"पतंग": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:योकाइची विशाल पतंग महोत्सव्स, जो हर वर्ष मई के चौथे रविवार को मनाया जाता है।jpegYokaichi01.jpg|thumb|right|250px|योकाइची विशाल पतंग महोत्सव्स, जो हर वर्ष मई के चौथे रविवार को जापान के हिगाशियोमी में मनाया जाता है।]]
'''पतंग''' एक धागे के सहारे उड़ने वाली वस्तु है जो धागे पर पडने वाले तनाव पर निर्भर करती है। पतंग तब हवा में उठती है जब हवा (या कुछ मामलों में पानी) का प्रवाह पतंग के उपर और नीचे से होता है, जिससे पतंग के उपर कम दबाव और पतंग के नीचे अधिक दबाव बनता है। यह विक्षेपन हवा की दिशा के साथ क्षैतिज खींच भी उत्पन्न करता है। पतंग का लंगर बिंदु स्थिर या चलित हो सकता है।
 
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=== भारत ===
[[चित्रFile:दिल्लीKite मेंshop पतंगin कि एक दुकानLucknow.jpegjpg|thumb|right|170px256x256px|दिल्लीलखनऊ में पतंगों की एक दुकान।]]
पतंग उड़ाने का शौक चीन, कोरिया और थाइलैंड समेत दुनिया के कई अन्य भागों से होकर भारत में पहुंचा। देखते ही देखते यह शौक भारत में एक शगल बनकर यहां की संस्कृति और सभ्यता में रच-बस गया। खाली समय का साथी बनी पतंग को खुले आसमान में उड़ाने का शौक बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के सिर चढ़कर बोलने लगा। भारत में पतंगबाजी इतनी लोकप्रिय हुई कि कई कवियों ने इस साधारण सी हवा में उड़ती वस्तु पर भी कविताएँ लिख डालीं।<ref>[http://www.anubhuti-hindi.org/kavi/r/rajendra_aviral/bitiya.htm राजेंद्र अविरल की रचना - बिटिया पतंग उड़ा रही है (कविता)]</ref><ref>[http://www.sahityashilpi.com/2008/10/blog-post_5473.html पतंग की डोर (कविता) – सुनीता चोटिया ‘शानू’]</ref>
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/पतंग" से प्राप्त