"चौधरी चरण सिंह": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: "बाहरी कड़ियाँ" अनुभाग का शीर्षक ठीक किया। |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: माह का नाम अधिक प्रचलित रूप में बदला। |
||
पंक्ति 3:
| name=चौधरी चरण सिंह
| image=चरण-सिंह.jpg
| birth_date =[[23
| birth_place =[[चित्र:Flag_of_Imperial_India.svg|22x20px|Flag of British India]] [[नूरपुर]], [[ब्रिटिश राज|ब्रिटिश भारत]]
| death_date =[[29 मई]] [[1987]]
पंक्ति 20:
चरण सिंह का जन्म एक [[जाट]] परिवार मे हुआ था। [[भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम|स्वाधीनता]] के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। स्वतन्त्रता के पश्चात् वह [[राम मनोहर लोहिया]] के [[ग्रामीण सुधार आन्दोलन]] में लग गए।
बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव, तहसील हापुड़, जनपद गाजियाबाद, कमिश्नरी [[मेरठ]] में काली मिट्टी के अनगढ़ और फूस के छप्पर वाली मढ़ैया में 23 दिसम्बर,1902 को आपका जन्म हुआ। चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था। चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द गांव आकर बस गये थे। यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ। [[आगरा विश्वविद्यालय]] से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक [[गाजियाबाद]] में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकद्मों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था। कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा [[सविनय अवज्ञा आन्दोलन]] के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया। गाँधी जी ने ‘‘डांडी मार्च‘‘ किया। आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने [[महात्मा गाँधी]] के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफतार हुए फिर
== राजनीतिक जीवन ==
कांग्रेस के लौहर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ था, जिससे प्रभावित होकर युवा चौधरी चरण सिंह राजनीति में सक्रिय हो गए। उन्होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में जब महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया तो उन्होंने हिंडन नदी पर नमक बनाकर उनका साथ दिया। जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा।<ref name="jagaran" />
|