"समराङ्गणसूत्रधार": अवतरणों में अंतर
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==परिचय==
इस ग्रन्थ में ८३ अध्याय हैं जिनमें नगर-योजना, भवन शिल्प, मंदिर शिल्प, [[मूर्तिकला]] तथा [[मुद्रा।मुद्राओं]] सहित [[यंत्र।यंत्रों]] के बारे में (अध्याय ३१, जिसका नाम 'यन्त्रविधान' है) वर्णन है।
===विमानविद्या===
यंत्रविधान के निम्नलिखित श्लोक 'विमान' के सम्बन्ध में हैं- <ref>[https://in.groups.yahoo.com/neo/groups/SUMADHWASEVA/conversations/messages/32609 From the book War in Ancient India by V.R. Ramachandra Dikshitar (First Edition 1944)] </ref>
▲इस ग्रन्थ में ८३ अध्याय हैं जिनमें नगर-योजना, भवन शिल्प, मंदिर शिल्प, [[मूर्तिकला]] तथा [[मुद्रा।मुद्राओं]] सहित [[यंत्र।यंत्रों]] के बारे में (अध्याय ३१, जिसका नाम 'यन्त्रविधान' है) वर्णन है। यंत्रविधान के निम्नलिखित श्लोक
: लघुदारुमयं महाविहङ्गं दृढसुश्लिष्टतनुं विधाय तस्य
: उदरे रसयन्त्रमादधीत ज्वलनाधारमधोऽस्य चातिपूर्णम्॥ ९५
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: व्योम्नो झगित्याभरणत्वमेति सन्तप्तगर्जद्ररसरागशक्त्या॥ ९८
▲समरांगण सूत्रधार का ३१वाँ अध्याय यंत्रविज्ञान के क्षेत्र में एक सीमा बिन्दु है। इस अध्याय में अनेक यंत्रों का वर्णन है। लकड़ी के वायुयान, यांत्रिक दरबान तथा सिपाही, इनमें [[रोबोट]] की एक झलक देख सकते हैं।
===यांत्रिकी===
समरांगणसूत्रधार के ३१वें अध्याय में यन्त्रों की क्रियाओं का वर्णन निम्न प्रकार है-
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==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
==इन्हें भी देखें==
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*[http://bharatkalyan97.blogspot.in/2013/07/raja-bhojas-samarangana-sutradhara.html Pune’s octogenarian translates 1000-year-old book by Raja Bhoja]
*[http://archive.indianexpress.com/news/pune-s-octogenarian-translates-1000yearold-book-by-raja-bhoja/1146884/ Pune’s octogenarian translates 1000-year-old book by Raja Bhoja]
===समरांगसूत्रधार का पाठ===
*[https://drive.google.com/file/d/0B0m3vntFYeEGVTlkSmhzTkxTSEE/edit समरांगणसूत्रधार]
*[http://peterffreund.com/Vedic_Literature/Vedic%20Literature%20Unicode/Upaveda/Sthapatya%20Veda/samaranganasutradhara.rtf समराङ्गणसूत्रधार] (आरटीएफ)
[[श्रेणी:संस्कृत ग्रन्थ]]
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