"गोविन्द बल्लभ पन्त": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोत कम|date=अक्टूबर 2014}}
#redirect [[गोविन्द बल्लभ पन्त]]
{{Infobox officeholder
|name = पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त
|image = Pandit_Govind_Ballabh_Pant.jpg
|imagesize =
|honours = भारत रत्न
|office = [[भारत के गृह मंत्री]]
|primeminister = [[जवाहरलाल नेहरु]]
|term_start = 2 मार्च 1955
|term_end = 7 मार्च 1961
|predecessor = [[कैलाश नाथ काटजू]]
|successor = [[लाल बहादुर शास्त्री]]
|office2 = [[उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री |उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमन्त्री]]
|governor2 = [[होमी मोदी]]<br>[[कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी]]
|term_start2 = 26 जनवरी 1950
|term_end2 = 27 दिसम्बर 1954
|predecessor2 = पद सृजित
|successor2 = [[सम्पूर्णानन्द]]
 
|office3 = [[संयुक्त प्रान्त]] के दूसरे मुख्यमन्त्री
 
|term_start3 = 17 जुलाई 1937
|term_end3 = 2 नवम्बर 1939
|predecessor3 = मुहम्मद अहमद सइद खान
|successor3 = रिक्त
 
|term_start4 = 1 अप्रैल 1946
|term_end4 = 25 जनवरी 1950
|predecessor4 = रिक्त
|successor4 = पद खत्म किया गया
 
 
 
|birth_date = {{birth date|1887|9|10|df=y}}
|birth_place = ग्राम खूंट, [[अल्मोड़ा जिला]], [[उत्तर-पश्चिमी प्रान्त]], [[ब्रिटिश राज|ब्रिटिश भारत]]<br />(वर्तमान में [[उत्तराखण्ड]], [[भारत]])
|death_date = {{death date and age|1961|3|7|1887|9|10|df=y}}
|death_place = [[नई दिल्ली]], [[भारत]]
|profession = वकालत
|alma_mater = [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]]
|party = [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]
|nationality = भारतीय
|religion = [[हिन्दू]]
|children = [[कृष्ण चन्द्र पन्त]], लक्ष्मी और पुष्पा<ref name="UP Assembly"> {{cite web | url = http://uplegisassembly.gov.in/Govind%20Ballabh%20Pant.html| title= जीवन परिचय| publisher = UP Govt. | date= 11 मई 2010 | accessdate = 17 अक्टूबर 2014}}</ref>
}}
 
 
 
'''पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त''' या '''जी. बी. पन्त''' (जन्म १० सितम्बर १८८७ - ७ मार्च १९६१) प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय [[राजनेता]] थे। वे [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के प्रथम [[मुख्यमंत्री|मुख्य मन्त्री]] और भारत के चौथे गृह मंत्री थे।<ref>[http://www.liveindia.com/freedomfighters/8.html Govind Ballabh Pant गोविन्द वल्लभ पन्त]</ref>
 
 
== प्रारम्भिक जीवन ==
१० सितम्बर १८८७ को अल्मोड़ा जिले के श्यामली पर्वतीय क्षेत्र स्थित [[गाँव]] खूंट में जन्मे गोविन्द वल्लभ पन्त की माँ का गोविन्दी और पिता का नाम मनोरथ पन्त था। बचपन में पिता की म्रत्यु हो जाने के कारण उनकी परवरिश उनके दादा बद्री दत्त जोशी ने की। १९०५ में उन्होंने अल्मोड़ा छोड़ दिया और इलाहाबाद चले गये। म्योर सेन्ट्रल कॉलेज में वे गणित, साहित्य और राजनीति विषयों के अच्छे विद्यार्थियों में सबसे तेज थे। अध्ययन के साथ-साथ वे कांग्रेस के स्वयंसेवक का कार्य भी करते थे। १९०७ में बी०ए० और १९०९ में कानून की डिग्री सर्वोच्च अंकों के साथ हासिल की। इसके उपलक्ष्य में उन्हें कॉलेज की ओर से "लैम्सडेन अवार्ड" दिया गया।
 
१९१० में उन्होंने अल्मोड़ा आकर वकालत शूरू कर दी। वकालत के सिलसिले में वे पहले [[रानीखेत]] गये फिर [[काशीपुर]] में जाकर प्रेम सभा नाम से एक संस्था का गठन किया जिसका उद्देश्य शिक्षा और साहित्य के प्रति जनता में जागरुकता उत्पन्न करना था। इस संस्था का कार्य इतना व्यापक था कि ब्रिटिश स्कूलों ने काशीपुर से अपना बोरिया बिस्तर बाँधने में ही खैरियत समझी।
== स्वतन्त्रता संघर्ष में==
दिसम्बर १९२१ में वे गान्धी जी के आह्वान पर [[असहयोग आन्दोलन]] के रास्ते खुली राजनीति में उतर आये।
 
९ अगस्त १९२५ को [[काकोरी काण्ड]] करके उत्तर प्रदेश के कुछ नवयुवकों ने सरकारी खजाना लूट लिया तो उनके मुकदमें की पैरवी के लिये अन्य वकीलों के साथ पन्त जी ने जी-जान से सहयोग किया। उस समय वे [[नैनीताल]] से स्वराज पार्टी के टिकट पर लेजिस्लेटिव कौन्सिल के सदस्य भी थे। १९२७ में [[राम प्रसाद 'बिस्मिल']] व उनके तीन अन्य साथियों को फाँसी के फन्दे से बचाने के लिये उन्होंने पण्डित [[मदन मोहन मालवीय]] के साथ वायसराय को पत्र भी लिखा किन्तु [[गांधी जी|गान्धी जी]] का समर्थन न मिल पाने से वे उस मिशन में कामयाब न हो सके। १९२८ के [[साइमन कमीशन]] के बहिष्कार और १९३० के [[नमक सत्याग्रह]] में भी उन्होंने भाग लिया और मई १९३० में [[देहरादून]] जेल की हवा भी खायी।
 
== [[मुख्यमंत्री|मुख्यमन्त्री]] कार्यकाल==
१७ जुलाई १९३७ से लेकर २ नवम्बर १९३९ तक वे [[ब्रिटिश भारत]] में संयुक्त प्रान्त अथवा यू०पी० के पहले मुख्य मन्त्री बने। इसके बाद दोबारा उन्हें यही दायित्व फिर सौंपा गया और वे १ अप्रैल १९४६ से १५ अगस्त १९४७ तक संयुक्त प्रान्त (यू०पी०) के मुख्य मन्त्री रहे। जब [[भारतवर्ष]] का अपना संविधान बन गया और संयुक्त प्रान्त का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रखा गया तो फिर से तीसरी बार उन्हें ही इस पद के लिये सर्व सम्मति से उपयुक्त पाया गया। इस प्रकार स्वतन्त्र भारत के नवनामित राज्य के भी वे
२६ जनवरी १९५० से लेकर २७ दिसम्बर १९५४ तक मुख्य मन्त्री रहे।
 
== गृह मंत्री कार्यकाल==
सरदार पटेल की मृत्यु के बाद उन्हें [[गृह मंत्रालय, भारत सरकार]] के प्रमुख का दायित्व दिया गया। भारत के रूप में पन्तजी का कार्यकाल:१९५५ से लेकर १९६१ में उनकी मृत्यु होने तक रहा।
 
 
== आलोचनाएें==
 
 
==मृत्यु==
७ मई १९६१ को हृदयाघात से जूझते हुए उनकी मृत्यु हो गयी। उस समय वे भारत सरकार में केन्द्रीय गृह मन्त्री थे। उनके निधन के पश्चात [[लाल बहादुर शास्त्री]] उनके उत्तराधिकारी बने।
 
==स्मारक और संस्थान==
*[[गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय]], [[पंतनगर]], [[उत्तराखण्ड]]
*[[गोविन्द बल्लभ पन्त अभियान्त्रिकी महाविद्यालय]], [[पौड़ी गढ़वाल]], [[उत्तराखण्ड]]
*[[गोविन्द बल्लभ पंत सागर]], [[सोनभद्र]], [[उत्तर प्रदेश]]
 
==परिवार==
 
 
==यह भी देखें==
 
 
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://books.google.co.in/books?id=YhcoG4HY2qUC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false सफल प्रशासक गोविन्द बल्लभ पन्त] (गूगल पुस्तक ; लेखक : भगवान सिंह)
 
 
{{भारत रत्न सम्मानित}}
{{उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री}}
[[श्रेणी:१८८७ जन्म]]
[[श्रेणी:१९६१ मृत्यु]]
[[श्रेणी:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री]]
[[श्रेणी:भारत रत्न सम्मान प्राप्तकर्ता]]
[[श्रेणी:भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी]]