"श्लेष अलंकार": अवतरणों में अंतर

नया पृष्ठ: जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक [[...
 
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पंक्ति 4:
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।
 
यहां पानी का प्रयोग एकतीन बार ही किया गया है, किन्तु उसकेदूसरी पंक्ति में प्रयुक्त पानी शब्द के तीन अर्थ हैं - मोती के लिये पानी का अर्थ चमक, मनुष्य के लिये इज्जत (सम्मान) और चूने के लिये पानी(जल) है।
अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।
 
 
[http://kantila.blogspot.com "वह प्रकृति जिसको ढूंढ रहा था मैं अब तक,है संयोग से मेरे साथ मगर मैं तन्हा हूँ।"] <br>
उक्त उद्हरण में प्रकृति का संयोगवश साथ होना सामान्य अर्थ प्रतीत होता है किन्तु इसके दूसरे अर्थ में प्रकृति कवि कंटीला की सुपुत्री व संयोग धर्मपत्नि का नाम है और पत्नी के माध्यम से पुत्री का साथ होना ही इसका वास्तविक अर्थ है।
[[श्रेणी: अलंकार]]