"दरियाई घोड़ा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Nijlpaard.jpg|right|thumb|300px|अफ्रीका का विशाल पशु- '''जलीय घोड़ा''']]
'''दरियाई घोड़ा''' या '''जलीय घोड़ा''' (Hippopotamus) एक विशाल और गोलमटोल [[स्तनपायी]] [[प्राणी]] है जो [[अफ्रीका]] का मूल निवासी है। दरियाई घोड़े नाम के साथ [[घोड़ा]] शब्द जुड़ा है एवं "हिप्पोपोटामस" शब्द का अर्थ "वाटर होर्स" यानी "जल का घोड़ा" होता है परन्तु उसका घोड़ों से कोई संबंध नहीं है। [[प्राणिविज्ञान]] की दृष्टि में यह सूअरों का दूर का रिश्तेदार है।<ref>{{cite web |url= http://kudaratnama.blogspot.com/2009/06/blog-post_90.html|title=जल का घोड़ा दरियाई घोड़ा|accessmonthday=[[२१ जून]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=हिन्दी ब्लोग|language=}}</ref> यह शाकाहारी प्राणी नदियों एवं झीलों के किनारे तथा उनके मीठे जल में समूहों में रहना पसन्द करता है।
 
उसे आसानी से विश्व का दूसरा सबसे भारी स्थलजीवी स्तनी कहा जा सकता है। वह 14 फुट लंबा, 5 फुट ऊंचा और 4 टन भारी होता है। उसका विशाल शरीर स्तंभ जैसे और ठिंगने पैरों पर टिका होता है। पैरों के सिरे पर हाथी के पैरों के जैसे चौड़े नाखून होते हैं। आंखें सपाट सिर पर ऊपर की ओर उभरी रहती हैं। कान छोटे होते हैं। शरीर पर बाल बहुत कम होते हैं, केवल पूंछ के सिरे पर और होंठों और कान के आसपास बाल होते हैं। चमड़ी के नीचे चर्बी की एक मोटी परत होती है जो चमड़ी पर मौजूद रंध्रों से गुलाबी रंग के वसायुक्त तरल के रूप में चूती रहती है। इससे चमड़ी गीली एवं स्वस्थ रहती है। दरियाई घोड़े की चमड़ी खूब सख्त होती है। पारंपरिक विधियों से उसे कमाने के लिए छह वर्ष लगता है। ठीक प्रकार से तैयार किए जाने पर वह २ इंच मोटी और चट्टान की तरह मजबूत हो जाती है। हीरा चमकाने में उसका उपयोग होता है।