"अंश (वित्त)": अवतरणों में अंतर
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== शेयर, अंश या हिस्सा ==
व्यक्ति की चलसंपत्ति दो प्रकार की होती है - भोगाधीन वस्तु (Chose in possession) और वादप्राप्य स्ववस्तु (Chose in action)। भोगाधीन वस्तु के माने हैं वह संपत्ति जो आपके वास्तविक व्यक्तिगत अधिकार में है लेकिन वादप्राप्य स्ववस्तु के माने वह संपत्ति है जो आपके तात्कालिक अधिकार में नहीं है। उसपर आपका अधिकार है जिसे वैधानिक कार्रवाई द्वारा क्रियान्वित किया जा सकता है। यह अधिकार
अंश का वास्तविक स्वरूप सरलता से स्पष्ट नहीं किया जा सकता, क्योंकि प्रमंडल उसका निर्माण करनेवाले अंशधारियों के समूह से सर्वथा भिन्न है। संस्थापित प्रमंडल (Incorporated Company) की अंशपूँजी (Capital stock) का होना सार्वत्रिक है, यद्यपि अनिवार्य नहीं। यह भी समान रूप से सार्वत्रिक है, अनिवार्य नहीं, कि पूँजी को अभिहितमूल्य (nominal value) के अंशों में बाँटा जाए। वह व्यक्ति जिसके पास इस प्रकार का अंश है, अंशधारी (Shareholder) कहलाता है। इसलिए प्रत्येक अंशधारी के पास प्रमंडल की पूँजी का एक भाग रहता है। लेकिन विधिक दृष्टि से अंशधारी उस उद्यम या कारखाने का आंशिक स्वामी नहीं है। उद्यम अंशधारियों की संपूर्ण पूँजी से कुछ भिन्न वस्तु हैं। प्रमंडल की समस्त परिसंपत्ति (Assets) उक्त सुसंगठित संस्थान में निहित है, उसे बनानेवाले व्यक्तियों में नहीं।
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