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|population_total_cite =<ref>{{cite web |url=http://www.upgov.nic.in/upinfo/census01/cen01-1.htm |title=रैंकिंग ऑफ डिस्ट्रिक्ट्स बाए पॉपुलेशन इन १९९१ एण्ड २००१|publisher=उत्तर प्रदेश सरकार|accessdate=२ अप्रैल
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|population_density_cite =<ref>{{cite web |url=http://www.upgov.nic.in/upinfo/census01/cen01-3.htm |title=जिलों का जनसंख्या घनत्व अनुसार क्रमवार |publisher=उत्तर प्रदेश सरकार |accessdate=२ अप्रैल
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}}
'''वाराणसी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vārāṇasī'', {{IPA-hns|ʋaːˈɾaːɳəsiː|-|hi-Varanasi.ogg}}) [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य का प्रसिद्ध शहर है। इसे 'बनारस' और '[[काशी]]' भी कहते हैं। इसे [[हिन्दू धर्म]] में सर्वाधिक पवित्र शहर माना जाता है और इसे '''अविमुक्त क्षेत्र''' कहा जाता है। {{Ref_label|अविमुक्तं |च|none}}{{Ref_label|अविमुक्तं२ |छ|none}}<ref>[[महाभारत]], [[वन पर्व]]., ८४/१८</ref><ref>([[महाभारत]], [[वन पर्व]]., ८२/७७)</ref><ref>संदर्भ:[http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/kv_0012.htm काशी तथा वाराणसी का तीर्थ स्वरुप]। वाराणसी वैभव</ref><ref>[http://dharmadesh.mywebdunia.com/2009/10/29/1256835420001.html काशी- मुक्ति की जन्मभूमि]। माई वेब दुनिया। २९
[[काशी नरेश]] (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं।<ref name = Goodearth>{{cite book
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| isbn = 9788187780045
| page = २१६
}}</ref> वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर [[उत्तर भारत]] का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। [[हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत]] का [[बनारस घराना]] वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें [[कबीर]], [[वल्लभाचार्य]], [[रविदास]], स्वामी [[रामानंद]], [[त्रैलंग स्वामी]], [[शिवानन्द गोस्वामी]], [[मुंशी प्रेमचंद]], [[जयशंकर प्रसाद]], [[आचार्य रामचंद्र शुक्ल]], पंडित [[रवि शंकर]], [[गिरिजा देवी]], पंडित [[हरि प्रसाद चौरसिया]] एवं [[उस्ताद बिस्मिल्लाह खां]] आदि कुछ हैं। [[गोस्वामी तुलसीदास]] ने [[हिन्दू धर्म]] का परम-पूज्य [[ग्रंथ]] [[रामचरितमानस]] यहीं लिखा था और [[गौतम बुद्ध]] ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही [[सारनाथ]] में दिया था।<ref>{{cite web | url=http://varanasi.nic.in/tourist/tourist7.html | title=वाराणसी के जिले - सारनाथ| publisher=राष्ट्रीय सूचना केन्द्र - वाराणसी| accessdate=५ जनवरी
वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]], [[महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ]], [[सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़]] और [[संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय]]। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] बोलते हैं, जो [[हिन्दी]] की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://www.bhu.ac.in/varanasi.htm |title=वाराणसी: द इटर्नल सिटी|publisher=[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] |accessdate=२ अप्रैल
प्रसिद्ध अमरीकी लेखक [[मार्क ट्वेन]] लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"<ref>{{cite book |last=ट्वेन|first=मार्क| authorlink = मार्क ट्वैन|title=फ़ॉलोइंग द इक्वेटर: ए जर्नी अराउण्ड द वर्ल्ड |url=http://www.literaturecollection.com/a/twain/following-equator/ |accessdate=२ जुलाई
== नाम का अर्थ ==
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|isbn=
| oclc =
}}</ref> इसके समर्थन में शायद कुछ आरंभिक पाठ उपलब्ध हों, किन्तु इस दूसरे विचार को इतिहासवेत्ता सही नहीं मानते हैं।<ref name="नामकरण">{{cite web |url=http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/kv_0002.htm |title=वाराणसी वैभव या काशी वैभव - काशी की राजधानी वाराणसी का नामकरण |publisher=सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, [[भारत सरकार]] |date=२००३|accessdate=२ अप्रैल
तीनों लोकों से समाहित एक शहर है, जिसमें स्थित मेरा निवास प्रासाद है काशी<ref name=leaflet2>{{cite press release | title =वाराणसी - एक्स्प्लोर इण्डिया मिलेनियम ईयर|publisher=पर्यटन विभाग, भारत सरकार|date=मार्च, २००७|url=|accessdate=३ मई
</blockquote>
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== इतिहास ==
{{मुख्य|वाराणसी का इतिहास}}
पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना [[हिन्दू]] [[भगवान]] [[शिव]] ने लगभग ५००० वर्ष पूर्व की थी,<ref name="bsfw"/> जिस कारण ये आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। ये हिन्दुओं की पवित्र [[सप्तपुरी|सप्तपुरियों]] में से एक है। [[स्कन्द पुराण]], [[रामायण]], [[महाभारत]] एवं प्राचीनतम वेद [[ऋग्वेद]] सहित कई हिन्दू ग्रन्थों में इस नगर का उल्लेख आता है। सामान्यतया वाराणसी शहर को लगभग ३००० वर्ष प्राचीन माना जाता है।<ref>{{cite news |url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/4784056.stm |title=द रिलीजियस कैपिटल ऑफ हिन्दुइज़्म |first=देबबानी| second = मजूमदार|publisher=[[बीबीसी]] |date= ७ मार्च
{{-}}
=== विभूतियाँ ===
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| chapter
| doi =
| id = }}</ref> कृत्यकल्पतरु में दिये तीर्थ-विवेचन व अन्य प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार<ref name="दीनदयाल">[http://kashivishvanath.blogspot.com/2009/08/blog-post_27.html वाराणसी वैभव या काशी वैभव] काशीविश्वनाथ। दीनदयाल मणि। २७ अगस्त
* [[ब्रह्म पुराण]] में भगवान [[शिव]] [[पार्वती]] से कहते हैं कि- हे सुरवल्लभे, वरणा और असि इन दोनों नदियों के बीच में ही वाराणसी क्षेत्र है, उसके बाहर किसी को नहीं बसना चाहिए।
* [[मत्स्य पुराण]]<ref>[[म्त्स्य पुराण]], की मुद्रित प्रति (१८४/५१)</ref> में इसकी लम्बाई-चौड़ाई अधिक स्पष्ट रुप से वर्णित है। [[पूर्व]]-[[पश्चिम]] ढ़ाई (२½) [[योजन]] भीष्मचंडी से पर्वतेश्वर तक, उत्तर-दक्षिण आधा (<sup>1</sup>/<sub>2</sub>) योजन, शेष भाग वरुणा और अस्सी के बीच। उसके बीच में मध्यमेश्वर नामक [[स्वयंभू]] लिंग है। यहां से भी एक-एक कोस चारों ओर क्षेत्र का विस्तार है। यही वाराणसी की वास्तविक सीमा है। उसके बाहर विहार नहीं करना चाहिए।<ref name="दीनदयाल"/>
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=== भूगोल ===
[[चित्र:Early morning view of Varanasi city from opposite bank.jpg|thumb|right|250px|वाराणसी का [[गंगा नदी]] और इसके तट पर बसे असंख्य मंदिरों से अटूट संबंध है।]]
वाराणसी शहर [[उत्तरी भारत]] की मध्य गंगा घाटी में, भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] के पूर्वी छोर पर [[गंगा नदी]] के बायीं ओर के वक्राकार तट पर स्थित है। यहां [[वाराणसी जिला|वाराणसी जिले]] का मुख्यालय भी स्थित है। वाराणसी शहरी क्षेत्र — सात शहरी उप-इकाइयों का समूह है और ये ११२.२६ वर्ग कि.मी. (लगभग ४३ वर्ग मील) के क्षेत्र फैला हुआ है।<ref name=heritageUNESCO>{{cite web |url=http://www.sasnet.lu.se/EASASpapers/46RanaSingh.pdf |title=वाराणसी ऐज़ ए हेरिटेज सिटी (इंडिया) ऑन द स्केल द युनेस्को वर्ल्ड हैरिटेज लिस्ट: फ़्रॉम कॉन्टेस्टेशन टू कन्वर्सेशन|accessdate=१८ अगस्त
खास वाराणसी शहर गंगा और वरुणा नदियों के बीच एक ऊंचे पठार पर बसा है। नगर की औसत [[समुद्र तट से ऊंचाई|ऊंचाई समुद्र तट से]] ८०.७१ मी. है।<ref name=varanasiairtrip>{{cite web |url=http://www.atrip4india.com/india-cities/varanasi.htm |title=वाराणसी|accessdate=१८ अगस्त
=== नदियाँ ===
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=== जलवायु ===
<!-- {{जलवायु सारणी वाराणसी}} -->
वाराणसी में [[आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु]] ([[:en: Köppen climate classification|कोप्पन जलवायु वर्गीकरण]] ''Cwa'' के अनुसार) है जिसके संग यहां [[ग्रीष्म ऋतु]] और [[शीत ऋतु]] ऋतुओं के तापमान में बड़े अंतर हैं। ग्रीष्म काल [[अप्रैल]] के आरंभ से [[अक्तूबर]] तक लंबे होते हैं, जिस बीच में ही [[वर्षा ऋतु]] में [[मानसून]] की वर्षाएं भी होती हैं। [[हिमालय]] क्षेत्र से आने वाली शीत लहर से यहां का तापमान [[दिसंबर]] से [[फरवरी]] के बीच [[शीतकाल]] में गिर जाता है। यहां का तापमान ३२[[सेल्सियस|° से.]]{{ndash}} ४६°C (९०[[फैरनहाइट|° फै.]]{{ndash}} ११५°फै.) ग्रीष्म काल में, एवं ५°से.{{ndash}} १५°से. (४१°फै.{{ndash}} ५९°फै.) शीतकाल में रहता है।<ref name=varanasiairtrip/> औसत वार्षिक वर्षा १११० मि.मी. (४४ इंच) तक होती है।<ref name=delhitourism>{{cite web |url=http://www.delhitourism.com/varanasi-tourism/ |title=वाराणसी पर्यटन|accessdate=१८ अगस्त
यहां निरंतर बढ़ते [[जल प्रदूषण]] और निर्माण हुए बांधों के कारण स्थानीय तापमान में वृद्धि दर्ज हुई है। गंगा का जलस्तर पुराने समय से अच्छा खासा गिर गया है और इस कारण नदी के बीच कुछ छोटे द्वीप भी प्रकट हो गये हैं। इस प्राचीन शहर में पानी का जलस्तर इतना गिर गया है कि इंडिया मार्क-२ जैसे हैंडपंप भी कई बार चलाने के बाद भी पानी की एक बूंद भी नहीं निकाल पाते। वाराणसी में गंगा का जलस्तर कम होना भी एक बड़ी समस्या है। गंगा के जल में प्रदूषण होना सभी के लिए चिंता का विषय था, लेकिन अब इसका प्रवाह भी कम होता जा रहा है, जिसके कारण [[उत्तराखंड]] से लेकर [[बंगाल की खाड़ी]] तक चिंता जतायी जा रही है।<ref>[http://samaylive.com/regional-hindi/up-hindi/80149.html वाराणसी के घटते जल स्तर पर चिंता]। समय लाईव। २९ अप्रैल
{{-}}
{{Infobox weather
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|Year_Precip_mm = 1025.4
|source =<ref name="imd">{{cite web
| url = http://www.imd.gov.in/section/climate/varanasi2.htm | title = वाराणसी | accessdate = २५ मार्च
| publisher = | language = }}</ref>
|accessdate = ३५ मार्च
}}
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<!-- [[चित्र:DLW varanasi building.jpg|thumb|right|[[डीजल रेल इंजन कारखाना ]], वाराणसी की इमारत]] -->
[[भारतीय रेल]] का डीजल इंजन निर्माण हेतु [[डीजल रेल इंजन कारखाना]] भी वाराणसी में स्थित है। वाराणसी और कानपुर का प्रथम भारतीय व्यापार घराना निहालचंद किशोरीलाल १८५७ में देश के चौथे ऑक्सीजन संयंत्र की स्थापना से आरंभ हुआ था। इसका नाम इण्डियन एयर गैसेज़ लि. था। [[लॉर्ड मकॉले]] के अनुसार, वाराणसी वह नगर था, जिसमें समृद्धि, धन-संपदा, जनसंख्या, गरिमा एवं पवित्रता एशिया में सर्वोच्च शिखर पर थी। यहां के व्यापारिक महत्त्व की उपमा में उसने कहा था: " बनारस की खड्डियों से महीनतम रेशम निकलता है, जो सेंट जेम्स और वर्सेल्स के मंडपों की शोभा बढ़ाता है"।<ref name=leaflet2/><ref>{{cite web |title=वाराणसी|url=http://www.freeindia.org/dynamic/modules.php?name=Content&pa=showpage&pid=165&page=2 |accessdate=७ मार्च
<center><gallery perrow=5>
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== प्रशासन एवं राजनीति ==
वाराणसी के प्रशासन में कई संस्थाएं संलग्न हैं, जिनमें से प्रमुख है [[वाराणसी नगर निगम]] एवं [[वाराणसी विकास प्राधिकरण]] जो वाराणसी शहर की मास्टर योजना के लिये उत्तरदायी है। यहां की जलापूर्ति एवं मल-निकास व्यवस्था नगर निगम के अधीनस्थ जल निगम द्वारा की जाती है। यहां की विद्युत आपूर्ति [[उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड]] द्वारा की जाती है। नगर से प्रतिदिन लगभग ३५ करोड़ लीटर मल<ref name=schemevaranasi>{{cite news |first=गोपाल|last=भार्गव|url=http://www.tribuneindia.com/2000/20001025/mailbag.htm |title=स्कीम फ़ॉर वाराणसी|publisher=द ट्रिब्यून}}</ref> एवं ४२५ टन कूड़ा निकलता है।<ref name=cpcbsolidwaste>{{cite web |url=http://www.cpcb.nic.in/pcpdiv_plan4.htm |title=वेस्ट जनरेशन एण्ड कंपोज़ीशन|accessdate=१८ अगस्त
|publisher=योजना विभाग, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड}}</ref> कूड़े का निष्कासन लैण्ड-फ़िल स्थलों पर किय़ा जाता है।<ref name=cpcbsolidwaste2>{{cite web |url=http://www.cpcb.nic.in/pcpdiv_plan4.htm
|title=स्टेटस ऑफ लैंडफ़िल साइट्स इन ५९ सिटीज़|accessdate=१८ अगस्त
{{चार कालम}}
* ३८७-रोहनिया,
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# '''[[संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय]]:''' [[भारत के गवर्नर जनरल]] [[लॉर्ड कॉर्नवालिस]] ने इस संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना १७९१ में की थी। ये वाराणसी का प्रथम महाविद्यालय था। इस महाविद्यालय के प्रथम प्रधानाचार्य संस्कृत प्राध्यापक जे म्योर, [[भारतीय सिविल सेवा|आई.सी.एस]] थे। इनके बाद जे.आर.बैलेन्टियन, आर.टी.एच.ग्रिफ़िथ, डॉ॰जी.थेवो, डॉ॰आर्थर वेनिस, डॉ॰गंगानाथ झा और गोपीनाथ कविराज हुए। [[भारतीय स्वतंत्रता]] उपरांत इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाकर वर्तमान नाम दिया गया।<ref>आचार्य [[बलदेव उपाध्याय]], काशी की पांडित्य परंपरा। विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी। १९८३</ref>
# '''[[महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ]]''' एक मानित राजपत्रित विश्वविद्यालय है। इसका नाम भारत के राष्ट्रपिता [[महात्मा गांधी]] के नाम पर है और यहां उनके सिद्धांतों का पालन किया जाता है।
# '''[[सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़]]''' [[सारनाथ]] में स्थापित एक मानित विश्वविद्यालय है। यहां परंपरागत तिब्बती पठन-पाठन को आधुनिक शिक्षा के साथ वरीयता दी जाती है।<ref name=cihts>{{cite web |url=http://www.varanasicity.com/education/tibetan-university.html |title=[[सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज]] |accessdate=१८ अगस्त
|title=एजुकेश्नल इंस्टीट्यूट्स इन वाराणसी|accessdate=१८ अगस्त
इन विश्वविद्यालयों के अलावा शहर में कई स्नातकोत्तर एवं स्नातक महाविद्यालय भी हैं, जैसे अग्रसेन डिगरी कॉलिज, हरिशचंद्र डिगरी कॉलिज, आर्य महिला डिगरी कॉलिज, एवं स्कूल ऑफ मैनेजमेंट।
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[[चित्र:Ustad Shahid Parvez Khan.jpg|left|thumb| शाहिद परवेज़ खां, बनारस घराने के अन्य बड़े महारथी पंडित [[किशन महाराज]] के साथ एक सभा में।]]
आज बनारसी तबला घराना अपने शक्तिशाली रूप के लिये प्रसिद्ध है, हालांकि बनारस घराने के वादक हल्के और कोमल स्वरों के वादन में भी सक्षम हैं। घराने को पूर्वी बाज मे वर्गीकृत किया गया है, जिसमें [[लखनऊ]], [[फर्रुखाबाद]] और बनारस घराने आते हैं। बनारस शैली तबले के अधिक अनुनादिक थापों का प्रयोग करती है, जैसे कि '''ना''' और '''धिन'''। बनारस घराने में एकल वादन बहुत इकसित हुआ है और कई वादक जैसे पंडित [[शारदा सहाय]], पंडित [[किशन महाराज]]<ref>{{cite news |title=पं.किशन महाराज: एण्ड ऑफ एन एरा|author= [[शोभना नारायण]] |url=http://www.tribuneindia.com/2008/20080506/nation.htm#16 |publisher=[[द ट्रिब्यून]] |date=६ मई
== पवित्र नगरी ==
[[चित्र:Benares 1.JPG|thumb|200px|right|वाराणसी के एक घाट पर लोग हिन्दू रिवाज करते हुए।]]
वाराणसी या काशी को [[हिन्दू धर्म]] में पवित्रतम नगर बताया गया है। यहां प्रतिवर्ष १० लाख से अधिक तीर्थ यात्री आते हैं।<ref name="यात्रा सलाह">[http://www.yatrasalah.com/touristplaces.aspx?id=30 शिव की नगरी]- वाराणसी। अभिगमन तिथि:२९ अप्रैल
हिन्दू मान्यता अनुसार गंगा नदी सबके पाप मार्जन करती है और काशी में मृत्यु सौभाग्य से ही मिलती है और यदि मिल जाये तो आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो कर मोक्ष पाती है। [[इक्यावन शक्तिपीठ]] में से एक [[विशालाक्षी मंदिर]] यहां स्थित है, जहां भगवती [[सती]] की कान की मणिकर्णिका गिरी थी। वह स्थान [[मणिकर्णिका घाट]] के निकट स्थित है।<ref name=leaflet2/> हिन्दू धर्म में शाक्त मत के लोग देवी गंगा को भी [[दुर्गा|शक्ति]] का ही अवतार मानते हैं। जगद्गुरु [[आदि शंकराचार्य]] ने [[हिन्दू धर्म]] पर अपनी टीका यहीं आकर लिखी थी, जिसके परिणामस्वरूप हिन्दू पुनर्जागरण हुआ। काशी में [[वैष्णव]] और [[शैव]] संप्रदाय के लोग सदा ही धार्मिक सौहार्द से रहते आये हैं।
पंक्ति 418:
भारत की सबसे बड़ी नदी [[गंगा]] करीब २,५२५ किलोमीटर की दूरी तय कर गोमुख से गंगासागर तक जाती है। इस पूरे रास्ते में गंगा उत्तर से दक्षिण की ओर यानि उत्तरवाहिनी बहती है।<ref name="यात्रा सलाह"/><ref name="कला केन्द्र"/> केवल वाराणसी में ही गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में बहती है। यहां लगभग ८४ घाट हैं। ये घाट लगभग ६.५ किमी लंबे तट पर बने हुए हैं। इन ८४ घाटों में पांच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्हें सामूहिक रुप से 'पंचतीर्थी' कहा जाता है। ये हैं अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, आदिकेशव घाट, पंचगंगा घाट तथा मणिकर्णिक घाट। अस्सी घाट सबसे दक्षिण में स्थित है जबकि आदिकेशवघाट सबसे उत्तर में स्थित हैं।<ref>घाटों के सौंदर्य के संबंध में प्रख्यात कला समीक्षक श्री ई. बी. हैवेल ने कहा है -- ये घाट छः मील की परिधि में फैले प्रेक्षागृह की तरह शोभायमान होते हैं। प्रातःकाल, सुनहरी धूप में चमकते गंगा तट के मंदिर, मंत्रोच्चार और गायत्री जाप करते ब्राह्मणों और पूजा- पाठ में लीन महिलाओं के स्नान- ध्यान के क्रम के साथ ही दिन चढ़ता जाता है। पुष्प और पूजन सामग्रियों से सजे गंगा तट तथा पानी में तैरते फूलों की शोभा मनमोहक होती है।: [http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/kvj0049.htm काशी के घाट]</ref>
=== घाट ===
वाराणसी में १०० से अधिक घाट हैं। शहर के कई घाट [[मराठा साम्राज्य]] के अधीनस्थ काल में बनवाये गए थे। वर्तमान वाराणसी के संरक्षकों में मराठा, शिंदे ([[:श्रेणी:सिंधिया परिवार|सिंधिया]]), [[:श्रेणी:होल्कर परिवार|होल्कर]], [[:श्रेणी:भोंसले परिवार|भोंसले]] और [[पेशवा]] परिवार रहे हैं। अधिकतर घाट स्नान-घाट हैं, कुछ घाट अन्त्येष्टि घाट हैं। कई घाट किसी कथा आदि से जुड़े हुए हैं, जैसे मणिकर्णिका घाट, जबकि कुछ घाट निजी स्वामित्व के भी हैं। पूर्व [[काशी नरेश]] का शिवाला घाट और काली घाट निजी संपदा हैं। {{बनारस के घाट}}<ref name="कला केन्द्र">[http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/kvj0049.htm काशी के घाट]। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र। सुनील झा। अभिगमन तिथि:२९ अप्रैल
{{Panorama
पंक्ति 455:
वाराणसी मंदिरों का नगर है। लगभग हर एक चौराहे पर एक मंदिर तो मिल ही जायेगा। ऐसे छोटे मंदिर दैनिक स्थानीय अर्चना के लिये सहायक होते हैं। इनके साथ ही यहां ढेरों बड़े मंदिर भी हैं, जो वाराणसी के इतिहास में समय समय पर बनवाये गये थे। इनमें काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, ढुंढिराज गणेश, काल भैरव, दुर्गा जी का मंदिर, संकटमोचन, तुलसी मानस मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर, भारतमाता मंदिर, संकठा देवी मंदिर व विशालाक्षी मंदिर प्रमुख हैं।<ref name="जागरण मंदिर">[http://www.jagranyatra.com/?p=2018 शहर मंदिरों का]। जागरण यात्रा। अभिगमन तिथि:[[२९ अप्रैल]], [[२०१०]]</ref>
'''[[काशी विश्वनाथ मंदिर]]''', जिसे कई बार स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है,<ref name=route>{{cite web |url= http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/42205744.cms |title= द रिलीजियस रूट|accessdate=४
इस मंदिर का ध्वंस मुस्लिम [[मुगल]] शासक [[औरंगज़ेब]] ने करवाया था और इसके अधिकांश भाग को एक मस्जिद में बदल दिया। बाद में मंदिर को एक निकटस्थ स्थान पर पुनर्निर्माण करवाया गया।
पंक्ति 463:
इसका स्थापत्य उत्तर भारतीय हिन्दु वास्तु की [[नागर शैली]] का है। मंदिर के साथ ही एक बड़ा आयताकार जल कुण्ड भी है, जिसे दुर्गा कुण्ड कहते हैं। मंदिर का बहुमंजिला शिखर है<ref name=route/> और वह गेरु से पुता हुआ है। इसका लाल रंग शक्ति का द्योतक है। कुण्ड पहले नदी से जुड़ा हुआ था, जिससे इसका जल ताजा रहता था, किन्तु बाद में इस स्रोत नहर को बंद कर दिया गया जिससे इसमें ठहरा हुआ जल रहता है और इसका स्रोत अबव र्शषआ या मंदिर की निकासी मात्र है। प्रत्येक वर्ष [[नाग पंचमी]] के अवसर पर भगवान विष्णु और [[शेषनाग]] की पूजा की जाती है। यहां संत भास्कपरानंद की समाधि भी है। मंगलवार और शनिवार को दुर्गा मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ रहती है। इसी के पास हनुमान जी का संकटमोचन मंदिर है। महत्ता की दृष्टि से इस मंदिर का स्थागन काशी विश्वभनाथ और अन्नेपूर्णा मंदिर के बाद आता है।
'''[[संकटमोचन हनुमान मंदिर, वाराणसी|संकट मोचन मंदिर]]''' राम भक्त [[हनुमान]] को समर्पैत है और स्थानीय लोगों में लोकप्रिय है। यहां बहुत से धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन वार्षिक रूप से होते हैं। ७ मार्च
'''व्यास मंदिर, रामनगर'''
प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब [[वेद व्यास]] जी को नगर में कहीं दान-दक्षिणा नहीं मिल पायी, तो उन्होंने पूरे नगर को श्राप देने लगे।<ref name = Goodearth/> उसके तुरंत बाद ही भगवान शिव एवं माता पार्वतीएक द पति रूप में एक घर से निकले और उन्हें भरपूर दान दक्षिणा दी। इससे ऋषि महोदय अतीव प्रसन्न हुए और श्राप की बात भूल ही गये।<ref name = Goodearth/> इसके बाद शिवजी ने व्यासजी को काशी नगरी में प्रवेश निषेध कर दिया।<ref name = Goodearth/> इस बात के समाधान रूप में व्यासजी ने गंगा के दूसरी ओर आवास किया, जहां रामनगर में उनका मंदिर अभी भी मिलता है।<ref name = Goodearth/>
[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] के परिसर में नया विश्वनाथ मंदिर बना है, जिसका निर्माण [[बिरला परिवार]] के राजा बिरला ने करवाया था।<ref>{{cite web |url=http://www.indnav.com/servlet/Browse?mt=goToName&name=Birla+Temple+(new+Vishwanath+Temple) |title=बिड़ला मंदिर (नया विश्वनाथ मंदिर) |accessdate=४
== कला एवं साहित्य ==
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वाराणसी की संस्कृति कला एवं साहित्य से परिपूर्ण है। इस नगर में महान भारतीय लेखक एवं विचारक हुए हैं, [[कबीर]], [[रविदास]], [[तुलसीदास]] जिन्होंने यहां [[रामचरितमानस]] लिखी, कुल्लुका भट्ट जिन्होंने [[१५वीं शताब्दी]] में [[मनुस्मृति]] पर सर्वश्रेष्ठ ज्ञात टीका यहां लिखी<ref>[http://dsal.uchicago.edu/reference/gazetteer/pager.html?objectid=DS405.1.I34_V02_297.gif द इण्डियन एम्पायर], द इम्पीरियल गैज़ेटियर ऑफ इण्डिया, १९०९, संस्क.द्वितीय, पृ.२६२</ref> एवं [[भारतेन्दु हरिशचंद्र]] और आधुनिक काल के [[जयशंकर प्रसाद]], [[आचार्य रामचंद्र शुक्ल]], [[मुंशी प्रेमचंद]], जगन्नाथ प्रसाद रत्नाकर, [[देवकी नंदन खत्री]], [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]], तेग अली, क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय, [[वागीश शास्त्री]], [[बलदेव उपाध्याय]], सुमन पांडेय (धूमिल) एवं [[विद्या निवास मिश्र]] और अन्य बहुत।
यहां के कलाप्रेमियों और इतिहासवेत्ताओं में [[राय कृष्णदास]], उनके पुत्र [[आनंद कृष्ण]], संगीतज्ञ जैसे ओंकारनाथ ठाकुर<ref>{{cite web | url=http://www.culturopedia.com/personalities/indianpersonality-omkarnaththakur.html | title=ओंकारनाथ ठाकुर | publisher=कल्चरोपीडिया | accessdate=१ मई
महान [[शल्य चिकित्सक]] [[सुश्रुत]], जिन्होंने शल्य-क्रिया का [[संस्कृत]] ग्रन्थ [[सुश्रुत संहिता]] लिखा था; वाराणसी में ही आवास करते थे।<ref>[http://dsal.uchicago.edu/reference/gazetteer/pager.html?objectid=DS405.1.I34_V02_605.gif सुश्रुत] द इम्पीरियल गैज़ेटियर ऑफ इण्डिया, १९०९, संस्क.द्वितीय, पृ.५७०</ref>
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== जनसांख्यिकी ==
वाराणसी शहरी क्षेत्र की २००१ के अनुसार जनसंख्या १३,७१,७४९ थी; और [[लिंग अनुपात]] ८७९ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष था।<ref name=censusmillioncities>{{cite web |url=http://www.censusindia.gov.in/|title=अर्बन एग्लोमरेशंस/२००१ में १० लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर |accessdate=१८ अगस्त
== परिवहन ==
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* १९७८ की सुपरहिट हिन्दी चलचित्र [[डॉन]] का गाना ''खईके पान बनारस वाला'' [[अमिताभ बच्चन]] के साथ बनारसी पान की प्रशंसा में गाया गया था और बहुत लोकप्रिय हुआ था।
* पंडित [[विकास महाराज]] के संयोजन "गंगा" पर बनी डॉक्युमेंट्री फिल्म होलीवॉटर यहीं बनी थी।
* [[:en: Krishna Das (singer)|कृष्ण दास]] द्वारा गाया गया गीत "काशी विश्वनाथ गंगे" सीडी ''ब्रॅथ ऑफ द हार्ट'' में निकला था<ref>{{cite web|url=http://www.krishnadas.com/notes.cfm?CID=breathoftheheart&TID=breath4|title=टैक्स्ट एण्ड इन्फ़ॉर्मेशन|accessdate=२४ जून
* [[:en: Geoff Dyer|जेयॉफ डायर]] की २००९ में निकली पुस्तक: ''जैफ इन वेनिस, डेथ इन वाराणसी'' आधी बनारस पर लिखी है।
* विजय सिंह के उपन्यास ''जय गंगा, इन सर्च ऑफ द रिवर गॉडेस'' एवं क्लासिकल चलचित्र ''[[:en: Jaya Ganga|जय गंगा]]'' आंशिक रूप सए बनारस पर बनी हैं। इसमें यहां के घाटों के अच्छे दृश्य हैं।
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