"दक्षिणायन सूर्य": अवतरणों में अंतर

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'''दक्षिणायन सूर्य''' अथवा केवल '''दक्षिणायन''' सूर्य की स्थिति है जिसमें सूर्य कर्क संक्रांति के बाद से लेकर मकर संक्रांति तक होता है।<ref name="Lochtefeld2002">{{cite book|author=James G. Lochtefeld|title=The Illustrated Encyclopedia of Hinduism: A-M|url=http://books.google.com/books?id=5kl0DYIjUPgC&pg=PA351|year=2002|publisher=The Rosen Publishing Group|isbn=978-0-8239-3179-8|pages=351–}}</ref> इस दौरान सूर्य दक्षिण की ओर गमन करता है (अयन=गति), अर्थात कर्क संक्रांति के दिन सूर्य की किरणे कर्क रेखा पर सीधी पड़ने के बाद क्रमशः दक्षिण की ओर खिसकते हुए मकर संक्रांति के दिन मकर रेखा पर सीधी पड़ती हैं। सूर्य की सीधी किरणों के पड़ने के इस खिसकाव में छह महीने लगते हैं। सायन पद्धति में यह समय 21 जून से लेकर 22/23 दिसंबर का होता है जबकि निरयन पद्धति में यह 15/16 जुलाई से लेकर 14/15 जनवरी के बीच होता है।
 
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==सन्दर्भ==
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{{सूर्य की दशाएँ}}
[[श्रेणी:कैलंडर]]