"इज़राइल का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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{{मुख्य|क्रूसेड}}
 
इसके पश्चात् सन् 1147 ई. से लेकर सन् 1204 तक ईसाइयों ने धर्मयुद्धों (क्रूसेडों) द्वारा इज़रायल पर कब्जा करना चाहा किंतु उन्हें सफलता नीं मिली। सन् 1212 ई. में ईसाई महंतों ने 50 हजार किशोरवयस्क बालक और बालिकाओं की एक सेना तैयार करके पाँचवें धर्मयुद्ध की घोषणा की। इनमें से अधिकांश बच्चे [[भूमध्यसागर]] में डूबकर समाप्त हो गए। इसके बाद इस पवित्र भूमि पर आधिपत्य करकेकरने के लिए ईसाइयों ने चार असफल धर्मयुद्ध और किए।
 
13वीं और 14वीं शताब्दी में [[हुलाकू]] और उसके बाद [[तैमूर लंग]] ने [[जेरूसलम]] पर आक्रमण करके उसे नेस्तनाबूद कर दिया। इसके पश्चात् 19वीं शताब्दी तक इज़रायल पर कभी [[मिस्र|मिस्री]] आधिपत्य रहा और कभी तुर्क। सन् 1914 में जिस समय [[प्रथम विश्वयुद्ध|पहला विश्वयुद्ध]] हुआ, इज़रायल [[तुर्की]] के कब्जे में था।
 
== ब्रिटेन के अधीनता एवं नये राष्ट्र का उदय ==
[[चित्र:PalestinePostBalfour Israelportrait isand borndeclaration.jpgJPG|thumb|right|600px400px|पलेस्टाइनबालफोर पोस्टतथा मेंउनकी इसरायलघोषणा के जन्म की ख़बर(१९१७)]]
[[चित्र:UN Partition Plan For Palestine 1947.png|thumb|right|400px|संयुक्त राष्ट्रसंघ की फिलिस्तीन के विभाजन की योजना (१९४७)]]
सन् 1917 में ब्रिटिश सेनाओं ने इस पर अधिकार कर लिया। 2 नवम्बर सन् 1917 को ब्रिटिश विदेश मंत्री [[बालफ़ोर]] ने यह घोषणा की कि इज़रायल को ब्रिटिश सरकार यहूदियों का धर्मदेश बनाना चाहती है जिसमें सारे संसार के यहूदी यहाँ आकर बस सकें। मित्रराष्ट्रों ने इस घोषण की पुष्टि की। इस घोषणा के बाद से इज़रायल में यहूदियों की जनसंख्या निरंतर बढ़ती गई। लगभग 21 वर्ष (दूसरे विश्वयुद्ध) के पश्चात् मित्रराष्ट्रों ने सन् 1948 में एक इज़रायल नामक यहूदी राष्ट्र की विधिवत् स्थापना की।
 
5 जुलाई सन 1950 को इज़रायल की पार्लामेंट ने एक नया कानून बनाया जिसके अनुसार संसार के किसी कोने से यहूदियों को इज़रायल में आकर बसने की स्वतंत्रता मिली। यह कानून बन जाने के सात वर्षों के अंदर इज़रायल में सात लाख यहूदी बाहर के देशों से आकर बसे। इज़रायल में जनतंत्री शासन है। वहाँ एकसंसदीय पार्लामेंट है जिसे "सेनेट" कहते हैं। इसमें 120 सदस्य सानुपातिक प्रतिनिधान की चुनाव प्रणाली द्वारा प्रति चार वर्षों के लिए चुने जाते हैं। इज़रायल का नया जनतंत्र एक ओर आधुनिक वैज्ञानिक साधनों के द्वारा देश को उन्नत बनाने में लगा हुआ है तो दूसरी ओर पुरानी परंपराओं को भी उसने पुनर्जीवन दिया है, जिनमें से एक है शनिवार को सारे कामकाज बंद कर देना। इस प्राचीन नियम के अनुसार आधुनिक इज़रायल में शनिवार के पवित्र "सैबथ" के दिन रेलगाड़ियाँ तक बंद रहती हैं।
 
इज़रायल में जनतंत्री शासन है। वहाँ एकसंसदीय पार्लामेंट है जिसे "सेनेट" कहते हैं। इसमें 120 सदस्य सानुपातिक प्रतिनिधान की चुनाव प्रणाली द्वारा प्रति चार वर्षों के लिए चुने जाते हैं। इज़रायल का नया जनतंत्र एक ओर आधुनिक वैज्ञानिक साधनों के द्वारा देश को उन्नत बनाने में लगा हुआ है तो दूसरी ओर पुरानी परंपराओं को भी उसने पुनर्जीवन दिया है, जिनमें से एक है [[शनिवार]] को सारे कामकाज बंद कर देना। इस प्राचीन नियम के अनुसार आधुनिक इज़रायल में शनिवार के पवित्र "[[सैबथ]]" के दिन रेलगाड़ियाँ तक बंद रहती हैं।
यहूदियों ने ही पश्चिमी धर्मों में नबियों और पैगंबरों तथा इलहामी शासनों का आरंभ और प्रचार किया। उनके नबियों ने, विशेषकर छठी सदी ई.पू. के नबियों ने जिस साहस और निर्भीकता से श्रीमानों और असूरी सम्राटों को धिक्कारा है और जो बाइबिल की पुरानी पोथी में आज भी सुरक्षित है, उसका संसार के इतिहास में सानी नहीं। उन्होंने ही नेबुखदनेज्ज़ार की अपनी बाबुली कैद में बाइबिल के पुराने पाँच खंड (पेंतुतुख) प्रस्तुत किए। इसी से बाबुल के संबध से ही संभवत: बाइबिल का यह नाम पड़ा।
 
यहूदियों ने ही पश्चिमी धर्मों में [[नबी|नबियों]] और [[पैगम्बर|पैगंबरों]] तथा इलहामी शासनों का आरंभ और प्रचार किया। उनके नबियों ने, विशेषकर छठी सदी ई.पू. के नबियों ने जिस साहस और निर्भीकता से श्रीमानों और असूरी सम्राटों को धिक्कारा है और जो [[बाइबिल]] की पुरानी पोथी में आज भी सुरक्षित है, उसका संसार के इतिहास में सानी नहीं। उन्होंने ही नेबुखदनेज्ज़ार की अपनी बाबुली कैद में बाइबिल के पुराने पाँच खंड (पेंतुतुख) प्रस्तुत किए। इसी से बाबुल के संबध से ही संभवत: बाइबिल का यह नाम पड़ा।
 
== स्वतंत्रता ==
सन्‌ 1948 ई. से पहले फिलिस्तीन (इज़रायल जिसका आजकल एक भाग है) [[ब्रिटेन]] के औपनिवेशिक प्रशासन के अंतर्गत एक अधिष्ठित (मैनडेटेड) क्षेत्र था। यहूदी लोग एक लंबे अरसे से फिलिस्तीन क्षेत्र में अपने एक निजी राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रयत्नशील थे। इसी उद्देश्य को लेकर संसार के विभिन्न भागों से आकर यहूदी फिलिस्तीनी इलाके में बसने लगे। अरब राष्ट्र भी इस स्थिति के प्रति सतर्क थे। फलत: 1947 ई. में अरबों और यहूदियों के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया। '''14 मई 1948''' ई. को अधिवेश (मैनडेट) समाप्त कर दिया गया और इज़रायल नामक एक नए देश अथवा राष्ट्र का उदय हुआ। युद्ध जनवरी, 1949 ई. तक जारी रहा। न तो किसी प्रकार की शांतिसंधि हुई, न ही किसी अरब राष्ट्र ने इज़रायल से राजनयिक संबंध स्थापित किए। अलबत्ता संयुक्त राष्ट्रसंघीय युद्धविराम--पर्यवेक्षक--संगठन इस क्षेत्र में शांति स्थापना का कार्य करता है।
 
'''सन्‌ 1957''' में इज़रायल ने पुन: [[ब्रिटेन]] तथा [[फ्रांस]] से मिलकर स्वेज की लड़ाई में गाजा क्षेत्र में अधिकार कर लिया, परंतु [[संयुक्त राष्ट्रसंघ]] के आज्ञानुसार उसे इस भाग को अंतत: छोड़ना पड़ा। प्रथम युद्ध एक प्रकार से समाप्त हो गया, लेकिन अप्रत्यक्ष तनातनी बनी रही।
 
'''1967 ई.''' में स्थिति बहुत खराब हो गई और इज़रायल-सीरिया-सीमाक्षेत्र में हुई झड़पों के बाद मिस्र ने इज़रायल की सीमा पर अपनी सेना बड़ी संख्या में तैनात कर दी। राष्ट्रसंघीय पर्यवेक्षक दल को निष्कासित कर दिया गया और रक्तसागर[[लाल सागर|रक्त सागर]] में इज़रायल की जहाजरानी पर [[मिस्र]] द्वारा रोक लगा दी गई। 5-6 जून की रात्रि को इज़रायल ने मिस्र पर जमीनी और हवाई आक्रमण शुरू कर दिए। [[जार्डन]] भी इज़रायल के विरुद्ध युद्ध में सम्मिलित हो गया और [[सीरिया]] की सीमाओं पर भी लड़ाई जारी हो गई। 11 जून को राष्ट्रसंघ द्वारा की गई युद्धविराम की अपील लगभग सभी युद्धरत राष्ट्रों ने स्वीकार कर ली। लेकिन इस समय तक इज़रायल [[गाज़ा पट्टी]], [[स्वेज़ नहर]] के तट तक सिनाई प्रायद्वीप के भूभाग, जार्डन घाटी तक जार्डन के भूभाग, [[जेरूसलम]] तथा [[गैलिली सागर]] के पूर्व में स्थित सीरिया के [[गालन]] नामक पर्वतीय भाग (जिसमें क्यूनेत्रा नामक नहर भी है) पर अधिकार कर चुका था। जेरूसलम को तत्काल इज़रायल का अभिन्न अंग घोषित कर दिया गया, लेकिन शेष विलितविजित इलाके को 'अधिकृत क्षेत्र' के रूप में ही रखा गया।
 
फरवरी, 1969 ई. में लेवी एश्कोल की मृत्यु हो जाने पर श्रीमती गोलडा मायर इज़रायल की प्रधानमंत्री नियुक्त हुईं और अक्टूबर, 1969 ई. के चुनाव में उन्हें पुन: प्रधानमंत्री चुन लिया गया। युद्ध-विराम-रेखा पर और विशेष रूप से अधिकृत स्वेज़ क्षेत्र में इज़रायलियों तथ अरब राष्ट्रों एवं फिलिस्तीनी गुरिल्ला संगठन के बीच छोटी -मोटी झड़पें चलती रहीं जिनका अंत अगस्त, 1970 ई. में हुए युद्धविराम समझौते के बाद ही हुआ। किंतु मध्यपूर्व की वर्तमान स्थिति तब तक विस्फोटक बनी रहेगी, जब तक यहाँ की समस्याओं का कोई स्थायी राजनीतिक समाधान नहीं खोज लिया जाता।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन]] (PLO)
* [[अरब-इजराइल युद्ध (१९४८)]]
* [[छः दिवसीय युद्ध]]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.namasteisrael.com/israel.html स्वतंत्रता के पश्चात इजराइल का इतिहास]
* [http://www.padtaal.com/story/israel-palestine-endless-story-of-struggle/ इजरायल-फिलिस्तीन : संघर्ष की अंतहीन कथा]
* [http://panchjanya.com//Encyc/2014/9/27/इतिहास-दृष्टि---ऐतिहासिक-परिप्रेक्ष्य-में-इस्रायल-फिलस्तीन-संबंध.aspx ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में इस्रायल-फिलस्तीन संबंध]
 
[[श्रेणी:इतिहास]]