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[[चित्र:Soybeanvarieties.jpg|thumbnail|[[सोयाबीन]] जैसे [[फली (लैग्यूम)|लेग्यूम्स]] में आहारीय रेशा भरपूर मात्रा में उपस्थित होता है]]
'''आहारीय रेशा''', [[आहार]] में उपस्थित रेशे तत्त्व को कहते हैं। ये पौधों से मिलने वाले ऐसे तत्व हैं जो स्वयं तो अपाच्य होते हैं, किन्तु मूल रूप से [[पाचन क्रिया]] को सुचारू बनाने का अत्यावश्यक योगदान करते हैं। रेशे शरीर की कोशिकाओं की दीवार का निर्माण करते हैं। इनको एन्ज़ाइम भंग नहीं कर पाते हैं। अतः ये अपाच्य होते हैं।<ref name="हैल्थ">[http://www.healthandtherapeutic.com/readarticle.php?article_id=406 भोजन के अंग-आहारीय रेशा]।{{हिन्दी चिह्न}}। हेल्थ एण्ड थेराप्यूटिक। अभिगमन तिथि:[[११ अक्तूबरअक्टूबर]], [[२००९]]</ref> कुछ समय पूर्व तक इन्हें आहार के संबंध में बेकार समझा जाता था, किन्तु बाद की शोधों से ज्ञात हुआ कि इनमें अनेक यांत्रिक एवं अन्य विशेषतायें होती हैं, जैसे ये शरीर में जल को रोक कर रखते हैं, जिससे अवशिष्ट (मल) में पानी की कमी नहीं हो पाती है और [[कब्ज]] की स्थिति से बचे रहते हैं।<ref name="हैल्थ"/>
 
रेशे वाले भोजन स्रोतों को प्रायः उनके घुलनशीलता के आधार पर भी बांटा जाता है। ये रेशे '''घुलनशील''' और '''अघुलनशील''' होते हैं। ये दोनों तत्व पौधों से मिलने वाले रेशों में पाए जाते हैं। सब्जियां, गेहू और अधिकतर अनाजों में घुलनशील रेशे की अपेक्षा अघुलनशील रेशा होता है। स्वास्थ्य में योगदान की दृष्टि से दोनों तरह के रेशे अपने-अपने ढंग से काम करते हैं। जहां घुलनशील रेशे से संपूर्ण स्वास्थय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, वहीं अघुलनशील रेशे से [[मोटापा]] संबंधी समस्या भी बढ़ सकती है। अघुलनशील रेशे पाचन में मदद करते है और कब्ज कम करते है। घुलनशील रेशे सीरम कोलेस्ट्राल कम करते है और अच्छे [[कोलेस्ट्राल]] (एच.डी.एल) का अनुपात बढाते है। भोजन में उच्च रेशे वाले आहार से वजन नियंत्रित होता है। ऐसे भोजन को अधिक चबाना पड़ता है एवं अधिक ऊर्जा व्यय होती है। इसके साथ ही रेशा [[इन्सुलिन]] के स्तर कोप भी गिराता है, जिससे भूख पर नियंत्रण रहता है, तथा उच्च रेशा आहार पेट में अधिक समय तक रहते हैं, जिससे पेट भरे होने का अहसास भी रहता है।<ref name="हैल्थ"/> रेशा मल निर्माण को भी प्रभावित करता है और इसे अधिक भारी बनाता है। मल जितना भारी होगा, आंतों से निकलने में उसे उतना ही समय लगेगा। गेहू की चोकर उच्च रेशे से परिपूर्ण होने के कारण मल का भार बढाने में मदद करती है। उसी मात्रा के गाजर या बन्दगोभी के रेशे से दूगनी प्रभावशील है। हिप्पोक्रेटज के अनुसार सम्पूर्ण अनाज की डबल रोटी आंत को साफ़ कर देती है।
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<references />
== बाहरी सूत्र ==
* [http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-75968.html डाइटरी फाइबर ]।{{हिन्दी चिह्न}}। हिन्दुस्तान लाइव।[[११ अक्तूबरअक्टूबर]], [[२००९]]
 
[[श्रेणी:पोषण]]