"गोल गुम्बद": अवतरणों में अंतर

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==वास्तु==
इसकी संरचना के मूल में {{convert|47.5|m}} की भुजाओं वाला एक घन है, जिसके उपरस्थ {{convert|44|m|abbr=on}} बाहरी व्यास वाला एक विशाल गुम्बद है। दो समान कोण प घूमते हुए चतुर्भुजों से बनने वाले एक-दूसरे को काटते हुए आठ मेहराबों से गुंथा हुआ गुम्बदीय त्रिभुज-कोण बनता है जो इस गुम्बद को उठाये हुए है। इस घन के चारों कोणों पर गुम्बदनुमा छतरी से ढंके हुए अष्टकोणीय सप्त-तलीय अट्टालिकाएं या मिनारें बनी हैं। इनके अन्दर सीढ़ियाँ भी हैं।<ref name=cambridgeI8/> इन प्रत्येक मीनारों के ऊपरी तल बड़े गुम्बद को घेरते हुए गलियारे में खुलता है। मकबरे के मुख्य हॉल के भीतर चारों ओर सीढ़ियों से घिरा हुआ एक चौकोर चबूतरा है। इस चबूतरे के मध्य एक कब्र का पत्थर है, जिसके नीचे इसकी असल कब्र बनी है। आदिल शाही वंश के मकबरों में ये इस प्रकार का एकमात्र उदाहरण है। उत्तरी ओर के मध्य में, एक वृहत अर्ध-अष्टकोणीय आकार बाहर को निकलता है।<ref name=cambridgeI8/> {{convert|1700|m2|abbr=on}},<ref name=asi>{{cite web|title=ग्प्ल गुम्बज़, बीजापुर|url=http://asi.nic.in/asi_monu_tktd_karnataka_golgumbaz.asp|work= भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग|publisher=भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग|accessdate=14 सितंभ्र 2011|author= भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग |year=2011}}</ref> क्षेत्रफ़ल वाला यह मकबरा विश्व का सबसे बड़ा एकल-कक्ष और बिना किसी मध्य आधार वाला निर्माण है।
 
मकबरे के गुम्बद के आन्तरिक परिधि पर एक गोलाकार गलियारा बना हुआ है, जिसे अंग्रेज़ों ने "व्हिस्परिंग गैलरी" अर्थात फ़ुस्फ़ुसाने वाला गलियारा नाम दिया है। इस गलियारे के निर्माण में प्रयुक्त ध्वनि-विज्ञान के वास्तु में सम्मिलन के कारण यहां धीमे से फ़ुस्फ़ुसाया हुआ एक शब्द भी इसके व्यास के ठीक दूसरी ओर एकदम स्पष्ट सुनाई देता है। <ref name=asi/>
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}