"वर्गिकी": अवतरणों में अंतर
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जिस तरह कार्यालयों में भिन्न भिन्न कार्य संबंधी लिखित पत्र पृथक्-पृथक् फाइलों में रखे जाते हैं, उसी तरह अध्ययन के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न जातियों के जंतु और पौधे विभिन्न श्रेणियों में रखे जाएँ। इस तरह जंतुओं और पादप के वर्गीकरण को '''वर्गिकी''' (Taxonomy), या '''वर्गीकरण विज्ञान''' कहते हैं। [[अंग्रेजी]] में वर्गिकी के लिए दो शब्दों का उपयोग होता है, एक है टैक्सॉनोमि (Taxonomy) और दूसरा सिस्टेमैटिक्स (Systematics)। टैक्सॉनोमि शब्द ग्रीक शब्द "टैक्सिस", जिसका अर्थ है क्रम से रखना और "नोमोस", जिसका अर्थ है नियम, के जोड़ से हुआ है। अत: टैक्सॉनोमि का अर्थ हुआ क्रम से रखने का नियम। सन् 1813 में कान्डॉल (Candolle) ने इस शब्द का प्रयोग पादप वर्गीकरण के लिए किया था। सिस्टेमैटिक्स शब्द "सिस्टैमा" से बना है। यह लैटिन-ग्रीक शब्द है। इसका प्रयोग प्रारंभिक प्रकृतिवादियों ने वर्गीकरण प्रणाली के लिए किया था। लिनीअस (Linnaeus) ने 1735 ई. में ""सिस्टेमा नैचुरी"" (Systema Naturee) नामक पुस्तक सिस्टेमैटिक्स शब्द के आधार पर लिखी थी। आधुनिक युग में ये दोनों शब्द पादप और जंतुवर्गीकरण के लिए प्रयुक्त होते हैं।
==वर्गिकी के उपयोग==
मूलतः वर्गिकी का उपयोग जीव-जन्तुओं के वर्गीकरण में हुआ। किन्तु आजकल इसे व्यापक अर्थ में प्रयोग किया जाता है। इसे ज्ञान के विविध क्षेत्रों में प्रयोग में लाया जाता है। अतः वस्तुओं व सिद्धान्तों (और लगभग किसी भी चीज) का भी वर्गीकरण किया जा सकता है।
==जन्तु वर्गिकी==
वर्गिकी का मूल निर्माण आकारकी या [[आकृतिविज्ञान]] (morphology), [[क्रियाविज्ञान]] (physiology), [[परिस्थितिकी]] (ecology) और [[आनुवंशिकी]] ((genetics) पर आधारित है। अन्य वैज्ञानिक अनुशासनों की तरह यह भी अनेक प्रकार के ज्ञान, मत और प्रणालियों का [[संश्लेषण]] है, जिसका प्रयोग वर्गीकरण के क्षेत्र में होता है। [[जीवविज्ञान]] संबंधी किसी प्रकार के विश्लेषण का प्रथम सोपान है सुव्यवस्थित ढंग से उसका वर्गीकरण; अत: पादप, या जंतु के अध्ययन का पहला कदम है उसका नामकरण, वर्गीकरण और तब वर्णन।
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वर्णित जंतुओं की जातियाँ गिनती में पादप जातियों से कहीं अधिक हैं। उपजातियों को मिलाकर 20 लाख से अधिक जंतुजातियों के नाम ज्ञात हैं और प्रति वर्ष लगभग 10, 000 नई जातियों का वर्णन होता है।
==वर्गीकरण का इतिहास==
वर्गीकरण विज्ञान का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानव का इतिहास। समझ बूझ होते ही मनुष्य ने आस पास के जंतुओं और पौधों को पहचानना तथा उनको नाम देना प्रारंभ किया।
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