"राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा": अवतरणों में अंतर

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[[राष्ट्रभाषा प्रचार समिति]] की स्थापना सन्‌ 1936 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने एक स्वयं संचालित [[राष्ट्रभाषा]] संस्था के रूप में की थी। वर्तमान में इस बहुद्देशीय संस्था में 22 प्रांतीय समितियाँ (क्षेत्रीय केंद्र) 987 शिक्षा केंद्र (अध्ययन केंद्र) और 7629 परीक्षा केंद्र है। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का मुख्‌यालय [[वर्धा]] में स्थित है, जिसका प्रमुख उद्देश्य “एक दिव्य हो भारत जननी” के ध्येय के साथ संपूर्ण देशभर में हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी में गुणवत्ता शिक्षा को प्रस्तावित कर समाज में आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक उत्थान करना है।
 
एक राष्ट्र और एक राष्ट्रभाषा का पवित्र संकल्प लेकर गाँधीजी ने इस समिति की प्राण प्रतिष्‍ठा की और उनकी परिकल्पनाओं को मूर्त रूप देने में [[डॉ राजेन्द्र प्रसाद]], [[पं. जवाहरलाल नेहरू]], नेताजी [[सुभाषचन्द्र बोस]], [[वल्‌लभवल्लभ भाई पटेल]], [[जमनालाल बजाज]], [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]], [[पुरुषोत्तम दास टंडन]], [[काकासाहब कालेलकर]], [[माखनलाल चतुर्वेदी]], [[आचार्य नरेन्द्र देव]] आदि महापुरुषों ने जो अथक परिश्रम किया, वह इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है।
 
उस समिति का कार्यक्षेत्र प्रमुख रूप से [[गुजरात]], [[मुम्बई,]] [[विदर्भ]], [[मराठवाडा]], [[मध्यप्रदेश]], [[छत्तीसगढ]], [[झारखंड]], [[राजस्थान]], [[दिल्‌लीदिल्ली]], [[असम]], [[अरूणाचल प्रदेश]], [[नागालैंडनागालैण्ड]], [[मेघालय]], मिजारम[[मिजोरम]], [[मणिपुर]], [[त्रिपुरा]], [[सिक्किम,]] [[बंगाल]], [[उत्कल]], [[जम्मु-जम्मू और कश्मीर,]] [[अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह|अन्दमान-निकोबार]], [[गोवा]], [[हरियाणा]] आदि प्रदेश। उसी तरह विदेश में जैसे दक्षिण अफ्रीका, पूर्व अफ्रीका, अमेरिका, सुरीनाम, अरब, सुदानसुडान, इटली, मॉरिशस, जपान, म्यॉमा (बर्मा), नीदरलैण्ड, फीजी द्वीप, युनाइटेड किंग्डम, जर्मनी, थाईलैण्ड, बेहरीन, मस्कत, जावा, श्रीलंका आदि भी है।
 
विश्वभर हिन्दी का प्रचार एवं प्रसार हो इस लक्ष्य के साथ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति एक स्वंय संचालित संस्था के रूप में प्रतिस्थापित हुई, जिसका नाम 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ज्ञान मंडल' है। इस मंडल द्वारा दूररवर्त शिक्षा के अन्तर्गत विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रम को प्रस्तावित करता है।