"कन्हैया गीत": अवतरणों में अंतर
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|title2= गुरु वशिष्ठ बुलाय राम ने सिंहासन बैठाया, कई नाथ मेरे मन की लगन मिटा दे जीत लिए सब भूप यज्ञ मेरो अश्वमेघ यज्ञ करा दे
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|title3= विलोचन राजा को पेट तो बढ़े रात दिन दूजो...
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