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[[चित्र:EightInchTelescope.JPG|right|thumb|300px|आठ-इंच वाला अपवर्तक दूरदर्शी]]
'''प्रकाशीय दूरदर्शी''' (optical telescope) ऐसा [[दूरदर्शक]] है जो दूरस्थ पिण्ड का [[आवर्धन|आवर्धित प्रतिबिम्ब]] प्राप्त करने के लिये विद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के दृश्य भाग का सहारा लेता है। (न कि एक्स-रे या रेडियो तरंगों का)। इससे प्राप्त प्रतिबिम्ब को सीधे आंख से देखा जा सकता है, फोटोग्राफ लिया जा सकता है या इलेक्ट्रानिक इमेज सेंसरों की सहायता से आंकड़े संचित किये जा सकते हैं।
 
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गैलिलिओ किस्म के दूरदर्शी में अभिदृश्यक अभिसारी लेंस (converging lens) और नेत्रक अपसारी लेंस (diverging lens) होता है।
[[चित्र:Kepschem.png|right|thumb|400px|केपलर के अपवर्तक दूरदर्शी का योजनामूलक (स्कीमैटिक) चित्र]]
 
[[केपलर दूरदर्शी]] में प्रतिबिंब साधारणतया उल्टा बनता है और दूरदर्शी नलिका की लंबाई भी अधिक होती है, लेकिन इसका दृष्टिक्षेत्र (field of view) अधिक होता है। इसके अतिरिक्त इसमें क्रूसतंतु की व्यवस्था भी हो सकती है। इसलिए माप संबंधी कार्यों के लिए यह अधिक उपयुक्त है। आजकल आकाश के ज्योतिष्पिंडों और पृथ्वी पर स्थित दूरवर्ती वस्तुओं के देखने में अधिकतर दूरबीनों का ही उपयोग होता है। आकाश के ज्योतिष्पिंडों को देखने के लिए प्रयुक्त होनेवाले दूरदर्शी ज्योतिष-दूरदर्शी (astronomical telescope) कहलाते हैं। इनमें प्रतिबिंब उलटा बनता है। जहाँ तक ज्योतिष्पिंडों का प्रश्न है, उनके प्रतिबिंब का उल्टा या सीधा होना विशेष महत्व नहीं रखता, किंतु पार्थिव उपयोग में आनेवाले दूरदर्शी में प्रतिबिंब का सीधा होना आवश्यक है। पार्थिव उपयोग में आनेवाले केपलर दूरदर्शी को पार्थिव दूरदर्शी (terrestrial telescope) की संज्ञा दी गई है। पार्थिव दूरदर्शियों में सीधा प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए एक अतिरिक्त लेंस व्यवस्था का उपयोग होता है।
 
== अपवर्तन दूरदर्शी का अभिदृश्य लेंस ==
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== परावर्तक दूरदर्शी ==
[[चित्र:USA harlan j smith telescope TX.jpg|right|thumb|300px|परावर्ती दूरदर्शी (टेक्सास)]]
परावर्तन दूरदर्शियों का अभिदृश्य [[दर्पण]] (mirror) होता है, लेंस नहीं। [[ग्रेगरी]] (Gregory) ने दर्पणों और लेंसों द्वार निर्मित प्रतिबिंबों का विशेष अध्ययन किया। उसने यह बताया कि यदि दर्पणों और लेंसों के धरातल शंकव वक्रता (conical curvantre) युक्त हों तो उनमें विपथन का दोष नहीं होता। शांकब वक्रता के लेंस बनाने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, इसलिए ग्रेगरी ने यह सुझाव उपस्थित किया कि दूरदर्शी के अभिदृश्यक के लिए लेंस के स्थान पर शांकब वक्रता के दर्पण का उपयोग किया जाए। इस अभिदृश्यक दर्पण को परावर्तक (reflector) कहा जाता है। इसको पहले स्पेक्युलम (speculum) भी कहते था। न्यूटन ही प्रथम व्यक्ति था, जिसने परावर्तक दूरबीन का निर्माण किया था। इस यंत्र की सहायता से उसने [[बृहस्पति]] के उपग्रहों का और [[शुक्र]] के धन्वाकार का निरीक्षण किया था।