"वाराणसी": अवतरणों में अंतर

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|population_total_cite =<ref>{{cite web |url=http://www.upgov.nic.in/upinfo/census01/cen01-1.htm |title=रैंकिंग ऑफ डिस्ट्रिक्ट्स बाए पॉपुलेशन इन १९९१ एण्ड २००१|publisher=उत्तर प्रदेश सरकार|accessdate=२ अप्रैल, २००७}}</ref>
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}}
 
'''वाराणसी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vārāṇasī'', {{IPA-hns|ʋaːˈɾaːɳəsiː|-|hi-Varanasi.ogg}}) [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य का प्रसिद्ध शहर है। इसे 'बनारस' और '[[काशी]]' भी कहते हैं। इसे [[हिन्दू धर्म]] में सर्वाधिक पवित्र शहर माना जाता है और इसे '''अविमुक्त क्षेत्र''' कहा जाता है। {{Ref_label|अविमुक्तं |च|none}}{{Ref_label|अविमुक्तं२ |छ|none}}<ref>[[महाभारत]], [[वन पर्व]]., ८४/१८</ref><ref>([[महाभारत]], [[वन पर्व]]., ८२/७७)</ref><ref>संदर्भ:[http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/kv_0012.htm काशी तथा वाराणसी का तीर्थ स्वरुप]। वाराणसी वैभव</ref><ref>[http://dharmadesh.mywebdunia.com/2009/10/29/1256835420001.html काशी- मुक्ति की जन्मभूमि]। माई वेब दुनिया। २९ अक्तूबर,अक्टूबर २००९। अभिगमन तिथि:२५ अप्रैल, २०१०</ref> इसके अलावा [[बौद्ध]] एवं [[जैन धर्म]] में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है।<ref name=bsfw>{{cite book |last=लैनोय|first=रिचर्ड|title=बनारस-सीन फ़्रॉम विदिन|publisher=वॉशींग्टन प्रेस विश्वविद्यालय |pages=ब्लैक फ्लैप|date=अक्तूबर, १९९९|isbn=029597835X | oclc = 42919796 |nopp=true}}</ref><ref>{{cite web |url=http://www.britannica.com/eb/article-9074835/Varanasi |title=वाराणसी|publisher=[[ब्रिटैनिका विश्वकोश]] |accessdate=३ जून, २००८}}</ref>
 
[[काशी नरेश]] (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं।<ref name = Goodearth>{{cite book
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| isbn = 9788187780045
| page = २१६
}}</ref> वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर [[उत्तर भारत]] का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। [[हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत]] का [[बनारस घराना]] वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें [[कबीर]], [[वल्लभाचार्य]], [[रविदास]], स्वामी [[रामानंद]], [[त्रैलंग स्वामी]], [[शिवानन्द गोस्वामी]], [[मुंशी प्रेमचंद]], [[जयशंकर प्रसाद]], [[आचार्य रामचंद्र शुक्ल]], पंडित [[रवि शंकर]], [[गिरिजा देवी]], पंडित [[हरि प्रसाद चौरसिया]] एवं [[उस्ताद बिस्मिल्लाह खां]] आदि कुछ हैं। [[गोस्वामी तुलसीदास]] ने [[हिन्दू धर्म]] का परम-पूज्य [[ग्रंथ]] [[रामचरितमानस]] यहीं लिखा था और [[गौतम बुद्ध]] ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही [[सारनाथ]] में दिया था।<ref>{{cite web | url=http://varanasi.nic.in/tourist/tourist7.html | title=वाराणसी के जिले - सारनाथ| publisher=राष्ट्रीय सूचना केन्द्र - वाराणसी| accessdate=५ जनवरी, २००९}}</ref>
 
वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]], [[महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ]], [[सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़]] और [[संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय]]। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] बोलते हैं, जो [[हिन्दी]] की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://www.bhu.ac.in/varanasi.htm |title=वाराणसी: द इटर्नल सिटी|publisher=[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] |accessdate=२ अप्रैल, २००७}}</ref>
 
प्रसिद्ध अमरीकी लेखक [[मार्क ट्वेन]] लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"<ref>{{cite book |last=ट्वेन|first=मार्क| authorlink = मार्क ट्वैन|title=फ़ॉलोइंग द इक्वेटर: ए जर्नी अराउण्ड द वर्ल्ड |url=http://www.literaturecollection.com/a/twain/following-equator/ |accessdate=२ जुलाई, २००७|origyear=१८९७|year=१८९८|publisher=हार्टफ़ोर्ड, कनेक्टिकट, अमेरिकन पब्लिशिंग कं.. |isbn=0404015778 | oclc = 577051 |chapter=L | chapterurl = http://www.literaturecollection.com/a/twain/following-equator/51/}}</ref>
 
== नाम का अर्थ ==
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|isbn=
| oclc =
}}</ref> इसके समर्थन में शायद कुछ आरंभिक पाठ उपलब्ध हों, किन्तु इस दूसरे विचार को इतिहासवेत्ता सही नहीं मानते हैं।<ref name="नामकरण">{{cite web |url=http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/kv_0002.htm |title=वाराणसी वैभव या काशी वैभव - काशी की राजधानी वाराणसी का नामकरण |publisher=सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, [[भारत सरकार]] |date=२००३|accessdate=२ अप्रैल, २००७ |language=हिन्दी}}</ref> लंबे काल से वाराणसी को ''अविमुक्त क्षेत्र'', ''आनंद-कानन'', ''महाश्मशान'', ''सुरंधन'', ''ब्रह्मावर्त'', ''सुदर्शन'', ''रम्य'', एवं ''[[काशी]]'' नाम से भी संबोधित किया जाता रहा है।<ref>{{cite web | url=http://www.up-tourism.com/destination/varanasi/intro.htm | title=उत्तर प्रदेश पर्यटन - वाराणसी| publisher= पर्यटन विभाग - उत्तर प्रदेश सरकार | accessdate=५ जनवरी, २००९}}</ref> [[ऋग्वेद]] में शहर को [[काशी]] या कासी नाम से बुलाया गया है। इसे प्र'''काशि'''त शब्द से लिया गया है, जिसका अभिप्राय शहर के ऐतिहासिक स्तर से है, क्योंकि ये शहर सदा से ज्ञान, शिक्षा एवं संस्कृति का केन्द्र रहा है।<ref>{{cite web |title=द जियोग्राफी ऑफ द ऋग्वेद|url=http://voi.org/books/rig/ch4.htm |last=तालगेरी|first=श्रीकान्त जी |accessdate=२ अप्रैल, २००७}}</ref> काशी शब्द सबसे पहले [[अथर्ववेद]] की पैप्पलाद शाखा से आया है और इसके बाद शतपथ में भी उल्लेख है। लेकिन यह संभव है कि नगर का नाम जनपद में पुराना हो। [[स्कंद पुराण]] के काशी खण्ड में नगर की महिमा १५,००० श्लोकों में कही गयी है। एक श्लोक में भगवान [[शिव]] कहते हैं: <blockquote>
तीनों लोकों से समाहित एक शहर है, जिसमें स्थित मेरा निवास प्रासाद है काशी<ref name=leaflet2>{{cite press release | title =वाराणसी - एक्स्प्लोर इण्डिया मिलेनियम ईयर|publisher=पर्यटन विभाग, भारत सरकार|date=मार्च, २००७|url=|accessdate=३ मई, २००७}}</ref>
</blockquote>
 
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== इतिहास ==
{{मुख्य|वाराणसी का इतिहास}}
पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना [[हिन्दू]] [[भगवान]] [[शिव]] ने लगभग ५००० वर्ष पूर्व की थी,<ref name="bsfw"/> जिस कारण ये आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। ये हिन्दुओं की पवित्र [[सप्तपुरी|सप्तपुरियों]] में से एक है। [[स्कन्द पुराण]], [[रामायण]], [[महाभारत]] एवं प्राचीनतम वेद [[ऋग्वेद]] सहित कई हिन्दू ग्रन्थों में इस नगर का उल्लेख आता है। सामान्यतया वाराणसी शहर को लगभग ३००० वर्ष प्राचीन माना जाता है।<ref>{{cite news |url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/4784056.stm |title=द रिलीजियस कैपिटल ऑफ हिन्दुइज़्म |first=देबबानी| second = मजूमदार|publisher=[[बीबीसी]] |date= ७ मार्च, २००६|accessdate=२ अप्रैल, २००७}}</ref>, परन्तु हिन्दू परम्पराओं के अनुसार काशी को इससे भी अत्यंत प्राचीन माना जाता है। नगर मलमल और रेशमी कपड़ों, इत्रों, हाथी दांत और शिल्प कला के लिये व्यापारिक एवं औद्योगिक केन्द्र रहा है। [[गौतम बुद्ध]] (जन्म [[५६७ ई.पू.]]) के काल में, वाराणसी [[काशी राज्य]] की राजधानी हुआ करता था। प्रसिद्ध चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग]] ने नगर को धार्मिक, शैक्षणिक एवं कलात्मक गतिविधियों का केन्द्र बताया है और इसका विस्तार गंगा नदी के किनारे ५&nbsp;कि.मी. तक लिखा है।
{{-}}
=== विभूतियाँ ===
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| chapter
| doi =
| id = }}</ref> कृत्यकल्पतरु में दिये तीर्थ-विवेचन व अन्य प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार<ref name="दीनदयाल">[http://kashivishvanath.blogspot.com/2009/08/blog-post_27.html वाराणसी वैभव या काशी वैभव] काशीविश्वनाथ। दीनदयाल मणि। २७ अगस्त, २००९</ref>:
* [[ब्रह्म पुराण]] में भगवान [[शिव]] [[पार्वती]] से कहते हैं कि- हे सुरवल्लभे, वरणा और असि इन दोनों नदियों के बीच में ही वाराणसी क्षेत्र है, उसके बाहर किसी को नहीं बसना चाहिए।
* [[मत्स्य पुराण]]<ref>[[म्त्स्य पुराण]], की मुद्रित प्रति (१८४/५१)</ref> में इसकी लम्बाई-चौड़ाई अधिक स्पष्ट रुप से वर्णित है। [[पूर्व]]-[[पश्चिम]] ढ़ाई (२½) [[योजन]] भीष्मचंडी से पर्वतेश्वर तक, उत्तर-दक्षिण आधा (<sup>1</sup>/<sub>2</sub>) योजन, शेष भाग वरुणा और अस्सी के बीच। उसके बीच में मध्यमेश्वर नामक [[स्वयंभू]] लिंग है। यहां से भी एक-एक कोस चारों ओर क्षेत्र का विस्तार है। यही वाराणसी की वास्तविक सीमा है। उसके बाहर विहार नहीं करना चाहिए।<ref name="दीनदयाल"/>
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=== भूगोल ===
[[चित्र:Early morning view of Varanasi city from opposite bank.jpg|thumb|right|250px|वाराणसी का [[गंगा नदी]] और इसके तट पर बसे असंख्य मंदिरों से अटूट संबंध है।]]
वाराणसी शहर [[उत्तरी भारत]] की मध्य गंगा घाटी में, भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] के पूर्वी छोर पर [[गंगा नदी]] के बायीं ओर के वक्राकार तट पर स्थित है। यहां [[वाराणसी जिला|वाराणसी जिले]] का मुख्यालय भी स्थित है। वाराणसी शहरी क्षेत्र &mdash; सात शहरी उप-इकाइयों का समूह है और ये ११२.२६&nbsp;वर्ग कि.मी. (लगभग ४३&nbsp;वर्ग मील) के क्षेत्र फैला हुआ है।<ref name=heritageUNESCO>{{cite web |url=http://www.sasnet.lu.se/EASASpapers/46RanaSingh.pdf |title=वाराणसी ऐज़ ए हेरिटेज सिटी (इंडिया) ऑन द स्केल द युनेस्को वर्ल्ड हैरिटेज लिस्ट: फ़्रॉम कॉन्टेस्टेशन टू कन्वर्सेशन|accessdate=१८ अगस्त, २००६|last=सिंह|first=राणा पी.बी. |format=[[पीडीएफ]] |work=EASAS पेपर्स|publisher=स्वीडिश साउथ एशियन स्टडीज़ नेटवर्क}}</ref> शहरी क्षेत्र का विस्तार (८२°५६’ [[पूर्व]]) - (८३°०३’ [[पूर्व]]) एवं (२५°१४’ [[उत्तर]]) - (२५°२३.५’ [[उत्तर]]) के बीच है।<ref name=heritageUNESCO/> [[उत्तरी भारत]] के [[गांगेय मैदान]] में बसे इस क्षेत्र की भूमि पुराने समय में गंगा नदी में आती रहीं बाढ़ के कारण उपत्यका रही है।
 
खास वाराणसी शहर गंगा और वरुणा नदियों के बीच एक ऊंचे पठार पर बसा है। नगर की औसत [[समुद्र तट से ऊंचाई|ऊंचाई समुद्र तट से]] ८०.७१&nbsp;मी. है।<ref name=varanasiairtrip>{{cite web |url=http://www.atrip4india.com/india-cities/varanasi.htm |title=वाराणसी|accessdate=१८ अगस्त, २००६|work=इण्डिया-सिटीज़|publisher=Atrip4india.com}}</ref> यहां किसी सहायक नदी या नहर के अभाव में मुख्य भूमि लगातार शुष्क बनी रही है। प्राचीन काल से ही यहां की भौगोलिक स्थिति बसावट के लिये अनुकूल रही है। किन्तु नगर की मूल स्थिति का अनुमान वर्तमान से लगाना मुश्किल है, क्योंकि आज की स्थिति कुछ प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित स्थिति से भिन्न है।
 
=== नदियाँ ===
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=== जलवायु ===
<!-- {{जलवायु सारणी वाराणसी}} -->
वाराणसी में [[आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु]] ([[:en: Köppen climate classification|कोप्पन जलवायु वर्गीकरण]] ''Cwa'' के अनुसार) है जिसके संग यहां [[ग्रीष्म ऋतु]] और [[शीत ऋतु]] ऋतुओं के तापमान में बड़े अंतर हैं। ग्रीष्म काल [[अप्रैल]] के आरंभ से [[अक्तूबर]] तक लंबे होते हैं, जिस बीच में ही [[वर्षा ऋतु]] में [[मानसून]] की वर्षाएं भी होती हैं। [[हिमालय]] क्षेत्र से आने वाली शीत लहर से यहां का तापमान [[दिसंबर]] से [[फरवरी]] के बीच [[शीतकाल]] में गिर जाता है। यहां का तापमान ३२[[सेल्सियस|° से.]]{{ndash}} ४६°C (९०[[फैरनहाइट|° फै.]]{{ndash}} ११५°फै.) ग्रीष्म काल में, एवं ५°से.{{ndash}} १५°से. (४१°फै.{{ndash}} ५९°फै.) शीतकाल में रहता है।<ref name=varanasiairtrip/> औसत वार्षिक वर्षा १११०&nbsp;मि.मी. (४४&nbsp;इंच) तक होती है।<ref name=delhitourism>{{cite web |url=http://www.delhitourism.com/varanasi-tourism/ |title=वाराणसी पर्यटन|accessdate=१८ अगस्त, २००६|publisher=DelhiTourism.com}}</ref> ठंड के मौसम में [[कुहरा]] सामान्य होता है और गर्मी के मौसम में [[लू हवा|लू]] चलना सामान्य होता है।
 
यहां निरंतर बढ़ते [[जल प्रदूषण]] और निर्माण हुए बांधों के कारण स्थानीय तापमान में वृद्धि दर्ज हुई है। गंगा का जलस्तर पुराने समय से अच्छा खासा गिर गया है और इस कारण नदी के बीच कुछ छोटे द्वीप भी प्रकट हो गये हैं। इस प्राचीन शहर में पानी का जलस्तर इतना गिर गया है कि इंडिया मार्क-२ जैसे हैंडपंप भी कई बार चलाने के बाद भी पानी की एक बूंद भी नहीं निकाल पाते। वाराणसी में गंगा का जलस्तर कम होना भी एक बड़ी समस्या है। गंगा के जल में प्रदूषण होना सभी के लिए चिंता का विषय था, लेकिन अब इसका प्रवाह भी कम होता जा रहा है, जिसके कारण [[उत्तराखंड]] से लेकर [[बंगाल की खाड़ी]] तक चिंता जतायी जा रही है।<ref>[http://samaylive.com/regional-hindi/up-hindi/80149.html वाराणसी के घटते जल स्तर पर चिंता]। समय लाईव। २९ अप्रैल, २०१०</ref>
{{-}}
{{Infobox weather
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|Year_Precip_mm = 1025.4
|source =<ref name="imd">{{cite web
| url = http://www.imd.gov.in/section/climate/varanasi2.htm | title = वाराणसी | accessdate = २५ मार्च, २०१०
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|accessdate = ३५ मार्च, २०१०
}}
 
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<!-- [[चित्र:DLW varanasi building.jpg|thumb|right|[[डीजल रेल इंजन कारखाना ]], वाराणसी की इमारत]] -->
[[भारतीय रेल]] का डीजल इंजन निर्माण हेतु [[डीजल रेल इंजन कारखाना]] भी वाराणसी में स्थित है। वाराणसी और कानपुर का प्रथम भारतीय व्यापार घराना निहालचंद किशोरीलाल १८५७ में देश के चौथे ऑक्सीजन संयंत्र की स्थापना से आरंभ हुआ था। इसका नाम इण्डियन एयर गैसेज़ लि. था। [[लॉर्ड मकॉले]] के अनुसार, वाराणसी वह नगर था, जिसमें समृद्धि, धन-संपदा, जनसंख्या, गरिमा एवं पवित्रता एशिया में सर्वोच्च शिखर पर थी। यहां के व्यापारिक महत्त्व की उपमा में उसने कहा था: " बनारस की खड्डियों से महीनतम रेशम निकलता है, जो सेंट जेम्स और वर्सेल्स के मंडपों की शोभा बढ़ाता है"।<ref name=leaflet2/><ref>{{cite web |title=वाराणसी|url=http://www.freeindia.org/dynamic/modules.php?name=Content&pa=showpage&pid=165&page=2 |accessdate=७ मार्च, २००७|year=२००३|work=टूरिज़्म ऑफ इंडिया|pages=२ | quote = all along the shore lay great fleets of vessels laden with rich merchandise. From the looms of Benaras went forth the most delicate silks, that adorned the halls of St. James and of Versailles, and in the bazaars, the muslins of Bengal and sabres of Oude were mingled with the jewels of Golconda and the shawls of Cashmere |publisher=हिन्दुनेट इन्का.}}</ref>
 
<center><gallery perrow=5>
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== प्रशासन एवं राजनीति ==
वाराणसी के प्रशासन में कई संस्थाएं संलग्न हैं, जिनमें से प्रमुख है [[वाराणसी नगर निगम]] एवं [[वाराणसी विकास प्राधिकरण]] जो वाराणसी शहर की मास्टर योजना के लिये उत्तरदायी है। यहां की जलापूर्ति एवं मल-निकास व्यवस्था नगर निगम के अधीनस्थ जल निगम द्वारा की जाती है। यहां की विद्युत आपूर्ति [[उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड]] द्वारा की जाती है। नगर से प्रतिदिन लगभग ३५ करोड़ लीटर मल<ref name=schemevaranasi>{{cite news |first=गोपाल|last=भार्गव|url=http://www.tribuneindia.com/2000/20001025/mailbag.htm |title=स्कीम फ़ॉर वाराणसी|publisher=द ट्रिब्यून}}</ref> एवं ४२५ टन कूड़ा निकलता है।<ref name=cpcbsolidwaste>{{cite web |url=http://www.cpcb.nic.in/pcpdiv_plan4.htm |title=वेस्ट जनरेशन एण्ड कंपोज़ीशन|accessdate=१८ अगस्त, २००६|work=मैनेजमेंट ऑफ म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट्स
|publisher=योजना विभाग, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड}}</ref> कूड़े का निष्कासन लैण्ड-फ़िल स्थलों पर किय़ा जाता है।<ref name=cpcbsolidwaste2>{{cite web |url=http://www.cpcb.nic.in/pcpdiv_plan4.htm
|title=स्टेटस ऑफ लैंडफ़िल साइट्स इन ५९ सिटीज़|accessdate=१८ अगस्त, २००६|work=मैनेजमेंट ऑफ म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट्स |publisher=योजना विभाग, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड}}</ref> बडी मात्रा में मल निकास गंगा नदी में किया जाता है। शहर और उपनगरीय क्षेत्र में नगर निगम द्वारा बस सेवा भी संचालित की जाती है। नगर की कानून व्यवस्था [[उत्तर प्रदेश पुलिस]] सेवा की वाराणसी मंडल में वाराणसी क्षेत्र के अधीन आती है। नगर में पुलिस के उच्चतम अधिकारी पुलिस अधीक्षक हैं।<ref name=uppoliceorg>{{cite web |url=http://uppolice.up.nic.in/About%20UP%20Police.html |title=यूपी पुलिस इज़ डिवाइडेड इनटू फ़ौलोइंग ज़ोन्स एण्ड रेन्जेज़ & डिस्ट्रिक्ट्स|accessdate=१८ अगस्त, २००६|work=[[उत्तर प्रदेश पुलिस]] |publisher=[[राष्ट्रीय सूचना केन्द्र|एन.आई.सी]]}}</ref> बनारस शहर [[वाराणसी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र]] में आता है। वर्ष २००९ में हुए आम चुनावों में [[भारतीय जनता पार्टी]] के डॉ॰ [[मुरली मनोहर जोशी]] यहां से सांसद चुने गये थे।<ref>[http://timesofindia.indiatimes.com/Varanasi/Joshi-beats-Mukhtar-with-big-margin/articleshow/4540142.cms जोशी बीट्स मुख्तार विद बिग मार्जिन]। द टाइम्स ऑफ इण्डिया। १६ मई, २००९</ref> [[वाराणसी जिला|वाराणसी जिले]] में पाँच [[विधान सभा|विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र]] आते हैं। ये इस प्रकार से हैं<ref>[http://www.uponline.in/Profile/Political/constituencies.asp उ.प्र.असेम्बली सीटें]</ref>:
{{चार कालम}}
* ३८७-रोहनिया,
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# '''[[संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय]]:''' [[भारत के गवर्नर जनरल]] [[लॉर्ड कॉर्नवालिस]] ने इस संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना १७९१ में की थी। ये वाराणसी का प्रथम महाविद्यालय था। इस महाविद्यालय के प्रथम प्रधानाचार्य संस्कृत प्राध्यापक जे म्योर, [[भारतीय सिविल सेवा|आई.सी.एस]] थे। इनके बाद जे.आर.बैलेन्टियन, आर.टी.एच.ग्रिफ़िथ, डॉ॰जी.थेवो, डॉ॰आर्थर वेनिस, डॉ॰गंगानाथ झा और गोपीनाथ कविराज हुए। [[भारतीय स्वतंत्रता]] उपरांत इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाकर वर्तमान नाम दिया गया।<ref>आचार्य [[बलदेव उपाध्याय]], काशी की पांडित्य परंपरा। विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी। १९८३</ref>
# '''[[महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ]]''' एक मानित राजपत्रित विश्वविद्यालय है। इसका नाम भारत के राष्ट्रपिता [[महात्मा गांधी]] के नाम पर है और यहां उनके सिद्धांतों का पालन किया जाता है।
# '''[[सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़]]''' [[सारनाथ]] में स्थापित एक मानित विश्वविद्यालय है। यहां परंपरागत तिब्बती पठन-पाठन को आधुनिक शिक्षा के साथ वरीयता दी जाती है।<ref name=cihts>{{cite web |url=http://www.varanasicity.com/education/tibetan-university.html |title=[[सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज]] |accessdate=१८ अगस्त, २००६|publisher=वाराणसी सिटी}}</ref> [[उदय प्रताप कॉलिज]], एक स्वायत्त महाविद्यालय है जहां आधुनिक बनारस के उपनगरीय छात्रों हेतु क्रीड़ा एवं विज्ञान का केन्द्र है। वाराणसी में बहुत से निजी एवं सार्वजनिक संस्थान है, जहां हिन्दू धार्मिक शिक्षा की व्यवस्था है। प्राचीन काल से ही लोग यहां दर्शन शास्त्र, संस्कृत, खगोलशास्त्र, सामाजिक ज्ञान एवं धार्मिक शिक्षा आदि के ज्ञान के लिये आते रहे हैं। भारतीय परंपरा में प्रायः वाराणसी को ''सर्वविद्या की राजधानी'' कहा गया है।<ref name=varanasicityedu>{{cite web |url=http://www.varanasicity.com/education/index.html
|title=एजुकेश्नल इंस्टीट्यूट्स इन वाराणसी|accessdate=१८ अगस्त, २००६|publisher=वाराणसी सिटी}}</ref> नगर में एक जामिया सलाफिया भी है, जो सलाफ़ी इस्लामी शिक्षा का केन्द्र है।<ref>{{cite web |url=http://www.darulumoor.org/institutions.html |title=दारुल-उलूम जामिया रशीदिया|publisher=टीपू सुल्तान एडवांस्ड स्टडी एंड रिसर्च सेंटर (TSASRC)|accessdate=७ मार्च, २००७}}</ref>
 
इन विश्वविद्यालयों के अलावा शहर में कई स्नातकोत्तर एवं स्नातक महाविद्यालय भी हैं, जैसे अग्रसेन डिगरी कॉलिज, हरिशचंद्र डिगरी कॉलिज, आर्य महिला डिगरी कॉलिज, एवं स्कूल ऑफ मैनेजमेंट।
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[[चित्र:Ustad Shahid Parvez Khan.jpg|left|thumb| शाहिद परवेज़ खां, बनारस घराने के अन्य बड़े महारथी पंडित [[किशन महाराज]] के साथ एक सभा में।]]
आज बनारसी तबला घराना अपने शक्तिशाली रूप के लिये प्रसिद्ध है, हालांकि बनारस घराने के वादक हल्के और कोमल स्वरों के वादन में भी सक्षम हैं। घराने को पूर्वी बाज मे वर्गीकृत किया गया है, जिसमें [[लखनऊ]], [[फर्रुखाबाद]] और बनारस घराने आते हैं। बनारस शैली तबले के अधिक अनुनादिक थापों का प्रयोग करती है, जैसे कि '''ना''' और '''धिन'''। बनारस घराने में एकल वादन बहुत इकसित हुआ है और कई वादक जैसे पंडित [[शारदा सहाय]], पंडित [[किशन महाराज]]<ref>{{cite news |title=पं.किशन महाराज: एण्ड ऑफ एन एरा|author= [[शोभना नारायण]] |url=http://www.tribuneindia.com/2008/20080506/nation.htm#16 |publisher=[[द ट्रिब्यून]] |date=६ मई, २००८}}</ref> और पंडित [[समता प्रसाद]]<ref>{{cite web | url=http://kippen.org/t_masters/samtaprasad.html | title=समता प्रसाद| publisher=kippen.org | accessdate=१ मई, २००९}}</ref>, एकल तबला वादन में महारत और प्रसिद्धि प्राप्त हैं। घराने के नये युग के तबला वादकों में पं॰ कुमार बोस, पं.समर साहा, पं.बालकृष्ण अईयर, पं.शशांक बख्शी, संदीप दास, पार्थसारथी मुखर्जी, सुखविंदर सिंह नामधारी, विनीत व्यास और कई अन्य हैं। बनारसी बाज में २० विभिन्न संयोजन शैलियों और अनेक प्रकार के मिश्रण प्रयुक्त होते हैं।
 
== पवित्र नगरी ==
[[चित्र:Benares 1.JPG|thumb|200px|right|वाराणसी के एक घाट पर लोग हिन्दू रिवाज करते हुए।]]
वाराणसी या काशी को [[हिन्दू धर्म]] में पवित्रतम नगर बताया गया है। यहां प्रतिवर्ष १० लाख से अधिक तीर्थ यात्री आते हैं।<ref name="यात्रा सलाह">[http://www.yatrasalah.com/touristplaces.aspx?id=30 शिव की नगरी]- वाराणसी। अभिगमन तिथि:२९ अप्रैल, २०१०</ref> यहां का प्रमुख आकर्षण है [[काशी विश्वनाथ]] मंदिर, जिसमें भगवान शिव के [[ज्योतिर्लिंग|'''बारह ज्योतिर्लिंग''']] में से प्रमुख शिवलिंग यहां स्थापित है।{{Ref_label|ज्योतिर्लिंग|झ|none}}<ref>[http://sanskritdocuments.org/all_sa/jyotirling_sa.html द्वादश ज्योतिर्लिङ्गानि ]। संस्कृत अभिलेख। सुब्रह्मण्यम गणेश, आशीष चंद्रा</ref><ref>[http://vinaysv.blogspot.com/2009/07/blog-post_24.html शिव के बारह ज्योतिर्लिंग ]</ref>
 
हिन्दू मान्यता अनुसार गंगा नदी सबके पाप मार्जन करती है और काशी में मृत्यु सौभाग्य से ही मिलती है और यदि मिल जाये तो आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो कर मोक्ष पाती है। [[इक्यावन शक्तिपीठ]] में से एक [[विशालाक्षी मंदिर]] यहां स्थित है, जहां भगवती [[सती]] की कान की मणिकर्णिका गिरी थी। वह स्थान [[मणिकर्णिका घाट]] के निकट स्थित है।<ref name=leaflet2/> हिन्दू धर्म में शाक्त मत के लोग देवी गंगा को भी [[दुर्गा|शक्ति]] का ही अवतार मानते हैं। जगद्गुरु [[आदि शंकराचार्य]] ने [[हिन्दू धर्म]] पर अपनी टीका यहीं आकर लिखी थी, जिसके परिणामस्वरूप हिन्दू पुनर्जागरण हुआ। काशी में [[वैष्णव]] और [[शैव]] संप्रदाय के लोग सदा ही धार्मिक सौहार्द से रहते आये हैं।
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भारत की सबसे बड़ी नदी [[गंगा]] करीब २,५२५ किलोमीटर की दूरी तय कर गोमुख से गंगासागर तक जाती है। इस पूरे रास्ते में गंगा उत्तर से दक्षिण की ओर यानि उत्तरवाहिनी बहती है।<ref name="यात्रा सलाह"/><ref name="कला केन्द्र"/> केवल वाराणसी में ही गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में बहती है। यहां लगभग ८४ घाट हैं। ये घाट लगभग ६.५ किमी लं‍बे तट पर बने हुए हैं। इन ८४ घाटों में पांच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्हें सामूहिक रुप से 'पंचतीर्थी' कहा जाता है। ये हैं अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, आदिकेशव घाट, पंचगंगा घाट तथा मणिकर्णिक घाट। अस्सी ‍घाट सबसे दक्षिण में स्थित है जबकि आदिकेशवघाट सबसे उत्तर में स्थित हैं।<ref>घाटों के सौंदर्य के संबंध में प्रख्यात कला समीक्षक श्री ई. बी. हैवेल ने कहा है -- ये घाट छः मील की परिधि में फैले प्रेक्षागृह की तरह शोभायमान होते हैं। प्रातःकाल, सुनहरी धूप में चमकते गंगा तट के मंदिर, मंत्रोच्चार और गायत्री जाप करते ब्राह्मणों और पूजा- पाठ में लीन महिलाओं के स्नान- ध्यान के क्रम के साथ ही दिन चढ़ता जाता है। पुष्प और पूजन सामग्रियों से सजे गंगा तट तथा पानी में तैरते फूलों की शोभा मनमोहक होती है।: [http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/kvj0049.htm काशी के घाट]</ref>
=== घाट ===
वाराणसी में १०० से अधिक घाट हैं। शहर के कई घाट [[मराठा साम्राज्य]] के अधीनस्थ काल में बनवाये गए थे। वर्तमान वाराणसी के संरक्षकों में मराठा, शिंदे ([[:श्रेणी:सिंधिया परिवार|सिंधिया]]), [[:श्रेणी:होल्कर परिवार|होल्कर]], [[:श्रेणी:भोंसले परिवार|भोंसले]] और [[पेशवा]] परिवार रहे हैं। अधिकतर घाट स्नान-घाट हैं, कुछ घाट अन्त्येष्टि घाट हैं। कई घाट किसी कथा आदि से जुड़े हुए हैं, जैसे मणिकर्णिका घाट, जबकि कुछ घाट निजी स्वामित्व के भी हैं। पूर्व [[काशी नरेश]] का शिवाला घाट और काली घाट निजी संपदा हैं। {{बनारस के घाट}}<ref name="कला केन्द्र">[http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/kvj0049.htm काशी के घाट]। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र। सुनील झा। अभिगमन तिथि:२९ अप्रैल, २०१०</ref><ref>[http://www.jagranyatra.com/?p=2014 बनारस : हर घाट का निराला है ठाठ]। जागयणयात्रा</ref>
{{Panorama
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वाराणसी मंदिरों का नगर है। लगभग हर एक चौराहे पर एक मंदिर तो मिल ही जायेगा। ऐसे छोटे मंदिर दैनिक स्थानीय अर्चना के लिये सहायक होते हैं। इनके साथ ही यहां ढेरों बड़े मंदिर भी हैं, जो वाराणसी के इतिहास में समय समय पर बनवाये गये थे। इनमें काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, ढुंढिराज गणेश, काल भैरव, दुर्गा जी का मंदिर, संकटमोचन, तुलसी मानस मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर, भारतमाता मंदिर, संकठा देवी मंदिर व विशालाक्षी मंदिर प्रमुख हैं।<ref name="जागरण मंदिर">[http://www.jagranyatra.com/?p=2018 शहर मंदिरों का]। जागरण यात्रा। अभिगमन तिथि:[[२९ अप्रैल]], [[२०१०]]</ref>
 
'''[[काशी विश्वनाथ मंदिर]]''', जिसे कई बार स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है,<ref name=route>{{cite web |url= http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/42205744.cms |title= द रिलीजियस रूट|accessdate=४ दिसंबर,दिसम्बर २००८|last= |first= |coauthors= |date= ३ अप्रैल, २००३|work= [[द टाइम्स ऑफ इंडिया]] |publisher=}}</ref> अपने वर्तमान रूप में १७८० में [[इंदौर]] की महारानी [[अहिल्या बाई होल्कर]]द वारा बनवाया गया था। ये मंदिर गंगा नदी के दशाश्वमेध घाट के निकट ही स्थित है। इस मंदिर की काशी में सर्वोच्च महिमा है, क्योंकि यहां विश्वेश्वर या विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इस ज्योतिर्लिंग का एक बार दर्शनमात्र किसी भी अन्य ज्योतिर्लिंग से कई गुणा फलदायी होता है। १७८५ में तत्कालीन गवर्नर जनरल [[वार्रन हास्टिंग्स]] के आदेश पर यहां के गवर्नर मोहम्मद इब्राहिम खां ने मंदिर के सामने ही एक नौबतखाना बनवाया था। १८३९ में [[पंजाब]] के शासक पंजाब केसरी [[महाराजा रणजीत सिंह]] इस मंदिर के दोनों शिखरों को स्वर्ण मंडित करवाने हेतु स्वर्ण दान किया था। २८ जनवरी, १९८३ को मंदिर का प्रशासन [[उत्तर प्रदेश]] सरकार नेल लिया और तत्कालीन काशी नरेश [[डॉ॰विभूति नारायण सिंह]] की अध्यक्षता में एक न्यास को सौंप दिया। इस न्यास में एक कार्यपालक समिति भी थी, जिसके चेयरमैन मंडलीय आयुक्त होते हैं।<ref>{{cite web |url=http://varanasi.nic.in/temple/KASHI.html |title=श्री काशिविश्वनाथ मंदिर, वाराणसी |publisher=राष्ट्रीय सूचना केन्द्र, भारत सरकार|accessdate=४ फरवरी,फ़रवरी २००७}}</ref>
 
इस मंदिर का ध्वंस मुस्लिम [[मुगल]] शासक [[औरंगज़ेब]] ने करवाया था और इसके अधिकांश भाग को एक मस्जिद में बदल दिया। बाद में मंदिर को एक निकटस्थ स्थान पर पुनर्निर्माण करवाया गया।
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इसका स्थापत्य उत्तर भारतीय हिन्दु वास्तु की [[नागर शैली]] का है। मंदिर के साथ ही एक बड़ा आयताकार जल कुण्ड भी है, जिसे दुर्गा कुण्ड कहते हैं। मंदिर का बहुमंजिला शिखर है<ref name=route/> और वह गेरु से पुता हुआ है। इसका लाल रंग शक्ति का द्योतक है। कुण्ड पहले नदी से जुड़ा हुआ था, जिससे इसका जल ताजा रहता था, किन्तु बाद में इस स्रोत नहर को बंद कर दिया गया जिससे इसमें ठहरा हुआ जल रहता है और इसका स्रोत अबव र्शषआ या मंदिर की निकासी मात्र है। प्रत्येक वर्ष [[नाग पंचमी]] के अवसर पर भगवान विष्णु और [[शेषनाग]] की पूजा की जाती है। यहां संत भास्कपरानंद की समाधि भी है। मंगलवार और शनिवार को दुर्गा मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ रहती है। इसी के पास हनुमान जी का संकटमोचन मंदिर है। महत्ता की दृष्टि से इस मंदिर का स्थागन काशी विश्वभनाथ और अन्नेपूर्णा मंदिर के बाद आता है।
 
'''[[संकटमोचन हनुमान मंदिर, वाराणसी|संकट मोचन मंदिर]]''' राम भक्त [[हनुमान]] को समर्पैत है और स्थानीय लोगों में लोकप्रिय है। यहां बहुत से धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन वार्षिक रूप से होते हैं। ७ मार्च, २००६ को इस्लामी आतंकवादियों द्वारा [[भारत में आतंकवाद#वाराणसी बम धमाके|शहर में हुए '''तीन विस्फोटों''']] में से एक यहां आरती के समय हुआ था। उस समय मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ थी। साथ ही एक विवाह समारोह भी प्रगति पर था।<ref>{{cite web |url= http://www.nytimes.com/2006/03/09/international/asia/09india.html?pagewanted=print |title= इंडियन सिटी शेकन बाय टेम्पल बॉम्बिंग्स|accessdate=४ दिसंबर,दिसम्बर २००८|last= सेनगुप्ता|first= सौमिनी|coauthors= |date= ९ मार्च, २००६|work= [[द न्यू यॉर्क टाइम्स]] |publisher=}}</ref>
 
'''व्यास मंदिर, रामनगर'''
प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब [[वेद व्यास]] जी को नगर में कहीं दान-दक्षिणा नहीं मिल पायी, तो उन्होंने पूरे नगर को श्राप देने लगे।<ref name = Goodearth/> उसके तुरंत बाद ही भगवान शिव एवं माता पार्वतीएक द पति रूप में एक घर से निकले और उन्हें भरपूर दान दक्षिणा दी। इससे ऋषि महोदय अतीव प्रसन्न हुए और श्राप की बात भूल ही गये।<ref name = Goodearth/> इसके बाद शिवजी ने व्यासजी को काशी नगरी में प्रवेश निषेध कर दिया।<ref name = Goodearth/> इस बात के समाधान रूप में व्यासजी ने गंगा के दूसरी ओर आवास किया, जहां रामनगर में उनका मंदिर अभी भी मिलता है।<ref name = Goodearth/>
 
[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] के परिसर में नया विश्वनाथ मंदिर बना है, जिसका निर्माण [[बिरला परिवार]] के राजा बिरला ने करवाया था।<ref>{{cite web |url=http://www.indnav.com/servlet/Browse?mt=goToName&name=Birla+Temple+(new+Vishwanath+Temple) |title=बिड़ला मंदिर (नया विश्वनाथ मंदिर) |accessdate=४ फरवरी,फ़रवरी २००७}}</ref> ये मंदिर सभी धर्मों और जाति के लोगों के लिये खुला है।
 
== कला एवं साहित्य ==
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वाराणसी की संस्कृति कला एवं साहित्य से परिपूर्ण है। इस नगर में महान भारतीय लेखक एवं विचारक हुए हैं, [[कबीर]], [[रविदास]], [[तुलसीदास]] जिन्होंने यहां [[रामचरितमानस]] लिखी, कुल्लुका भट्ट जिन्होंने [[१५वीं शताब्दी]] में [[मनुस्मृति]] पर सर्वश्रेष्ठ ज्ञात टीका यहां लिखी<ref>[http://dsal.uchicago.edu/reference/gazetteer/pager.html?objectid=DS405.1.I34_V02_297.gif द इण्डियन एम्पायर], द इम्पीरियल गैज़ेटियर ऑफ इण्डिया, १९०९, संस्क.द्वितीय, पृ.२६२</ref> एवं [[भारतेन्दु हरिशचंद्र]] और आधुनिक काल के [[जयशंकर प्रसाद]], [[आचार्य रामचंद्र शुक्ल]], [[मुंशी प्रेमचंद]], जगन्नाथ प्रसाद रत्नाकर, [[देवकी नंदन खत्री]], [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]], तेग अली, क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय, [[वागीश शास्त्री]], [[बलदेव उपाध्याय]], सुमन पांडेय (धूमिल) एवं [[विद्या निवास मिश्र]] और अन्य बहुत।
 
यहां के कलाप्रेमियों और इतिहासवेत्ताओं में [[राय कृष्णदास]], उनके पुत्र [[आनंद कृष्ण]], संगीतज्ञ जैसे ओंकारनाथ ठाकुर<ref>{{cite web | url=http://www.culturopedia.com/personalities/indianpersonality-omkarnaththakur.html | title=ओंकारनाथ ठाकुर | publisher=कल्चरोपीडिया | accessdate=१ मई, २००९}}</ref>, [[रवि शंकर]], [[बिस्मिल्लाह खां]], [[गिरिजा देवी]], [[सिद्देश्वरी देवी]], [[लालमणि मिश्र]] एवं उनके पुत्र [[गोपाल शंकर मिश्र]], [[एन राजम]], राजभान सिंह, अनोखेलाल,<ref>{{cite web | url=www.parrikar.org/vpl/profiles/anokhelal_profile.pdf | title=अनोखेलाल मिश्र | publisher=राजन पार्रिकर म्यूज़िक आर्काइव | accessdate=१ मई, २००९}}</ref> [[समता प्रसाद]]<ref>{{cite web | url=http://kippen.org/t_masters/samtaprasad.html | title=समता प्रसाद | publisher=kippen.org | accessdate=१ मई, २००९}}</ref>, [[कांठे महाराज]], एम.वी.कल्विंत, [[सितारा देवी]], [[गोपी कृष्ण]], [[कृष्ण महाराज]], [[राजन एवं साजन मिश्र]], महादेव मिश्र एवं बहुत से अन्य लोगों ने नगर को अपनी ललित कलाओं के कौशल से जीवंत बनाए रखा। नगर की प्राचीन और लोक संस्कृति की पारंपरिक शैली को संरक्षित किये ढेरों उत्सव और त्यौहार यहां मनाये जाते हैं। रात्रिकालीन, संगीत सभाएं आदि संकटमोचन मंदिर, [[होरी]], [[कजरी]], [[चैती]] मेला, बुढ़वा मंगल यहां के अनेक पर्वों में से कुछ हैं जो वार्षिक रूप से सभी जगहों से पर्यटक एवं शौकीनों को आकर्षित करते हैं।
 
महान [[शल्य चिकित्सक]] [[सुश्रुत]], जिन्होंने शल्य-क्रिया का [[संस्कृत]] ग्रन्थ [[सुश्रुत संहिता]] लिखा था; वाराणसी में ही आवास करते थे।<ref>[http://dsal.uchicago.edu/reference/gazetteer/pager.html?objectid=DS405.1.I34_V02_605.gif सुश्रुत] द इम्पीरियल गैज़ेटियर ऑफ इण्डिया, १९०९, संस्क.द्वितीय, पृ.५७०</ref>
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== जनसांख्यिकी ==
वाराणसी शहरी क्षेत्र की २००१ के अनुसार जनसंख्या १३,७१,७४९ थी; और [[लिंग अनुपात]] ८७९ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष था।<ref name=censusmillioncities>{{cite web |url=http://www.censusindia.gov.in/|title=अर्बन एग्लोमरेशंस/२००१ में १० लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर |accessdate=१८ अगस्त, २००६ |date= २५ जुलाई, २००१ |work=[[भारत की जनगणना]]-२००१ (प्रावधानिक) |publisher=महालेखाधिकारी कार्यालय, भारत}}</ref> [[वाराणसी नगर निगम]] के अधीनस्थ क्षेत्र की जनसंख्या ११,००,७४८<ref name=uptownscensus1>{{cite web |url=http://www.censusindia.gov.in/|title=जनसंख्या, आयु समूह ०&ndash;६ एवं लिंगानुसार साक्षर – शहरी एग्लोमरेशंस /टाउन: २००१ |accessdate=१७ अगस्त, २००६ |format=पीडीएफ़ |work=[[भारत की जनगणना]]- २००१ (प्रावैधानिक) |publisher= महालेखाधिकारी कार्यालय, भारत |pages=५३-५४}}</ref> जिसका लिंग अनुपात ८८३ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष था।<ref name=uptownscensus1/> शहरी क्षेत्र में [[साक्षरता दर]] ७७% और निगम क्षेत्र में ७८% थी।<ref name=uptownscensus1/> निगम क्षेत्र के लगभग १,३८,००० लोग झुग्गी-झोंपड़ियों में रहते हैं।<ref name=censusmillionslums>{{cite web |url=http://www.censusindia.gov.in/|title=दस लाख प्लस नगरों में झुग्गी-झोंपड़ी जनसंख्या (नगर पालिकाएं): भाग-ए |accessdate=८ अगस्त, २००६ |date= २२ जनवरी, २००२|work==[[भारत की जनगणना]]- २००१ (प्रावैधानिक) |publisher= महालेखाधिकारी कार्यालय, भारत }}</ref> वर्ष २००४ की अपराध दर १२८.५ प्रति १ लाख थी; जो राज्य की दर ७३.२ से अधिक है, किन्तु राष्ट्रीय अपराध दर १६८.८ से कहीं कम है।<ref name=ncrb>{{cite book | author =राष्ट्रीय अपराध आंकड़े ब्यूरो |year=२००४ |title=क्राइम इन इण्डिया - २००४ |chapter=क्राइम इन मेगा सिटीज़ | chapterurl = http://ncrb.nic.in/crime2004/cii-2004/CHAP2.pdf | pages= १५८|publisher=गृह मंत्रालय, भारत सरकार | accessdate=१८ अगस्त, २००६}}</ref>
 
== परिवहन ==
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* १९७८ की सुपरहिट हिन्दी चलचित्र [[डॉन]] का गाना ''खईके पान बनारस वाला'' [[अमिताभ बच्चन]] के साथ बनारसी पान की प्रशंसा में गाया गया था और बहुत लोकप्रिय हुआ था।
* पंडित [[विकास महाराज]] के संयोजन "गंगा" पर बनी डॉक्युमेंट्री फिल्म होलीवॉटर यहीं बनी थी।
* [[:en: Krishna Das (singer)|कृष्ण दास]] द्वारा गाया गया गीत "काशी विश्वनाथ गंगे" सीडी ''ब्रॅथ ऑफ द हार्ट'' में निकला था<ref>{{cite web|url=http://www.krishnadas.com/notes.cfm?CID=breathoftheheart&TID=breath4|title=टैक्स्ट एण्ड इन्फ़ॉर्मेशन|accessdate=२४ जून, २००७}}</ref>
* [[:en: Geoff Dyer|जेयॉफ डायर]] की २००९ में निकली पुस्तक: ''जैफ इन वेनिस, डेथ इन वाराणसी'' आधी बनारस पर लिखी है।
* विजय सिंह के उपन्यास ''जय गंगा, इन सर्च ऑफ द रिवर गॉडेस'' एवं क्लासिकल चलचित्र ''[[:en: Jaya Ganga|जय गंगा]]'' आंशिक रूप सए बनारस पर बनी हैं। इसमें यहां के घाटों के अच्छे दृश्य हैं।