"हिन्दी पत्रकारिता": अवतरणों में अंतर
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[[भारत|भारतवर्ष]] में आधुनिक ढंग की [[पत्रकारिता]] का जन्म अठारहवीं शताब्दी के चतुर्थ चरण में [[कोलकाता|कलकत्ता]], [[मुम्बई|बंबई]] और [[चेनै|मद्रास]] में हुआ। 1780 ई. में प्रकाशित हिके (Hickey) का "कलकत्ता गज़ट" कदाचित् इस ओर पहला प्रयत्न था। [[हिंदी]] के पहले पत्र '''[[उदंत मार्तण्ड]]''' (1826) के प्रकाशित होने तक इन नगरों की ऐंग्लोइंडियन [[अंग्रेजी]] पत्रकारिता काफी विकसित हो गई थी।
इन अंतिम वर्षों में [[फारसी भाषा]] में भी पत्रकारिता का जन्म हो चुका था। 18वीं शताब्दी के फारसी पत्र कदाचित् हस्तलिखित पत्र थे। 1801 में 'हिंदुस्थान इंटेलिजेंस ओरिऐंटल ऐंथॉलॉजी' (Hindusthan Intelligence Oriental Anthology) नाम का जो संकलन प्रकाशित हुआ उसमें उत्तर भारत के कितने ही "अखबारों" के उद्धरण थे। 1810 में मौलवी इकराम अली ने कलकत्ता से लीथो पत्र "हिंदोस्तानी" प्रकाशित करना आरंभ किया। 1816 में गंगाकिशोर भट्टाचार्य ने "[[बंगाल गजट]]" का प्रवर्तन किया। यह पहला बंगला पत्र था। बाद में [[श्रीरामपुर]] के पादरियों ने प्रसिद्ध प्रचारपत्र "समाचार दर्पण" को (27 मई
यह स्पष्ट है कि हिंदी पत्रकारिता बहुत बाद की चीज नहीं है। दिल्ली का "उर्दू अखबार" (1833) और [[मराठी]] का "दिग्दर्शन" (1837) हिंदी के पहले पत्र "[[उदंत मार्तंड]]" (1826) के बाद ही आए। "उदंत मार्तंड" के संपादक पंडित जुगलकिशोर थे। यह साप्ताहिक पत्र था। पत्र की भाषा पछाँही हिंदी रहती थी, जिसे पत्र के संपादकों ने "मध्यदेशीय भाषा" कहा है। यह पत्र 1827 में बंद हो गया। उन दिनों सरकारी सहायता के बिना किसी भी पत्र का चलना असंभव था। कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को डाक आदि की सुविधा दे रखी थी, परंतु चेष्टा करने पर भी "उदंत मार्तंड" को यह सुविधा प्राप्त नहीं हो सकी।
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