"खेल सिद्धांत": अवतरणों में अंतर
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अर्थशास्त्र के विपरीत, [[जीवविज्ञान]] में खेलों के लिये लाभ की व्याख्या अक्सर [[योग्यता]] के संबंध में की जाती है। इसके अतिरिक्त तार्किकता के विचार से संबंधित [[संतुलनों]] पर कम और [[विकासवादी]] शक्तियों द्वारा बनाये रखे जा सकने वाले संतुलनों पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित किया जाता रहा है। जीवविज्ञान में ज्ञात सर्वश्रेष्ठ संतुलन को ''[[विकासवादी स्थिर रणनीति (Evolutionary Stable Strategy]]'' [अथवा ESS]) के रूप में जाना जाता है और इसे सबसे पहले {{harv|Smith|Price|1973}} में प्रस्तुत किया गया था। हालांकि इसकी प्रारंभिक प्रेरणा में [[नैश संतुलन]] की कोई भी मानसिक आवश्यकता शामिल नहीं थी, लेकिन प्रत्येक ESS एक नैश संतुलन होता है।
जीव विज्ञान में
इसके अतिरिक्त, जीव-विज्ञानियों ने [[विकासवादी गेम थ्योरी]] और ESS का उपयोग [[पशुओं के बीच संप्रेषण]] के आविर्भाव की व्याख्या करने के लिये किया है।{{harv|Harper|Maynard Smith|2003}} [[संकेत खेलों]] और [[अन्य संप्रेषण खेलों]] के विश्लेषण ने पशुओं के बीच संप्रेषण की उत्पत्ति की कुछ जानकारी प्रदान की है। उदाहरण के लिए, पशुओं की अनेक प्रजातियों, जिनमें शिकारी जानवरों की एक बड़ी संख्या किसी बड़े परभक्षी पर हमला करती है, में [[सामूहिक आक्रमण का व्यवहार]] सहज रूप से उत्पन्न संगठन का एक उदाहरण प्रतीत होता है।
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क्षेत्रीयता और लड़ाई के व्यवहार का विश्लेषण करने के लिये जीव-विज्ञानियों ने [[चूज़ों के खेल]] का प्रयोग किया है। {{Citation needed|date=May 2009}}
''खेलों की उत्पत्ति और सिद्धांत (Evolution and the theory of Games)'' की प्रस्तावना में मेनार्ड स्मिथ लिखते हैं, “[वि]रोधाभासी रूप से, यह पाया गया है कि गेम थ्योरी अर्थशास्त्रीय व्यवहार के क्षेत्र, जिसके लिये वह मूल रूप से बनाया गया था, की बजाय जीवविज्ञान पर ज़्यादा अच्छी तरह लागू होता
ऐसे ही एक तथ्य को जैविक परोपकारिता कहते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक जीव ऐसी पद्धति से कार्य करता हुआ दिखाई देता है, जो अन्य जीवों के लिये लाभदायक और स्वयं उसके लिये अहितकर होती है। यह परोपकारिता की पारंपरिक धारणा से भिन्न है, क्योंकि ऐसे कार्य सचेतन नहीं होते, बल्कि सकल योग्यता को बढ़ाने के लिये विकासवादी अनुकूलन के रूप में दिखाई देते हैं। इसके उदाहरण पिशाच चमगादड़ों, जो रात के शिकार से हासिल किये गये खून को उगलकर अपने समूह के उन सदस्यों को दे देते हैं, जो शिकार कर पाने में असफल रहे हों, से लेकर कर्मी मधुमक्खियों, जो आजीवन रानी मधुमक्खी की सेवा करती हैं और कभी मिलन नहीं करतीं, से लेकर वर्वेट बंदरों, जो समूह के सदस्यों को शिकारी के आगमन की चेतावनी देते हैं, भले ही इससे उनका स्वयं का जीवन ख़तरे में पड़ जाये, तक में पाये जा सकते हैं।<ref name="qudzyh">[http://www.seop.leeds.ac.uk/entries/altruism-biological/ जैव परोपकारिता (स्टैनफोर्ड इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ फिलॉस्फी)]</ref> इनमें से सभी कार्य एक समूह की सकल योग्यता को बढ़ाते हैं, लेकिन ऐसा करने के लिये एक जीव को अपनी जान गंवानी पड़ती है।
विकासवादी गेम थ्योरी इस परोपकारिता की व्याख्या [[संबंधियों के चयन]] के विचार के रूप में करता है। परोपकारी जीव उन प्राणियों के बीच भेद-भाव करते हैं, जिनकी वे सहायता करते हैं और वे अपने संबंधियों का पक्ष लेते हैं। हैमिल्टन का नियम इस चयन के पीछे विकासवादी तर्क की व्याख्या सूत्र c<b*r के द्वारा करता है, जहां परोपकारी को लगनेवाली लागेम थ्योरी (c) प्राप्तकर्ता को मिलनेवाले लाभ (b) व संबद्धता के गुणांक (r) के गुणनफल से कम होनी
=== कंप्यूटर विज्ञान और तर्क ===
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