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'''बिम्बिसार''' (558 ईसापूर्व – 491 ईसापूर्व) [[मगध]] साम्राज्य का सम्राट था (542 ईपू से 492 ईपू तक) । वह हर्यंक वंश का था। उसने अंग राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। यही विस्तार आगे चलकर [[मौर्य साम्राज्य]] के विस्तार का भी आधार बना।
== बिम्बिसार (६०३ - ५५१ ईपू): ==
बिम्बिसार (६०३ - ५५१ ईपू) - पुराणों के अनुसार बिम्बिसार को 'क्ष्रेणिक'कहा गया है। बिम्बिसार ने मगध के यश और सम्मान को वैवाहिक संधियों और विजयों के माध्यम से काफी बढाया। उसकी एक रानी कोसल के राजा 'प्रसेनजित'की बहन थी और उसे दहेज स्वरूप काशी का १ लाख राजस्व वाला गांव मिला था। उस्कि दूसरी रानी 'चेल्लना'थी, जो कि वैशाली के राजा चेतक की पुत्री थी। इन के अलावा बिम्बिसार की दो और रानियों का जिक्र भी मिलता है। एक और गणिका आम्रपाली का नाम जैन साहित्यों में मिलता है। बिम्बिसार ने ब्रह्मदत्त को परास्त कर अंग राज्य पर विजय प्राप्त की थी। बिम्बिसार के राज्य में ८०,००० गांव थे।
 
== परिचय==
=== बिम्बिसार का प्रशासन: ===
बिम्बिसार (६०३ - ५५१ ईपू) - पुराणों के अनुसार बिम्बिसार को 'क्ष्रेणिक' कहा गया है। बिम्बिसार ने [[मगध]] के यश और सम्मान को वैवाहिक संधियों और विजयों के माध्यम से काफी बढाया। उसकी एक रानी कोसल के राजा 'प्रसेनजित'की बहन थी और उसे दहेज स्वरूप काशी का १ लाख राजस्व वाला गांव मिला था। उस्कि दूसरी रानी 'चेल्लना' थी, जो कि वैशाली के राजा चेतक की पुत्री थी। इन के अलावा बिम्बिसार की दो और रानियों का जिक्र भी मिलता है। एक और गणिका आम्रपाली का नाम जैन साहित्यों में मिलता है। बिम्बिसार ने ब्रह्मदत्त को परास्त कर अंग राज्य पर विजय प्राप्त की थी। बिम्बिसार के राज्य में ८०,००० गांव थे।
बिम्बिसार का प्रशासन - उसका प्रशासन बहुत ही उत्तम था, उसके राज्य में प्रजा सुखी थी। वह अपने कर्मचारियों पर कडी नजर रखता था। उसके उच्चाधिकारी 'राजभट्ट'कहलाते थे और उन्हें चार क्ष्रेणियों में रखा गया था - 'सम्बन्थक'सामान्य कार्यों को देखते थे, 'सेनानायक'सेना का कार्य देखते थे, 'वोहारिक'न्यायिक कार्य व 'महामात्त'उत्पादन कर इकट्ठा करते थे।
 
=== बिम्बिसार का धर्म: ===
== बिम्बिसार (६०३का - ५५१ ईपू)प्रशासन: ==
बिम्बिसार का धर्म - जैन व बौद्ध दोनों साहित्यों में बिम्बिसार को उनके धर्म का अनुयायी बताया गया है।
बिम्बिसार का प्रशासन - उसका प्रशासन बहुत ही उत्तम था, उसके राज्य में प्रजा सुखी थी। वह अपने कर्मचारियों पर कडी नजर रखता था। उसके उच्चाधिकारी 'राजभट्ट'कहलाते थे और उन्हें चार क्ष्रेणियों में रखा गया था - 'सम्बन्थक'सामान्य कार्यों को देखते थे, 'सेनानायक'सेना का कार्य देखते थे, 'वोहारिक'न्यायिक कार्य व 'महामात्त'उत्पादन कर इकट्ठा करते थे।
 
=== बिम्बिसार का प्रशासन:धर्म ===
बिम्बिसार का धर्म - जैन व बौद्ध दोनों साहित्यों में बिम्बिसार को उनके धर्म का अनुयायी बताया गया है।
 
=== बिम्बिसार काकी धर्म: =मृत्यु==
बिम्बिसार की मृत्यू - बौद्ध ग्रन्थ '[[विनयपिटक]]' के अनुसार, बिम्बिसार ने अपने पुत्र [[अजातशत्रु_(मगध_का_राजा)|अजातशत्रु]] को युवराज घोषित कर दिया था परन्तु [[अजातशत्रु_(मगध_का_राजा)|अजातशत्रु]] ने जल्द राज्य पाने की कामना में बिम्बिसार का वध कर दिया। उसे ऐसा कृत्य करने के लिये [[बुद्ध]] के चचेरे भाई 'देवदत्त' ने उकसाया था और कई षड्यन्त्र रचा था।
 
=== बिम्बिसार की मृत्यू: ===
बिम्बिसार की मृत्यू - बौद्ध ग्रन्थ '[[विनयपिटक]]'के अनुसार, बिम्बिसार ने अपने पुत्र [[अजातशत्रु_(मगध_का_राजा)|अजातशत्रु]] को युवराज घोषित कर दिया था परन्तु [[अजातशत्रु_(मगध_का_राजा)|अजातशत्रु]] ने जल्द राज्य पाने की कामना में बिम्बिसार का वध कर दिया। उसे ऐसा कृत्य करने के लिये [[बुद्ध]] के चचेरे भाई 'देवदत्त'ने उकसाया था और कई षड्यन्त्र रचा था।
जैनियों के ग्रन्थ 'आवश्यक सूत्र' के अनुसार, जल्द राज्य पाने की चाह में अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को कैद कर लिया, जहां रानी चेल्लना ने बिम्बिसार की देखरेख की। बाद में जब अजातशत्रु को पता चला कि उसके पिता उसे बहुत चाहतें हैं और वे उसे युवराज नियुक्त कर चुकें हैं, तो [[अजातशत्रु_(मगध_का_राजा)|अजातशत्रु]] ने लोहे की डन्डा ले कर बिम्बिसार की बेडियां काटने चला पर बिम्बिसार ने किसी अनिष्ठ की आशंका में जहर खा लिया।
 
{{भारतीय पौराणिक वंशावली (कलियुग)}}
 
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://elearning.sol.du.ac.in/mod/book/view.php?id=1204&chapterid=1524 इसापूर्व छठी से चौथी सदी के घटनाक्रम]
 
[[श्रेणी:मगधवंश के राजा]]
[[श्रेणी:भारत का इतिहास]]