"अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ": अवतरणों में अंतर

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== अहमदाबाद और गया काँग्रेस में शिरकत ==
अशफ़ाक़ बहुत दूरदर्शी थे उन्होंने [[राम प्रसाद बिस्मिल]] को यह सलाह दी कि क्रान्तिकारी गतिविधियॉंगतिविधियाँ के साथ-साथ [[कांग्रेस]] पार्टी में भी अपनी पैठ बनाकर रखना हमारी कामयावी में मददगार ही साबित होगा। बहरहाल अशफ़ाक़ व बिस्मिल के साथ [[शाहजहाँपुर]] के और भी कई नवयुवक [[कांग्रेस]] में शामिल हुए और पार्टी को कौमी ताकत अता की। १९२१ की [[अहमदाबाद]] [[कांग्रेस]] में [[राम प्रसाद बिस्मिल]] व [[प्रेमकृष्ण खन्ना]] के साथ अशफ़ाक़ भी शामिल हुए। अधिवेशन में उनकी मुलाकात मौलाना हसरत मोहानी से हुई जो [[कांग्रेस]] के व्ररिष्ठ शरमायेदारों में शुमार किये जाते थे। मौलाना हसरत मोहानी द्वारा प्रस्तुत [[पूर्ण स्वराज]] के प्रस्ताव का जब [[गान्धी]] जी ने विरोध किया तो [[शाहजहाँपुर]] के कांग्रेसी स्वयंसेवकों ने गान्धी की ड्टकर मुखालफत की और खूब हंगामा मचाया। आखिरकार [[गान्धी]] जी को न चाहते हुए भी वह प्रस्ताव स्वीकार करना ही पडा। इसी प्रकार दिसम्बर १९२२ की [[गया]] [[कांग्रेस]] में भी नवयुवकों द्वारा [[गान्धी]] की जमकर खिंचायी की गयी। इसमें [[बंगाल]], [[बिहार]] व [[उत्तर प्रदेश]] के नवयुवक एक हो गये। उन सबका [[गान्धी]] से एक ही सवाल था- "आपने किससे पूछकर [[असहयोग आन्दोलन]] वापस लिया?"
 
== एच०आर०ए० का गठन ==