"लिब्रहान आयोग": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:babri rearview.jpg|285px|right|thumb|१९९२ में ढहाये जाने से पहले की बाबरी मस्जिद की एक तस्वीर]]'''लिब्रहान आयोग''', [[भारत सरकार]] द्वारा [[१९९२]] में [[अयोध्या]] में विवादित ढांचे [[बाबरी मस्जिद]] के विध्वंस की जांच पड़ताल के लिए गठित एक जांच आयोग है, जिसका कार्यकाल लगभग १७ वर्ष लंबा है। भारतीय गृह मंत्रालय के एक आदेश से [[१६ दिसंबर]] [[१९९२]] को इस आयोग का गठन हुया था। इसका अध्यक्ष [[भारत का सर्वोच्च न्यायालय|भारतीय सर्वोच्च न्यायालय]] के सेवानिवृत्त न्यायाधीश [[मनमोहन सिंह लिब्रहान]] को बनाया गया था, जिन्हें ६ दिसम्बर १९९२ को अयोध्या में ढहाये गये बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे और उसके बाद फैले दंगों की जांच का काम सौंपा गया था। आयोग को अपनी रिपोर्ट तीन महीने के भीतर पेश करनी थी, लेकिन इसका कार्यकाल अड़तालीस बार बढ़ाया गया और १७ वर्ष के लंबे अंतराल के बाद अंततः आयोग ने ३० जून २००९ को अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री [[मनमोहन सिंह]] को सौंप दी।<ref>{{cite news|url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/8125927.stm|title=Ayodhya attack report submitted|publisher=BBC News|accessdate=30 Juneजून 2008}}</ref> नवम्बर २००९, में रिपोर्ट के कुछ हिस्से समाचार मीडिया के हाथ लग गये, जिसके चलते [[भारतीय संसद]] में बड़ा हंगामा हुआ।
 
== आयोग के विचारार्थ विषय ==
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# ६ दिसम्बर १९९२ को अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद के विवादित परिसर में घटीं प्रमुख घटनाओं का अनुक्रम और इससे संबंधित सभी तथ्य और परिस्थितियां जिनके चलते राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे का विध्वंस हुआ।
# राम जन्म भूमि -बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे के विध्वंस के संबंध में मुख्यमंत्री, मंत्री परिषद के सदस्यों, उत्तर प्रदेश की सरकार के अधिकारियों और गैर सरकारी व्यक्तियों, संबंधित संगठनों और एजेंसियों द्वारा निभाई गई भूमिका।
# निर्धारित किये गये या उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा व्यवहार में लाये जाने वाले सुरक्षा उपायों और अन्य सुरक्षा व्यवस्थाओं में कमियां जो ६ दिसंबरदिसम्बर १९९२ को राम जन्म भूमि - बाबरी मस्जिद परिसर, अयोध्या शहर और फैजाबाद मे हुई घटनाओं का कारण बनीं
# ६ दिसम्बर १९९२ को घटीं प्रमुख घटनाओं का अनुक्रम और इससे संबंधित सभी तथ्य और परिस्थितियां जिनके चलते अयोध्या में मीडिया कर्मियों पर हमला हुआ। इसके अतिरिक्त,
# जांच के विषय से संबंधित कोई भी अन्य मामला।
 
== कार्यकाल और खर्चा ==
देश के सबसे लंबे समय तक चलने वाले जांच आयोगों में से एक इस एक व्यक्ति के पैनल के आयोग पर सरकार को कुल रु.8 करोड़ खर्च करना पड़ा, ने ६ दिसंबरदिसम्बर १९९२ को एक हिंदू उन्मादी भीड़ द्वारा ढहाये गये बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे से संबंधित प्रमुख घटनाओं पर एक जांच रिपोर्ट लिखी। सूत्रों ने [[इंडो-एशियन न्यूज़ सर्विस]] को बताया कि, अलावा इसके कि किसने इस 16 वीं सदी की मस्जिद को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, आयोग यह भी जानने की कोशिश करेगा कि इस विवादित ढांचे का विध्वंस क्यों और कैसे हुआ? और इसके लिए जिम्मेदार संगठन और लोग कौन हैं?
 
पूर्व प्रधानमंत्री [[पी वी नरसिंह राव]] द्वारा आयोग की नियुक्ति विध्वंस के दो सप्ताह बाद 16 दिसम्बर 1992 को इस आलोचना को टालने के लिए की गयी कि उनकी सरकार बाबरी मस्जिद की रक्षा करने में विफल रही थी। अगस्त 2005 में आयोग ने अपने आखिरी गवाह [[कल्याण सिंह]] की सुनवाई खत्म की जो उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और विध्वंस के ठीक बाद उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था।