"शारदा देवी": अवतरणों में अंतर
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कलकत्ता आने के बाद उनके जीवन मेँ परिवर्तन आया और वे दीक्षा देकर शिष्य बनाने लगी।
प्रारंभिक वर्षोँ मेँ [[स्वामी योगानन्द]] ने उनकी सेवा का दायित्व लिये थे। बाद मेँ [[स्वामी सारदानन्द]] ने उनके रहने के लिए कलकत्ता मेँ उद्वोधन भवन का निर्माण करबाया था।
=== अन्तिम जीवन ===
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