बृहत सूक्ति कोश भाग-2'' [[प्रभात प्रकाशन]] 2009
ISBN 8173151695, पृष्ठ: 539, अभिगमन तिथि: 27 दिसम्बर 2013
</ref> [[पारसी रंगमंच]] शैली के हिन्दी नाटककारों में एक प्रमुख नाम है। उनका जन्म 25 नवम्बर, [[1890]] को [[उत्तर-प्रदेश]] राज्य के [[बरेली]] शहर में हुआ था। अल्फ्रेड कम्पनी से जुड़कर उन्होंने वीर अभिमन्यु, भक्त प्रहलाद, श्रीकृष्णावतार आदि अनेक नाटक लिखे। परन्तु सामान्य जनता में उनकी ख्याति राम कथा की एक विशिष्ट शैली के कारण फैली। लोक नाट्य शैली को आधार बनाकर [[खड़ी बोली]] में उन्होंने [[रामायण]] की कथा को 25 खण्डों में पद्यबद्ध किया। इस ग्रन्थ को [[राधेश्याम रामायण]] के रूप में जाना जाता है। आगे चलकर उनकी यह रामायण उत्तरप्रदेश में होने वाली [[राम लीला|रामलीलाओं]] का आधार ग्रन्थ बनी। 26 अगस्त, [[1963]] को 73 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।<ref name="दैनिक ट्रिब्यून">
[http://dainiktribuneonline.com/2012/11/%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%95-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE/ शीर्ष कथावाचक और रंगकर्मी पंडित राधेश्याम] 24 नवम्बर 2012 [[दैनिक ट्रिब्यून]], अभिगमन तिथि: 27 दिसम्बर 2013</ref>
== संक्षिप्त परिचय ==