"नाभिकीय अम्ल": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:RNA-comparedto-DNA thymineAndUracilCorrected.png|right|thumb|300px|'''आरएनए''' तथा '''डीएनए''' की तुलना]]
'''नाभिकीय अम्ल''' (Nucleic acid) बहुलक मैक्रो[[अणु]] (अर्थात् विशाल जैव-अणु) होता है, जो एकलकिक [[न्यूक्लियोटाइड्स]] की शृंखलाओशृंखलाओं से बनता है। [[जैवरासायनिकी]] के परिप्रेक्ष्य में, ये अणु आनुवांशिक सूचना पहुंचानेपहुँचाने का काम करते हैं, साथ ही ये कोशिकाओं का ढाँचा भी बनाते हैं। सामान्यतयासामान्यतः प्रयोग होने वाले नाभिकीय अम्ल हैं '''[[डी एन ए]]''' या डीऑक्सी राइबो नाभिकीय अम्ल एवं '''[[आर एन ए]]''' या राइबो नाभिकीय अम्ल। नाभिकीय अम्ल प्राणियों में सदा ही उपस्थित होता है, क्योंकि यह सभी कोशिकाओं और [[विषाणु]]ओं तक में होता है। नाभिकीय अम्ल की खोज [[फ्रेडरिक मिशर]] ने की थी।
 
कृत्रिम नाभिकीय अम्लों में आते हैं:
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नाभिकीय  अम्ल के प्रकार उनके न्यूक्लियोटाइड में शर्करा के ढांचे के आधार पर भिन्न होते हैं। जैसे:
डी.एन.ए. में दो डीऑक्सीराइबोज़ होते हैं, जबकि आर.एन.ए. में राइबोज़ होता है (जहां भिन्नता मात्र [[हाइड्रॉक्सिल समूह]] की उपस्थिति की है)। साथ ही दोनों नाभिकीय अम्ल प्रकारों में पाए जाने वाले नाइट्रोजिनस क्षार भिन्न हैं:- [[एडेनाइन]], [[साइटोसिन]] एवं [[गुवानाइन]] दोनों ही में मिलते हैं, जबकि [[थाइमिन]] केवल डिडी.एन.ए. में ही मलतामिलता है और आ.एन.ए. में [[यूरेसिल]] मिलता है। अन्य दुर्लभ नाभिकीय अम्ल क्षार भिभी हो सकते हैं, जैसे [[आइनोसिन]] विकसित टआंस्फर आर.एन.ए. में।
 
नाभिकीय अम्ल प्रायः या तो एकल-सूत्री या द्वि-सूत्री होते हैं; यद्यपि तीन या अधिक सूत्रों वाले ढाँचे भी बन सकते हैं। एक द्वि-सूत्री नाभिकीय अम्ल में दो एकल-सूत्री नाभिकीय अम्ल [[हाइड्रोजन बंध]] द्वारा जुड़े रहते हैं, किन्तु कोई एक सूत्र भी वापस मुड़ कर द्वि-सूत्र जैसा जुड़ सकता है, जैसा कि टी-आर.एन.ए. एवं आर-आरएनए में होता है। कोशीकाकोशिका के भीतर, डीएनए प्रायः द्विसूत्री होता है, यद्यपि कुछ विषाणुओं में एकल-सूत्री डी.एन.ए. भी होता है, जो उनका जीनोम होता है। रिट्रोवायरस का जीनोम एकल सूत्री आ.एन.ए. ही होता है।
 
नाभिकीय अम्ल में शर्करा और फॉस्फेट, एक-दूसरे से एकांतरित शृंखला में जुड़े रहते हैं, जो साझे [[ऑक्सीजन]] परमाणुओं द्वारा जुडएजुडे रहते हैं, जिनसे फॉस्फोडिस्टर बन्ध बना रहता है। पारंपरिक नोमेन्क्लेचर में नाभिकीय अम्ल में वे [[कार्बन]] परमाणु, जिनमें फॉस्फेट समूह जुड़ता है, वे शर्करा के तीसरे एवं पाँचवें कार्बन होते हैं। इससे नाभिकीय अम्ल को ध्रुवता मिलती है। ये क्षारक, एक ग्लाइकोसिडिक लिंकेज को पैन्टोज़ शर्करा वलय के पहले कार्बन तक जोड़ते हैं। क्षारक पायरिमिडाइन के एन-१ एवं प्यूराइन के एन-९ को राइबोज़ के प्रथम कार्बन से एन-बीटा ग्लाइकोसिल बन्ध द्वारा जोड़ते हैं।
 
== नाभिकीय अम्ल के प्रकार ==
=== राइबोनाभिकीय अम्ल ===
{{main|आर एन ए}}
राइबोनाभिकीय  अम्ल, या आर.एन.ए. एक नाभिकीय अम्ल का पॉलीमर होता है; जिसके मोनोमर [[न्यूक्लियोटाइड]] होते हैं। यह जीन द्वारा [[डी एन ए]] से [[प्रोटीन]] में, अनुवांशिक सूचना की प्रतिलिपि करने में महत्वपूर्ण भुमिकाभूमिका निभाता है। यह डी.एन.ए एवं प्रोटीन समूह (राइबोसोम) के बीच संदेशवाहक का कार्य करता है, राइबोसोम का जीवंत भाग बनता है और इसके साथ ही यह प्रोटीन संश्लेषण में प्रयोग हेतु अमीनो अम्ल के लिए, आवश्यक वाहक अणु का कार्य भी करता है।
 
=== निरजारराइबोनाभिकीय (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक) अम्ल ===
{{main|डी एन ए}}
निरजारराइबोनाभिकीय अम्ल वह नाभिकीय अम्ल होता है, जिसमें सभी प्राणियों के विकास एवं प्रकार्य के लिए अनुवांशिक सूचना सुरक्षित रहती है। इस अणु की प्रमुख भूमिका लंबे समय तक अनुवांशिक सूचना का भंडारण करनकरना है, जो कि नक्शों के ब्लूप्रिंट्स रखने के बराबर है; क्योंकि इसमें कोशिका के घटकों के निर्माण की सूचना लिखी रहती है। डी.एन.ए के वे भाग, जो यह सूचना भंडारण करते हैं; उन्हें जीन कहते हैं। डी.एन.ए शृंखलाओं का संरचनागत उद्देश्य होता है, जो अनुवांशिक सूचना को नियंत्रित करता है।
 
== नाभिकीय अम्ल के घटक ==
=== न्यूक्लियो क्षारक ===
{{main|न्यूक्लियोक्षारक}}
न्यूक्लियो क्षारक हैटरोसाइक्लिक ऐरोमैटिक कार्बनिक मिश्रण होते हैं, जिनमें [[नाइट्रोजन]] परमाणु होते हैं। ये [[आ एन ए]] एवं [[डी एन ए]] के वे भाग होते हैं, जो बेस-पेयरिंग में संलग्न होते हैं। [[साइटोसिन]], [[गुवानाइन]], [[ऐडिनाइन]] और [[थाइमिन]] डी एन ए में मिलते हैं, जबकि आ.एन.ए. में थाइमिन के स्थान पर [[यूरेसिल]] होता है। इन्हें लघु रूप में क्रमशः सी = C, जी = G, ए= A, टी = T, एवं यू = U, क्रमशः कहते हैं।
 
=== न्यूक्लियोसाइड ===