"फणीश्वर नाथ "रेणु"": अवतरणों में अंतर
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इनका लेखन [[प्रेमचंद]] की सामाजिक यथार्थवादी परंपरा को आगे बढाता है और इन्हें ''आजादी के बाद का प्रेमचंद'' की संज्ञा भी दी जाती है। अपनी कृतियों में उन्होंने आंचलिक पदों का बहुत प्रयोग किया है।
== साहित्यिक कृतियाँ==
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