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[[चित्र:Brahmaguptra's theorem.svg|thumb|right|ब्रह्मगुप्त का प्रमेय, इसके अनुसार ''AF'' = ''FD''.]]
'''ब्रह्मगुप्त''' (५९८-६६८) प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे। वे तत्कालीन गुर्जर प्रदेश ([[भीनमाल]]) के अन्तर्गत आने वाले प्रख्यात शहर उज्जैन (वर्तमान [[मध्य प्रदेश]]) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे और इस दौरान उन्होने दो विशेष ग्रन्थ लिखे: [[ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त]] (सन ६२८ में) और [[खण्डखाद्यक]] या खण्डखाद्यपद्धति (सन् ६६५ ई में)।<ref>{{cite web |url=http://desh-duniya.blogspot.com/2007/05/1.html|title=प्रतिभा और प्रतिभावान -1|accessmonthday=[[१२ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format=एचटीएमएल| publisher=देश दुनिया|language=}}</ref>
 
ये अच्छे वेधकर्ता थे और इन्होंने वेधों के अनुकूल भगणों की कल्पना की है। प्रसिद्ध गणितज्ञ ज्योतिषी, [[भास्कराचार्य]], ने अपने सिद्धांत को आधार माना है और बहुत स्थानों पर इनकी विद्वत्ता की प्रशंसा की है। मध्यकालीन यात्री [[अलबरूनी]] ने भी ब्रह्मगुप्त का उल्लेख किया है।<ref>{{cite web |url= http://tvkidunia.blogspot.com/2008/09/blog-post_24.html|title=वेदों के देश में विज्ञान का सत्य
|accessmonthday=[[१२ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format=एचटीएमएल|publisher=टीवी की दुनिया|language=}}</ref>
 
ये अच्छे वेधकर्ता थे और इन्होंने वेधों के अनुकूल भगणों की कल्पना की है। प्रसिद्ध गणितज्ञ ज्योतिषी, [[भास्कराचार्य]], ने अपने सिद्धांत को आधार माना है और बहुत स्थानों पर इनकी विद्वत्ता की प्रशंसा की है। मध्यकालीन यात्री [[अलबरूनी]] ने भी ब्रह्मगुप्त का उल्लेख किया है।<ref>{{cite web |url= http://tvkidunia.blogspot.com/2008/09/blog-post_24.html|title=वेदों के देश में विज्ञान का सत्य
== जीवन परिचय ==
ब्रह्मगुप्त [[आबू पर्वत]] तथा [[लुणी नदी]] के बीच स्थित, भीनमाल नामक ग्राम के निवासी थे। इनके पिता का नाम जिष्णु था। इनका जन्म शक संवत् ५२० में हुआ था। इन्होंने प्राचीन ब्रह्मपितामहसिद्धांत के आधार पर ब्रह्मस्फुटसिद्धांत तथा खण्डखाद्यक नामक करण ग्रंथ लिखे, जिनका अनुवाद [[अरबी भाषा]] में, अनुमानत: [[खलीफा मंसूर]] के समय, '''सिंधिद''' और '''अल अकरंद''' के नाम से हुआ। इनका एक अन्य ग्रंथ 'ध्यानग्रहोपदेश' नाम का भी है। इन ग्रंथों के कुछ परिणामों का विश्वगणित में अपूर्व स्थान है।