"कन्हैया गीत": अवतरणों में अंतर
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! क्रम संख्या !! गांव !!गीत !! टिप्पणी
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| 1 || चकेरी || ||
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| 2 || गांवड़ी मीणा ||गुरु वशिष्ठ बुलाय राम ने सिंहासन बैठाया, कई नाथ मेरे मन की लगन मिटा दे जीत लिए सब भूप यज्ञ मेरो अश्वमेघ यज्ञ करा दे || गुरु वशिष्ठ-राम संवाद
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| 3 || परीता || विलोचन राजा को पेट तो बढ़े रात दिन दूजो...||
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| 4 ||ऐंडा || रूप बदल कर राजा बणग्यो, बढ़ता खागो जाडी को, मन को कांटों कढ़ गयो, धोखेबाज कबाड़ी को ||शनिदेव का राजा चंद्रदेव से संवाद
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| 5|| ऐंडा || चौपड़ पर, भायली मोरू तालिया ने नीबू, नारंगी का फूल झड़ग्या बगिया में || ऊंखा एवं अनिरुद्घ के बीच का संवाद
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==सामाजिक प्रतिक्रिया ==
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