"हिन्दी नाटक": अवतरणों में अंतर

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हिन्दी के विशुद्ध साहित्यिक रंगमंच और नाट्य-सृजन की परम्परा की दृष्टि से सन् 1868 ई. का बड़ा महत्त्व है। भारतेन्दु के नाटक-लेखन और मंचीकरण का श्रीगणेश इसी वर्ष हुआ। इसके पूर्व न तो पात्रों के प्रवेश-गमन, दृश्य-योजना आदि से युक्त कोई वास्तविक नाटक हिन्दी में रचा गया था। भारतेन्दु के पिता गोपालचन्दर चित ‘नहुष’ तथा महाराज विश्वनाथसिंह रचित ‘आनंदरघुनंदन’ भी पूर्ण नाटक नहीं थे, न पर्दों और दृश्यों आदि की योजना वाला विकसित रंगमंच ही निर्मित हुआ था; नाट्यारंगन के अधिकतर प्रयास भी अभी तक मुंबई आदि अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में ही हुए थे और भाषा का स्वरूप भी हिन्दी-उर्दू का मिश्रित खिचड़ी रूप ही था।
 
3 अप्रैल सन् 1868 को पं. [[शीतलशीतला प्रसाद त्रिपाठी]] रचित ‘जानकी''''जानकी मंगल’मंगल'''' नाटक का अभिनय ‘बनारस थियेटर’ में आयोजित किया था। कहते हैं कि जिस लड़के को लक्ष्मण का अभिनय पार्ट करना था वह अचानक उस दिन बीमार पड़ गया। [[लक्ष्मण]] के अभिनय की समस्या उपस्थित हो गई और उस दिन युवक [[भारतेन्दु]] स्थिति को न सँभालते तो नाट्यायोजन स्थगित करना पड़ता। भारतेन्दु ने एक-डेढ़ घंटे में ही न केवल लक्ष्मण की अपनी भूमिका याद कर ली अपितु पूरे ‘जानकी मंगल’ नाटक को ही मस्तिष्क में जमा लिया। भारतेन्दु ने अपने अभिजात्य की परवाह नहीं की।
 
उन दिनों उच्च कुल के लोग अभिनय करना अपनी प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं समझते थे। इस प्रकार इस नाटक से भारतेन्दु ने रंगमंच पर सक्रिय भाग लेना आरम्भ किया। इसी समय-उन्होंने नाट्य-सृजन भी आरम्भ किया।
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भारतेन्दु के ही जीवन काल में ये कुछ रंग-संस्थाएँ स्थापित हो चुकी थीं :
 
*(1) काशी में भारतेन्दु के संरक्षण में नेशनल थियेटर की स्थापना हुई। भारतेन्दु अपना ‘[[अंधेर नगरी]]’ प्रहसन इसी थियेटर के लिए एक ही रात में लिखा था,
 
*(2) प्रयाग में ‘आर्य नाट्यसभा’ स्थापित हुई जिसमें [[लाला श्रीनिवासदास]] का ‘रंगधीर प्रेममोहिनी’ प्रथम बार अभिनीत हुआ था,
 
*(3) कानपुर में भारतेन्दु के सहयोगी पं. [[प्रतापनारायण मिश्र]] ने हिन्दी रंगमंच का नेतृत्व किया और भारतेन्दु के ‘वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति’, ‘सत्य हरिश्चन्द्र’, ‘भारत-दुर्दशा’, ‘अंधेर नगरी’ आदि नाटकों का अभिनय कराया।
 
इनके अतिरिक्त बलिया, डुमराँव, लखनऊ आदि उत्तर प्रदेश के कई स्थानों और बिहार प्रदेश में भी हिन्दी रंगमंच और नाट्य-सृजन की दृढ़ परम्परा का निर्माण हुआ।