"देवीमाहात्म्य": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
[[चित्र:Durga Mahisasuramardini.JPG|right|thumb|300px200px|'महिषासुरमर्दिनी' के रूप में चित्रित देवी दुर्गा]]
सुरथ नाम के एक राजा का राज्य छिन जाने और जान पर संकट आ जाने पर वह राजा भाग कर जंगल चला जाता है! ज्ञानी राजा को अपनी परिस्थति का सही ज्ञान है। वह निश्चित रूप से समझता है कि उसे पुनः अपना राज्य अथवा कोई सम्पति वापस नहीं मिलने वाली है! किन्तु फिर भी उसे बार-बार उन्ही वस्तुओं, व्यक्तियों और खजाने अदि की चिंता सताती रहती है। राजा जिसे निरर्थक समझता है और मुक्त रहना चाहता है, उसके विपरीत उसका मन उसके ज्ञान की अवहेलना कर बस उन्ही बस्तुओ की ओर खीचा जाता है| ज्ञानी राजा सुरथ अपनी असाधारण शंका को लेकर परम ज्ञानी मेघा ऋषि के पास जाते है। ऋषि उन्हें बताते है की वह विशेष शक्ति भगवन की क्रियाशील शक्तितर से परे महामाया है जो सारे संसार को जोड़ती है, पूरी सृष्टि को संचालित, संघृत और नियंत्रित करती है। सारे जीव-जन्तु उसी की प्रेरणा से कार्य करते हैं |
 
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://sanskritdocuments.org/all_sa/durga700_sa.html '''दुर्गा सप्तशती''' का मूल पाठ]
* [http://www.gitapress.org/books/paath/118/durga_saptashati.pdf '''दुर्गासप्तशती'''] (सचित्र, हिन्दी अनुवाद एवं पाठ-विधि सहित; [[गीता प्रेस]], गोरखपुर)
* [http://sanskritdocuments.org/all_sa/durga700_meaning_sa.html '''दुर्गा सप्तशती ''' का अंग्रेजी अनुवाद]