"श्लेष अलंकार": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 2:
'''रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
'''पानी''' गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।'''
मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ '''चमक''' या कान्ति
मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ '''इज्जत''' (सम्मान)
चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ '''साधारण पानी'''(जल) है।
▲यहां पानी का प्रयोग तीन बार किया गया है, किन्तु दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त पानी शब्द के तीन अर्थ हैं - मोती के लिये पानी का अर्थ चमक, मनुष्य के लिये इज्जत (सम्मान) और चूने के लिये पानी(जल) है।
अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।
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