"ऑगस्टिन लुई कौशी": अवतरणों में अंतर

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== कार्य ==
[[File:Cauchy - Leçons sur le calcul différentiel, 1829 - 576181 F.jpg|thumb|''Leçons sur le calcul différentiel'', 1829]]
 
कौशी उर्वरबुद्धि एवं परम व्युत्पन्न गणितज्ञ थे। उन्होंने [[श्रेणी|श्रेणियों]], [[समिश्र संख्या|काल्पनिक राशियों]], [[संख्या सिद्धान्त|संख्याओं के सिद्धांत]], अवकल समीरकणों, प्रतिस्थापन के सिद्धांत, फलनों के सिद्धांत, सारणिकों, समिश्र-फलन, [[गणितीय खगोलशास्त्र]], [[प्रकाशिकी]] और [[प्रत्यास्थता]] इत्यादि की शुद्ध एवं अप्रयुक्त दोनों शाखाओं पर अन्वेषण किए। १८२१ ई. में अपने ‘कूर दानलीज द लेकौल रॉयाल पोलितेक्निक' (Coursa Analyse de 1 Eole Royal Polytechnique) को प्रकाशित कर इन्होंने विश्लेषण में अंकगणितीकरण युग का श्रीगणेश किया। सर्वप्रथम कोशी ने ही [[टेलर का प्रमेय|टेलर के प्रमेय]] का निर्दोष [[उपपत्ति|प्रमाण]] दिया और [[चलन कलन]] के मूल सिद्धांतों की अपने नवीन फलन के सिद्धांत एवं [[सीमा]] के नियम पर आधारित अतिशोधित व्याख्या प्रदान की।