"ईश्वर": अवतरणों में अंतर
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[[वेद]] के अनुसार व्यक्ति के भीतर पुरुष ईश्वर ही है। परमेश्वर एक ही है। वैदिक और पाश्चात्य मतों में परमेश्वर की अवधारणा में यह गहरा अन्तर है कि वेद के अनुसार ईश्वर भीतर और परे दोनों है जबकि पाश्चात्य धर्मों के अनुसार ईश्वर केवल परे है। ईश्वर परब्रह्म का सगुण रूप है।
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योग सूत्र में पातन्जलि लिखते है - "क्लेशकर्मविपाकाशयॅर्परामृष्टः पुरुषविशेष ईश्वरः"। हिन्दु धर्म में यह ईश्वर की एक मान्य परिभाषा है।
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