"स्त्री जननांग": अवतरणों में अंतर

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=== [[डिम्बवाहिनियां]] ===
[[डिम्बवाहिनियां]] या [[गर्भनली]] [[गर्भाशय]] के ऊपरी भाग के दोनों ओर से निकलती है तथा दोनों तरफ कूल्हे की हडिड्यों तक जाती है। इनकी लम्बाई लगभग 10 सेमी और मोटाई लगभग आधा सेमी तक लम्बी होती है। दोनों ओर इसका आकार एक कीप की तरह का होता है। इस कीप का अंतिम छोर लम्बी-लम्बी अंगुलियों की तरफ होता है जिसको तंत्रिकाएं कहते है। इनका प्रमुख कार्य डिम्बग्रंथियों से निकले अंडे को घेरकर उसे वाहिनियों मे भेजना होता है। यह नलियां मांसपेशियों से बनी, तथा इनके अंदर की दीवार एक झिल्ली की बनी होती है जिसको म्यूकस झिल्ली कहते है।
डिम्बग्रंथियों से पकड़े अंडे, वाहिनियों के आगे के भाग में जाकर रूकते है। जहां ये पुरूष के शुक्राणु के साथ मिलकर एक नये जीवन का निर्माण होता है। स्त्री जनन अंग में इस संरचना को जाइगोट कहते है। जाइगोट के चारों तरफ एक खास परत उत्पन्न होती है।
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== [[मासिक स्राव]] ==
स्त्री को जिस दिन से माहवारी आना प्रारम्भ होता है। उस दिन से वे इसकी गिनती का कार्य दूसरे लोगों पर छोड़ देते है। स्त्रियों में माहवारी पारिवारिक वातावरण, देश, मौसम आदि पर निर्भर करती है। हमारे देश में लड़कियों में माहवारी 10 वर्ष से 12 वर्ष की तुलना की उम्र में ही आ जाती है। तथा ठंडे देशों में यह माहवारी 13 या 14 साल की उम्र में आती है।
 
स्त्रियों मे अंडेदानी में 7-8 वर्ष की उम्र से ही उत्तेजित द्रव ‘हार्मोन्स’ निकलता प्रारम्भ हो जाते है। इस हार्मोन्स को इस्ट्रोजन हार्मोन्स कहते है। इस हार्मोन्स के निकलने के कारण स्त्रियों के स्तनों के आकार बढ़ने लगते है। तथा धीरे-धीरे इनका विकास होता रहता है। 18 वर्ष की आयु तक लड़कियों का शरीर पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। इसके बाद स्त्रियों के शरीर में चर्बी का जमाव, शरीर का गठीला होना, बालों का विकसित होना, गर्भाशय में बच्चेदानी का पनपना और बढ़ना, जननांगों का विकास, नलियों का बढ़ना तथा प्रत्येक महीने के बाद माहवारी का आना प्रमुख पहचान बन जाती है। स्त्रियों में प्रारम्भ में माहवारी अनियमित रहती है। माहवारी के नियमित होने में कई महीने का समय लग सकता है। परन्तु माहवारी के नियमित रूप से होने के लिए किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। धीरे-धीरे स्त्रियों में माहवारी स्वतः ही नियमित रूप से होने लगती है।
 
== हडिड्यों की बनावट ==
महिलाओं के शरीर की हडिड्यों की रचना प्रकृति ने विशेष रूप से की है जिससे महिलाएं बच्चे का आसानीपूर्वक जन्म दे सकती है।
स्त्रियों के कूल्हे की हड्डी पुरूष के कूल्हे की हड्डी की तुलना में अधिक स्थान रखती है। स्त्रियों की कूल्हे की हडिड्यों का आकार सेब की तरह का तथा पुरूषों के कूल्हे हडिड्यां दिल के आकार की होती है। कूल्हे की हडिड्यां मुख्य रूप से तीन प्रकार की हडिड्यों से बना होता है।पीछेहै। पीछे की तरफ की हड्डी को सेक्रम, दोनों तरफ की हडिड्यों को ईलियास तथा सामने की ओर हड्डी को प्युबिस कहते है। सेक्रम के नीचे पूंछ के आकार की नुकीली हड्डी होती है जिसको कोसिक्स कहते है। कूल्हे की हडिड्यों का प्रमुख कार्य कूल्हे की मांसपेशियों, अंगों तथा बच्चे को जन्म के लिए पर्याप्त जगह देना होता है। जब स्त्रियां प्रसव के समय बच्चे को जन्म देती है। उस समय अधिक स्थान देने के लिए प्रत्येक जोड़ कुछ खुलता और ढीला होता है ताकि स्त्रियों बच्चे को आसानी से जन्म दे सके।
 
बच्चे के जन्म का रास्ता पीछे की ओर चौड़ा तथा आगे की ओर छोटा होता है। प्रसव होने के समय बच्चा कूल्हे की हडिड्यों में पहले सीधा नीचे की ओर आता है। फिर 90 अंश के कोण पर घूमने के बाद बच्चे का जन्म होता है।
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== कूल्हे के नीचे का भाग ==
कूल्हे के नीचे का हिस्सा मांसपेशियों और तंतुओं से मिलकर बना होता है। कूल्हे का निचला भाग सैक्रम हड्डी से प्यूबिक सिम्फाईसिस तक होता है। इसमें मल द्वारा, मूत्र द्वार व जनन द्वार जाकर खुलते है। यह पेट के सभी अंगों को नियंत्रण में रखता है तथा खांसी और छींक आने पर मांसपेशियां पेट के अंगों को नीचे की ओर आने से रोकती है। महिलाओं में कब्ज होने के समय मलद्वार को यहीं मांसपेशियां रोकती है। इन मांसपेशियों को लिवेटर एनाई कहते है। महिलाओं के योनि की मांसपेशियां बच्चे के समय एक विशेष प्रकार का रूप धारण कर लेती है। मांसपेशियों की तंतुएं एक-दूसरे से मिलकर एक सरल रास्ता बनाती है जिससे जन्म के समय बच्चे को अधिक स्थान सरलतापूर्वक मिल जाता है।
 
बच्चे के जन्म के समय बच्चे के सिर की हडिड्यों की विशेष भूमिका होती है। सिर की हडिड्यां के बीच में थोड़ा सा स्थान होता है। बच्चे के जन्म के समय सिर की हडिड्यां एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाती है जिससे बच्चे का जन्म सरलता और आसानी से हो जाता है।बच्चेहै। बच्चे के जन्म का रास्ता लगभग 10 सेंटीमीटर चौड़ा होता है जबकि बच्चे का सिर मात्र 9.5 सेंटीमीटर का होता है। इस कारण प्रसव आसानी से हो जाता है। यदि बच्चे के सिर और बच्चे का आकार अधिक हो या कूल्हे का आकार छोटा हो तो ऐसी अवस्था में बच्चे के जन्म के लिए आपरेशन करना पड़ सकता किसी बी व्व्य्क्की को अपने अनुसार नही होता है
 
== [[मूलाधार]] ==
महिलाओं के दोनों टांगों के बीच के त्रिकोण भाग को मूलाधार या पैरानियम भी कहते है। पैरानियम बाडी मलद्वार के आगे तथा जननद्वार के पीछे होती है। इसमें कूल्हे के निचले भग की सभी मांसपेशियां आपस में मिलती है। यह प्रत्येक व्यक्तियों में अलग-अलग होती है। किसी में यह कमजोर और किसी में यह अधिक शक्तिशाली होती है।इसहै। इस प्रकार से पैरानियम जननद्वार के पीछे तथा नीचे की दीवार को सहारा दिये रहती है। संभोग क्रिया के समय पैरानियम जननद्वार को पीछे की ओर से साधे रहती है। बढ़ती आयु के साथ-साथ यह कमजोर हो जाती है। कूल्हे के चरों ओर की मांसपेशियों के यहां एकत्र होने के कारण यहां का रोग या पस चारों ओर फैल सकता है। बच्चे के जन्म के पहले जननद्वार को यहीं से काटकर चौड़ा बनाया जाता है। ताकि बच्चे के जन्म के समय अधिक से अधिक स्थान प्राप्त हो सके तथा बच्चे के जन्म के लिए अधिक चीड़-फाड़ न करना पड़े। प्रसव के बाद टांके इन्हीं मांसपेशियों में लगाये जाते है जिसको ऐपिजियोटोमी कहते है।