"आनंदीबेन पटेल": अवतरणों में अंतर

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== राजनीतिक जीवन ==
सन् 1988 में आनंदीबेन भाजपा में शामिल हुई। पहली बार वे उस समय चर्चा में आई जब उन्होनेउन्होंने अकाल पंडितों के लिए न्याय मांगने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। वर्ष 1995 में शंकर सिंह वाघेला ने जब बगावत की थी, तो उस कठिन दौर में वे मोदी के साथ पार्टी के लिए काम किया। इसी समय मोदी के साथ उनकी नज़दीकियाँ बढ़ी। 1998 में कैबिनेट में आने के बाद से उन्होने शिक्षा और महिला एवं बाल कल्याण जैसे मंत्रालयों का जिम्मा सँभाला। उन्हे वर्ष 1987 में "वीरता पुरस्कार" से भी नवाजा जा चुका है।<ref>{{cite web|title=Profile: Anandiben Patel|trans_title=प्रोफाइल: आनन्दी पटेल |language=अंग्रेज़ी|author=आतिष पटेल|location=दिल्ली|date=21 मई 2014|accessdate=24 मई 2014|url=http://www.bbc.com/news/world-asia-india-27498087 }}</ref> उल्लेखनीय है कि, एक छात्रा को डूबने से बचाने के लिए वे खुद झील में कूद गई थीं। बतौर शहरी विकास और राजस्व मंत्री उन्होने ई-जमीन कार्यक्रम, जमीन के स्वामित्व डाटा और जमीन के रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत करके जमीन के सौदों में होने वाली धांधली की आशंका को कम कर दिया। उनकी इस योजना से गुजरात के 52 प्रतिशत किसानों के अंगूठे के निशानों और तस्वीरों का कंप्यूटरीकरण सफल हुआ।<ref name="naiduniya">{{cite news |title=वीरता पुरस्कार से नवाजी जा चुकीं हैं आनंदीबेन पटेल|url=http://naidunia.jagran.com/state/gujarat-gujarat-power-woman-anandiben-patel-94635 |date=20 मई 2014|agency=नई दुनिया|location=अहमदाबाद|accessdate=20 मई 2014}}</ref>
 
गुजरात राज्य की कई और नीतियां, जिनके लिए मोदी ने वाहवाही लूटी है, उनके पीछे आनंदीबेन ही हैं। फिर चाहे वह ई-ज़मीन कार्यक्रम हो, जमीन के स्वामित्व डाटा और जमीन के रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत करके जमीन के सौदों में होने वाली धांधली को रोकने की बात हो, या फिर गुजरात के 52 प्रतिशत किसानों के अंगूठे के निशानों और तस्वीरों का कंप्यूटरीकरण कर देने की बात हो।<ref name=bbc/>