"लहसुन": अवतरणों में अंतर
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==परिचय==
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[[आयुर्वेद]] और रसोई दोनों के दृष्टिकोण से लहसुन एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है। [[भारत]] का [[चीन]] के बाद विश्व में क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान है जो क्रमशः 1.66 लाख हेक्टेयर और 8.34 लाख टन है। लहसुन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्व पाये जाते है जिसमें [[प्रोटीन]] 6.3 प्रतिशत , [[वसा]] 0.1 प्रतिशत, [[कार्बोज]] 21 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 1 प्रतिशत, [[चूना]] 0.3 प्रतिशत [[लोहा]] 1.3 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होता है। इसके अतिरिक्त [[विटामिन]] ए, बी, सी एवं [[सल्फ्यूरिक एसिड]] विशेष मात्रा में पाई जाती है। इसमें पाये जाने वाले [[सल्फर]] के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्वों में एक [[ऐलीसिन]] भी है जिसे एक अच्छे बैक्टीरिया-रोधक, फफूंद-रोधक एवं एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है। अगर लहसुन को महीन काटकर बनाया जाये तो उसके खाने से अधिक लाभ मिलता है। यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। लहसुन, [[सेलेनियम]] का भी अच्छा स्त्रोत होता है। गर्भवती महिलाओं को लहसुन का सेवन नियमित तौर पर करना चाहिये।
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