[[श्रेणी:हिन्दू संस्कृति]]
कीर्तन में ईश्वर, देव, देवी, सत्तगुरू, संत की महिमा का गुणगान होता है। गुणगान मुख्यता झूमते हुए भजन गा कर किया जाता है। पंजाबी समुदाय में भजन में हिन्दी-पंजाबी शब्दों का मिश्रण रहता है।
मुख सोहणां बंसरी निराली तेरी चाल वे,
सखियां विच खेढण गियों मदन गोपाल वे।
साडा बेडा बन्ने लावी मदन गोपाल वे।।
नचदा ते हसदा शाम मेरा आया है,
श्रीलाल जी दी गद्दी ते मैंने शाम दा दर्शन पाया है,
भोली भाली सूरत नाले घुंघराले बाल वे,
मुख सोहणां बंसरी निराली तेरी चाल वे,
सखियां विच खेढण गियों मदन गोपाल वे।
साडा बेडा बन्ने लावी मदन गोपाल वे।।
यमुना दे कण्डे कण्डे बंसी वजावंदा है,
ठुमक ठुमक चाल चले कुण्डल लश्कावंदा है,
बछडे चरावंदा है संग लै के ग्वाल बाल वे,
मुख सोहणां बंसरी निराली तेरी चाल वे,
सखियां विच खेढण गियों मदन गोपाल वे।
साडा बेडा बन्ने लावी मदन गोपाल वे।।
बंसी बजा के मन मेरा मोह लया
खाणां ते पीणा की हसणा वी खेह लिया,
चारों तरफ आवाज आवे जय़ गिरधर गोपाल दी,
मुख सोहणां बंसरी निराली तेरी चाल वे,
सखियां विच खेढण गियों मदन गोपाल वे।
साडा बेडा बन्ने लावी मदन गोपाल वे।।
|