"भयानक रस": अवतरणों में अंतर
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‘सुनि कवित्त में व्यंगि भय जब ही परगट होय। तहीं भयानक रस बरनि कहै सबै कवि लोय’।
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‘सुनि कवित्त में व्यंगि भय जब ही परगट होय। तहीं भयानक रस बरनि कहै सबै कवि लोय’।
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