"भू-संतुलन": अवतरणों में अंतर

भूमिका का विस्तार
अल्प विस्तार और उपखण्ड निर्माण
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प्रैट के अनुसार पृथ्वी की सतह पर की अनियमितताएँ इकाई क्षेत्रों के भिन्न भिन्न धनत्वों के कारण हैं। इसे समझाने के लिये आपने निम्नलिखित उदाहरण दिया। समान अनुप्रस्थ काटवाले, किंतु भिन्न भिन्न धातुओं के, खंडों को पारद से भरे बर्तन में रखने पर सभी खडों के नीचे का भाग एक समतल में रहता है, क्योकि वे सभी समान मात्रा में पारद का विस्थापन करते हैं, पर पारे से ऊपर भिन्न धातुओं के खंडों की ऊँचाई भिन्न भिन्न रहती है। हाइसकानेन के अनुसार घनत्व ऊँचाई के साथ विचरता है। ऊपर जाने पर वह कम होता है और नीचे जाने पर बढ़ता है। सागरतल पर यह 2.76 ग्राम प्रति धन सेंमी0 और नीन किमी0 ऊँचाई पर 2.70 ग्राम प्रति धन सेंमी0 होता है। किसी भी स्तंभ में हलकी शिलाओं में घनत्व एक किलोमीटर पर 0.004 ग्राम प्रति घन सेंमी0 बढ़ता हैं और भारी शिलाओं में इससे आधी गति से। अत: भूदाबपूर्ति स्तर पर सब जगह समान भार पड़ता है। घनत्व के विचरण पर आधारित यह वाद भौमिक दृष्टि से उपयुक्त है।
 
==समस्थितिक संतुलन के मॉडल==
वर्तमान समय में समस्थिति या भू-संतुलन के तीन मॉडल हैं:
* [[एयरी-हीस्कैनन मॉडल]]
* [[प्राट-हेफ़ोर्ड मॉडल]]
* [[वेनिंग मेन्सेज़ मॉडल]]
 
==एयरी की व्यख्या==
==प्राट की व्याख्या==
==प्लेट विवार्तानिकी और भूसंतुलन==
 
 
[[श्रेणी:भू-आकृति विज्ञान]]