"भारतीय गणित का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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इसे भी मुख्य दो काल खंड में विभाजित किया गया है।
:*(क) वैदिक काल (१००० इस्वी पूर्व तक)- शुन्य[[शून्य]] और [[दशमलव]] की खोज
:*(ख) उत्तर वैदिक काल (१००० से ५०० इस्वी पूर्व तक) इस युग में गणित का भारत में अधिक विकास हुआ। इसी युग में बोधायन [[शुल्व सूत्र]] की खोज हुई जिसे हम आज [[पाइथागोरस प्रमेय]] के नाम से जानते है।
 
*२. '''पूर्व मध्य काल''' – sine, cosine की खोज हुई।
 
*३. '''मध्य काल''' – ये भारतीय गणित का स्वर्ण काल है। [[अर्यभट्टआर्यभट्ट]], [[श्रीधराचार्य]], [[महावीराचार्य]] आदि श्रेष्ठ गणितज्ञ हुए।
 
*४. '''उत्तर-मध्य काल''' (१२०० इस्वी से १८०० इस्वी तक) - नीलकंठ ने १५०० में sin r का मान निकालने का सूत्र दिया जिसे हम [[ग्रेगरी श्रेणी]] के नाम से जानते है।