शारिपुत्र [[गौतम बुद्ध]] के दो प्रमुख छात्रों मे से एक थे। वे एक [[अर्हत]] थे और अपने ज्ञान के लिये माने जाते थे। उनकाउनके एक मित्र [[महामौदगल्यायन]] था।थे। वे दोनो एक हि दिन अपना घर छोड़ कर श्रमण बन गए। पहले वे दोनो संजय नाम के श्रमण के अनयायीअनुयायी बने और बाद मे वे दोनो बुद्ध के अनुयायी बन गए। शारिपुत्र और महामौदगल्यायन बुद्ध के दो प्रमुख छात्र थे। बुद्ध अक्सर शारिपुत्र की प्रशंसा करते थे और शारिपुत्र को ''धर्म सेनापति'' की उपाधि भि दी थी। [[बौद्ध धर्म]] के [[प्रज्ञापारमितह्रिदयसूत्र]] मे शारिपुत्र और [[अवलोकितेश्वर]] बोधिसत्त्व के बीच बात होती है। शारिपुत्र कि म्रित्यु बुद्ध के कुछ समय पहले हुइ।