"मन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
पंक्ति 45:
विवेकमार्ग अथवा ज्ञानमार्ग में मन का निरोध किया जाता है, इसकी पराकाष्ठा शून्य में होती है।
भक्तिमार्ग में मन को परिणत किया जाता है, इसकी पराकाष्ठा भगवान के दर्शन में होती है।
'''जीवात्मा और इन्द्रियों के मध्य ज्ञान मन कहा जाता है.'''
== यह भी देखें ==
|