"प्रशीतन": अवतरणों में अंतर

एक प्रक्रिया जिसमें नियंत्रित परिस्थितयों में ऊष्म के एक स्थान से दूसरे स्थान भेजा जाता है
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13:15, 16 नवम्बर 2008 का अवतरण

किसी स्थान, या पदार्थ, को उसके वातावरण के ताप के नीचे तक ठंढा करने की क्रिया को प्रशीतन (Refrigeration) कहते हैं। विगत शती में इन यांत्रिक विधियों का विस्तार बर्फ बनाने से लेकर खाद्य एवं पेय पदार्थो को शीतल रखने तथा अधिक समय तक इन्हें संरक्षित (preserve) रखने के हेतु किया गया और अब तो इनका प्रयोग बहुत बड़े व्यावसायिक पैमाने पर किया जाने लगा है।

इतिहास

भारत एवं मिस्र देश में इसकी जानकारी अनादि काल से थी। मिट्टी के पात्रों में पानी ठंडा करने की रीति, इसका व्यावहारिक उपयोग कही जा सकती है। कालांतर में चीन, यूनान और रोम के लोगों ने प्राकृतिक हिम के द्वारा अपने खाद्य एवं पेय पदार्थो को ठंढा रखने की विधि अपनाई। इसके बाद कृत्रिम बर्फ बनाने के हेतु प्रशीतन की यांत्रिक विधियों का आविष्कार किया गया।

प्रशीतन की विधियाँ

प्रशीतन व्यवस्था निम्नलिखित उपायों द्वारा प्राप्त की जा सकती है :

1. पानी या बर्फ में नमक के संयोग से,

2. कम दाब पर द्रव को उबाल कर,

3. बाह्य कार्य करनेवाली किसी गैस के रुद्धोष्म (adiabatic) प्रसार द्वारा,

4. जूल-टामसन प्रभाव के प्रयोग से

5. पेल्टियर प्रभाव से उत्पन्न शीतलीभव की क्रिया द्वारा,

6. अधिशोषण की ऊष्मा (heat of absorption) का उपयोग करके।

(7) रुद्धोष्म विचुंबकन (demagnetisation) की प्रक्रिया द्वारा।

इनका विस्तृत विवरण प्रशीतन की विधियाँ के अन्तर्गत पढिये।