"कोशिकीय श्वसन": अवतरणों में अंतर

छोNo edit summary
हटाये गए ब्लॉग सन्दर्भ के स्थान पर विश्वसनीय सन्दर्भ जोड़ा।
पंक्ति 37:
| align="center" | + 2 NADH + 2 H<sup>+</sup> + 2 ATP + 2 H<sub>2</sub>O
|}
 
|}
ग्लाइकोलिसिस ऑक्सीय श्वसन की प्रथम अवस्था है जो [[कोशिका द्रव]] में होती है। इस क्रिया में ग्लूकोज का आंशिक आक्सीकरण होता है, फलस्वरूप १ अणु ग्लूकोज से पाइरूविक अम्ल के २ अणु बनते हैं तथा कुछ ऊर्जा मुक्त होती है। यह क्रिया कई चरणों में होती है एवं प्रत्येक चरण में एक विशिष्ठ [[इन्जाइम]] उत्प्रेरक का कार्य करता है। ग्लाइकोसिस के विभिन्न चरणों का पता एम्बडेन, मेयरहॉफ एवं पर्नास नामक तीन वैज्ञानिकों ने लगाया। इसलिए श्वसन की इस अवस्था को इन तीनों वैज्ञानिकों के नाम के आधार पर इएमपी पाथवे भी कहते हैं।<ref>{{cite book |last=प्रसाद |first=सीएम |title=नव जीव विज्ञान |year=जुलाई २००४ |publisher=भारती सदन|location=कोलकाता |id= |page=३७ |accessday= २३|accessmonth= जून|accessyear= २००९}}</ref> इसमें ग्लूकोज में संचित ऊर्जा का ४ प्रतिशत भाग मुक्त होकर एनएडीएच (NADH<sub>2</sub>) में चली जाती है तथा शेष ९६ प्रतिशत ऊर्जा पाइरूविक अम्ल में संचित हो जाती है।
:ग्लूकोज + 2 NAD<sup>+</sup> + 2 P<sub>i</sub> + 2 ADP → 2 पाइरूवेट + 2 NADH + 2 ATP +2H<sup>+</sup> + 2 H<sub>2</sub>O
पंक्ति 97:
</div>
 
श्वसन क्रिया के क्रेब चक्र के दौरान पायरूविक अम्ल ऑक्सेलोएसिटिक अम्ल से क्रिया करता है। इसमें तीन सह-एन्जाइम (विटामिन) काम आते हैं।<ref>{{Cite web|title = क्या पौधों को भी विटामिन चाहिए?|author = डॉ॰ किशोर पंवार|url = http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/10626/9/0#.VFEPlHV7h5Q|publisher = देशबन्धु|date = ११ जून २०१४|accessdate = २९ अक्टूबर २०१४}}</ref> सर्वप्रथम पाइरूविक अम्ल इन्जाइम की उपस्थिति में आक्सीकृत होकर कार्बन डाईआक्साइड तथा हाइड्रोजन में बदल जाता है। हाइड्रोजन डाइड्रोजन ग्राही एनएडी (NAD) के साथ संयुक्त होकर एनएडीएच टू (NADH<sub>2</sub>) बनाता है तथा कार्बन डाईआक्साइड गैस वायुमंडल में मुक्त हो जाती है। एनएडीएच टू (NADH<sub>2</sub>) में उपस्थित हाइड्रोजन कई श्वसन इन्जाइमों (फ्लेवोप्रोटीन, साइटोक्रोम) की उस्थिति में आक्सीजन से मिलकर जल में बदल जाता है तथा ऊर्जा मुक्त होती है। यह ऊर्जा एडीपी से मिलकर एटीपी के रूप में संचित हो जाती है। एक अणु ग्लूकोज के पूर्ण रूप से आक्सीकरण के फलस्वरूप ३८ अणु एटीपी का निर्माण होता है। एटीपी ऊर्जा का भंडार है जिसे ऊर्जा की मुद्रा भी कहते हैं।<ref name="श्रीवास्तव"/> एटीपी में संचित ऊर्जा जीवों के आवश्यकतानुसार विघटित होकर ऊर्जा मुक्त होती है जिसमें जीवों की विभिन्न जैविक क्रियाएँ संचालित होती है।
 
== अनाक्सीय श्वसन ==