"मुक्तक": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
'''मुक्तक''' [[काव्य]] या [[कविता]] का वह प्रकार है जिसमें कविताचार कीपंक्तियाँ कथावस्तुहोती मुक्तहैं। रूपपहली सेदूसरी चलतीतथा हॅ।तीसरी जेसेपंक्ति दोहे,में कवित्ततुक याहोती अन्यहै। छन्दतीसरी पंक्ति कबीरमें तुक नहीं होती है। उदाहरण के दोहेलिए दुश्यंत कुमार का यह मुक्तक-
गुरु गोविन्द दोउ खदै काकू लागू पाय गुरु आपने जिन गुरु दियो बताये
 
संभल संभलकर बहुत पाँव घर रहा हूँ मैं
 
पहाड़ी ढाल से जैसे उतर रहा हूँ मैं
 
क़दम क़दम पर मुझे टोकता है दिल ऐसे
 
गुनाह कोई बड़ा जैसे कर रहा हूँ मैं।
[[श्रेणी: काव्य]]