"भू-संतुलन": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2011}}
[[चित्र:Airy Isostasy.jpg|right|thumb|300px|वायु भूसंतुलन]]
'''भू-संतुलन''' या '''समस्थिति''' (lsostasy) का अर्थ है पृथ्वी की [[भूपर्पटी]] के सतही उच्चावच के रूप में स्थित पर्वतों, पठारों और समुद्रों के उनके भार के अनुसार भूपर्पटी के नीचे स्थित पिघली चट्टानों के ऊपर संतुलन बनाए रखने की अवस्था।<ref>[http://hindi.indiawaterportal.org/isostasy-hindi इण्डिया वाटर पोर्टल] पर </ref> <ref>[http://books.google.co.in/books?id=_ZwHgwyC7sEC&lpg=RA2-PA55&dq=%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF&pg=RA2-PA55#v=onepage&q=%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF&f=false भारत एवं विश्व का भूगोल] गूगल पुस्तक</ref>
 
पृथ्वी का [[स्थलमण्डल]] अपने नीचे स्थित [[एस्थेनोस्फियर]] पर एक प्रकार से तैरता हुआ स्थित है और संतुलन के लिए यह आवश्यक माना जाता है कि जहाँ धरातल पर ऊँचे पर्वत या पठार हैं वहाँ स्थलमण्डल की मोटाई अधिक है और इसका निचला हिस्सा पर्वतों की जड़ों की तरह एस्थेनोस्फियर में अधिक गहराई तक घुस हुआ है। पर्वतों के नीचे स्थलमण्डल के इस नीचे एस्थेनोस्फियर में प्रविष्ट भाग अथवा समुद्रों के नीचे कम गहराई तक घुसे भाग के संतुलन की व्यख्या करने वाले तीन मॉडल प्रस्तुत किये गए हैं।
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==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
==बाहरी कड़ियाँ==
* Lisitzin, E. (1974) "Sea level changes". Elsevier Oceanography Series, 8
*{{cite book |author=AB Watts |year=2001 |title=Isostasy and Flexure of the Lithosphere |publisher= Cambridge University Press |isbn=0-521-00600-7 |url=http://books.google.com/books?id=CNkiZU7enWUC&printsec=frontcover#v=onepage&q=&f=false}} A very complete overview with much of the historical development.
 
[[श्रेणी:भू-आकृति विज्ञान]]