"भयानक रस": अवतरणों में अंतर

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‘सुनि कवित्त में व्यंगि भय जब ही परगट होय। तहीं भयानक रस बरनि कहै सबै कवि लोय’।
==सन्दर्भ==
 
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{{रस छन्द अलंकार}}
[[श्रेणी:रस]]
[[श्रेणी:काव्य शास्त्र]]