"कन्हैया गीत": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: test edit
पंक्ति 12:
! क्रम संख्या !! गांव !!गीत !! टिप्पणी
|-
| 1 || चकेरी || ||
|-
| 2 || गांवड़ी मीणा ||गुरु वशिष्ठ बुलाय राम ने सिंहासन बैठाया, कई नाथ मेरे मन की लगन मिटा दे जीत लिए सब भूप यज्ञ मेरो अश्वमेघ यज्ञ करा दे || गुरु वशिष्ठ-राम संवाद
|-
| 3 || परीता || विलोचन राजा को पेट तो बढ़े रात दिन दूजो...||
|-
| 4 ||ऐंडा || रूप बदल कर राजा बणग्यो, बढ़ता खागो जाडी को, मन को कांटों कढ़ गयो, धोखेबाज कबाड़ी को ||शनिदेव का राजा चंद्रदेव से संवाद
पंक्ति 22:
| 5|| ऐंडा || चौपड़ पर, भायली मोरू तालिया ने नीबू, नारंगी का फूल झड़ग्या बगिया में || ऊंखा एवं अनिरुद्घ के बीच का संवाद
|-
| 6 || || ||
|-
| 7 || || ||
|-
| 8 || || ||
|-
| 9 || || ||
|-
| 10 || || ||
|-
|}
 
 
{{Track listing
|extra_column=गायक
|lyrics_credits=no
|all_lyrics=
 
|title1=
|extra1=
|length1=
 
|title2= गुरु वशिष्ठ बुलाय राम ने सिंहासन बैठाया, कई नाथ मेरे मन की लगन मिटा दे जीत लिए सब भूप यज्ञ मेरो अश्वमेघ यज्ञ करा दे
|extra2=गांवड़ी मीणा
|length2=3:45
 
|title3= विलोचन राजा को पेट तो बढ़े रात दिन दूजो...
|extra3=परीता
|length3=7:34
 
|title4= रूप बदल कर राजा बणग्यो, बढ़ता खागो जाडी को, मन को कांटों कढ़ गयो, धोखेबाज कबाड़ी को [ ]
|extra4=
|length4=6:43
 
|title5=चौपड़ पर, भायली मोरू तालिया ने नीबू, नारंगी का फूल झड़ग्या बगिया में []
|extra5=
|length5=ऐंडा
}}
 
==सामाजिक प्रतिक्रिया ==