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'''जीवनी''': [[छोटे आदमी की बड़ी कहानी]]
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'''राही मासूम रज़ा''' ([[१ सितंबर]], [[१९२५]]-[[१५ मार्च]] [[१९९२]])<ref>{{cite web |url= http://www.imdb.com/name/nm0713592/|title= Dr. Rahi Masoom Reza =[[४ जनवरी]]|accessyear=[[2007]]|format= |publisher= आई.एम.डी.बी.|language=अंग्रेज़ी}}</ref> का जन्म [[गाजीपुर जिला|गाजीपुर]] जिले के गंगौली गांव में हुआ था और प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गंगा किनारे गाजीपुर शहर के एक मुहल्ले में हुई थी। बचपन में पैर में पोलियो हो जाने के कारण उनकी पढ़ाई कुछ सालों के लिए छूट गयी, लेकिन इंटरमीडियट करने के बाद वह अलीगढ़ आ गये और यहीं से एमए करने के बाद उर्दू में `[[तिलिस्म-ए-होशरुबा]]' पर पीएच.डी. की। पीएच.डी. करने के बाद राही [[अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय|अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]], [[अलीगढ़ जिला|अलीगढ़]] के [[उर्दू]] विभाग में प्राध्यापक हो गये और अलीगढ़ के ही एक मुहल्ले बदरबाग में रहने लगे।<ref>{{cite web |url= http://hashiya.blogspot.com/2007/09/blog-post.html|title= अब मेरे पैरों के निशां कैसे हैं (राही मासूम रज़ा की याद) =[[४ जनवरी]]|accessyear=[[2007]]|format= एचटीएमएल|publisher= हाशिया|language=}}</ref> अलीगढ़ में रहते हुए ही राही ने अपने भीतर साम्यवादी दृष्टिकोण का विकास कर लिया था और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वे सदस्य भी हो गए थे। अपने व्यक्तित्व के इस निर्माण-काल में वे बड़े ही उत्साह से साम्यवादी सिद्धान्तों के द्वारा समाज के पिछड़ेपन को दूर करना चाहते थे और इसके लिए वे सक्रिय प्रयत्न भी करते रहे थे।
 
[[१९६८]] से राही [[मुंबई|बम्बई]] में रहने लगे थे। वे अपनी साहित्यिक गतिविधियों के साथ-साथ फिल्मों के लिए भी लिखते थे जो उनकी जीविका का प्रश्न बन गया था। राही स्पष्टतावादी व्यक्ति थे और अपने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रीय दृष्टिकोण के कारण अत्यन्त लोकप्रिय हो गए थे। यहीं रहते हुए राही ने [[आधा गांव]], [[दिल एक सादा कागज]], [[ओस की बूंद]], [[हिम्मत जौनपुरी]] उपन्यास व [[१९६५]] के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए वीर अब्दुल हमीद की जीवनी [[छोटे आदमी की बड़ी कहानी]] लिखी। उनकी ये सभी कृतियाँ हिंदी में थीं। इससे पहले वह उर्दू में एक [[महाकाव्य]] १८५७ जो बाद में हिन्दी में [[क्रांति कथा]] नाम से प्रकाशित हुआ तथा छोटी-बड़ी उर्दू नज़्में व गजलें लिखे चुके थे। [[आधा गाँव]], [[नीम का पेड़]], [[कटरा बी आर्ज़ू]], [[टोपी शुक्ला]], [[ओस की बूंद]] और [[सीन ७५]] उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं।<ref>{{cite web |url= http://www.sahityashilpi.com/2008/10/blog-post_5563.html|title= डॉ॰ राही मासूम रजा - जीवनवृत्त एवं कृतित्व=[[७ अक्टूबर]]|accessyear=[[२००८]]|format= एचटीएमएल|publisher= साहित्य शिल्पी|language=}}</ref> पिछले कुछ वर्षों प्रसिद्धि में रहीं हिन्दी पॉप गायिका पार्वती खान का विवाह इनके पुत्र नदीम खान, हिन्दी फिल्म निर्देशक एवं सिनेमैटोग्राफर से हुआ था।