"जम्मू (विभाग)": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: दिनांक लिप्यंतरण और अल्पविराम का अनावश्यक प्रयोग हटाया। |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: माह का नाम अधिक प्रचलित रूप में बदला। |
||
पंक्ति 170:
बैसाखी नाम [[विक्रम संवत]] के माह [[वैशाख]] से लिया हुआ है। बैसाखी यहां के एक प्रमुख त्योहार में आता है। प्रत्येक वर्ष कर्क संक्रांति के अवसर पर देश भर में यह त्योहार अलग अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे बोहाग-[[बिहू]] या रंगाली-बिहु, आदि। यही त्योहार पंजाब एवं जम्मू क्षेत्र में [[बैसाखी]] नाम से मनाया जाता है। यह त्योहार शस्योत्सव यानि फ़सल कटने के त्योहार के रूप में मनाया जाता है और विवाह आदि के लिये इसका विशेष महत्त्व माना जाता है। लोग इस अवसर पर नदी, तलाबों में पवित्र स्नान करते हैं। बहुत से लोग नव-वर्ष आगमन उत्सव को देखने प्रसिद्ध नागबनी मंदिर भी जाते हैं। इस अवसर पर कई स्थानों पर मेले भी लगते हैं, जहां लोग मस्त होकर भांगड़ा एवं गिद्दा नृत्य करते हैं। [[सिखों के दस गुरू|सिखों के दसवें गुरू]], [[गुरु गोविंद सिंह]] जी ने इसी दिन १६९९ में [[खालसा पंथ|खाल्सा]] की स्थापना की थी। सिख लोगों से इस दिन गुरुद्वारे भरे रहते हैं, जहां [[कीर्तन]], [[शबद]] और [[लंगर (सिख धर्म)|लंगर]] होते हैं तथा [[प्रसाद|कड़ाह प्रसाद]] बंटता है।
=== बाहु मेला (मार्च-अप्रैल एवं सितंबर-
वर्ष में दो बार [[बाहु का किला|बाहु के किले]] में स्थित काली माता मंदिर में बड़े मेले का आयोजन होता है।
पंक्ति 181:
पुरमंडल जम्मू शहर से ३९ कि.मी दूर है। [[शिवरात्रि]] के अवसार पर इस कस्बे में शोभा देखते ही बनती है।<ref>[http://www.jagran.com/jammu-and-kashmir/jammu-10289296.html पुरमंडल में दो दिवसीय चैत्र-चौदश मेला आरंभ]|जागरण। १० अप्रैल २०१३। अभिगमन तिथि: २८ अगस्त २०१३</ref> लोग इस अवसर पर यहां भगवान [[शिव]] का मां [[पार्वती]] से विवाह समारोह मनाते हैं<ref>{{Cite web|url = http://hindi.yahoo.com/%E0%A4%AA-%E0%A4%B0%E0%A4%AE-%E0%A4%A1%E0%A4%B2-%E0%A4%B5-%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%B5-%E0%A4%B9-%E0%A4%A8-%E0%A4%AE-183334432.html|accessdate = २८ अगस्त २०१३|title = पुरमंडल व उतरवाहिनी में उमड़े श्रद्धालु|date = १२ अप्रैल २०१३|publisher = जागरण}}</ref>। जम्मू के लोग भी इस अवसर पर शहर से निकल कर आते हैं और पीर-खोह गुफ़ा मंदिर, रणबीरेश्वर मंदिर और पंजभक्तर मन्दिर जाते हैं। असल में यदि कोई शिवरात्रि के अवसर पर जम्मू आये तो उसे हर जगह त्योहार का माहौल ही दिखाई देगा।
=== झीरी मेला (
यह त्योहार एक स्थानीय कृषक बाबा जीतु के सम्मान में मनाया जाता है, जिसने स्थानीय ज़मींदार के सामने अपनी मेहनत की उपजी फ़सल को बांटने की गलत मांग के सामने झुकने से मर जाना बेहतर समझा। उसने अपने आप को झीरी गांव में मारा था, जो जम्मू शहर से लगभग १४ कि.मी दूर है। यहां बाबा और उनके भक्तों की मान्यता की कई किंवदंतियां प्रचलित हैं, जिनको मानकर उत्तर भारत से बहुत से लोग यहां एकत्रित होते हैं।
===[[नवरात्रि]] (मार्च-अप्रैल एवं सितंबर-
हालांकि प्रसिद्ध तीर्थ माता वैष्णों देवी के दरबार की यात्रा वर्ष भर चलती रहती है, किन्तु इस यात्रा का नवरात्रि में विशेष महत्त्व होता है। क्षेत्र की संस्कृति, विरासत और परंपराओं को उजागर करने एवं पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु राज्य सरकार के पर्यटन विभाग ने शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों को वार्षिक आयोजन के रूप में घोषित किया हुआ है। इस समय वर्ष भर की यात्रियों का सबसे बडआ प्रतिशत वैष्णो देवी यात्रा के लिये आता है। इसके अलावा मार्च-अप्रैल में आने वाले चैत्रीय नवरात्रों में भि भक्तों की बड़ी मात्रा आती है।
|