"विश्वज्ञानकोश": अवतरणों में अंतर
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स्वराज्य प्राप्ति के बाद भारतीय विद्वानों का ध्यान आधुनिक भाषाओं के साहित्यों के सभी अंगों को पूरा करने की ओर गया और आधुनिक भारतीय भाषाओं में विश्वकोश निर्माण का श्रीगणेश हुआ। स्वतंत्रताप्राप्ति के पश्चात् कला एवं विज्ञान की वर्धनशील ज्ञानराशि से भारतीय जनता को लाभान्वित करने के लिए आधुनिक विश्वकोशों के प्रणयन की योजनाएँ बनाई गईं। सन् 1947 में ही एक हजार पृष्ठों के 12 खंडों में प्रकाश्य [[तेलुगु]] भाषा के विश्वकोश की योजना निर्मित हुई। [[तमिल]] में भी एक विश्वकोश के प्रणयन का कार्य प्रारंभ हुआ।
इसी क्रम में [[नागरी प्रचारिणी सभा]], वाराणसी ने सन् १९५४ में हिंदी में मौलिक तथा प्रामाणिक विश्वकोश के प्रकाशन का प्रस्ताव भारत सरकार के सम्मुख रखा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया और उसकी पहली बैठक ११
==== हिंदी विश्वकोश ====
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