"आर के लक्ष्मण": अवतरणों में अंतर

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'''रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण''' (जन्म: २३ अक्टूबर १९२१, [[मैसूर]]), संक्षेप में '''आर. के. लक्ष्मण''', भारत के एक प्रमुख [[व्यंग-चित्रकार]] हैं। आम आदमीपिछले कीअर्द्ध पीड़ाशती कोसे अपनीआम कूँचीआदमी सेकी गढ़कर,पीड़ा अपनेकोअपने चित्रोंकार्टून सेके तोजरिए वेपेश पिछलेकिए अर्द्धजाने शतीके सेकारण आम लोगों कोके बतातेबीच जाने रहेजाते हैं;हैं। [[समाज]] की विकृतियों, राजनीतिक विदूषकों और उनकी विचारधारा के विषमताओं पर भी वे तीख़े ब्रशप्रहार चलातेकरते रहे हैं। लक्ष्मण सबसे ज़यादा अपने कॉमिक स्ट्रिप '''"द कॉमन मैन"''' जो उन्होंने
'''द टाईम्स ऑफ़ इंडिया'''<ref>https://en.wikipedia.org/wiki/The_Times_of_India</ref> में लिखा था, के लिए प्रसिद्ध है।
 
== जन्म और बाल्यावस्था:==
 
आर के लक्ष्मण का जन्म '''मैसूर''' में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल के संचालक थे और लक्ष्मण उनके छः पुत्रो में सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई '''आर. के. नारायण<ref>https://en.wikipedia.org/wiki/R._K._Narayan</ref>''' एक प्रसिद्ध उपन्यासकार है और केरल के एम् जे विश्वविद्यालय के वाइसउप चांसलरकुलपति हैं। है।
 
बचपन से ही लक्ष्मण को '''चित्रकला''' में बहुत रूचि थी। वे फर्श, दरवाज़ा, दीवार, आदि में चित्र बनाते थे। एक बार उन्हें अपने अध्यापक से '''पीपल के पत्ते''' के चित्र बनाने के लिए शभाशीउन्हें अपने अध्यापक से शबाशी भी मिलामिली था,थी। तबसेइसके बाद उन्होंने एक चित्रकार बनना चाहा।सपना मन में सोंजोया। वे ब्रिटन के मशहूर कार्टूनिस्ट '''सर डेविड लौ'''<ref>https://en.wikipedia.org/wiki/David_Low_(cartoonist)</ref> से बहुत प्रभावित हुए थे। लक्ष्मण अपने स्थानीय क्रिकेट टीम "रफ एंड टफ एंड जॉली" के कप्तान थे और उनके हरकतों से प्रेरित होकर, उनके बड़े भाई ने ''"डोडो द'' ''मणि'' ''मेकर"'' और ''"द रीगल क्रिकेट क्लब"'' जैसेजैसी कहानियों को लिखा।
 
उनका सुखद बचपन तब हिल गया था जब उनके पिता पक्षाघात के शिखारशिकार बनेहो गए। और उसके एक ही साल बाद उनका देहांत हो गया। तब लक्ष्मण ने अपनी स्कूली शिक्षा को जारी रखा, पर घर के बाकीअन्य बड़ोबड़ों की ज़िम्मेदारी बड़बढ़ गयी।
 
हाई स्कूल के बाद, लक्ष्मण ने आजीवन आर्ट, ड्राइंग और पेंटिंग के बारे में उनकी आजीवन हितों पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद करमें मुंबई के जेजे स्कूल के लिए आवेदन किया, लेकिन कॉलेज के डीन ने उनको लिखा की उनके चित्रों में वह बात नहीं थाहै जिससे वहकि उन्हें अपने कॉलेज में दाखिला देदिया जा सके औरडीन ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया। बाद में उन्होने '''मैसूर विश्वविद्यालय'''<ref>https://en.wikipedia.org/wiki/University_of_Mysore</ref> से '''बी ए''' उतीर्ण किया। इसी दौरान उन्होंने अपने स्वतंत्र कलात्मक गतिविधियों को भी जारी रखा और '''स्वराज्य''' पत्रिका एवं एक '''एनिमेटेड''' '''चित्र''' के लिए अपने कार्टूनोकार्टूनों का योगदान दिया।करते रहे।
 
== व्यवसाय:==
 
लक्ष्मण पहले-पहलेपहल ''स्वराज्य'' और ''ब्लिट्ज'' जैसे पत्रिकाओपत्रिकाओं के लिए काम करते थे। जब वे मैसूर के '''महाराजा कॉलेज''' में पढ़ रहे थे, तब वे अपने बड़े भाई आर.के. नारायण के कहानियों का वर्णनचित्रण ''"द हिन्दू"'' पत्रिका में करते थे और स्थानीय पत्रिका ''"स्वतन्त्रता"'' के लिए राजनेतिकराजनैतिक कार्टूनोकार्टूनों को भी छुड़ायाबनाया करते थे। लक्ष्मण कन्नड़ केभाषा की हास्य पत्रिकपत्रिका '''"कोरावंजी"''' के लिए भी कार्टूनोकार्टून कोतैयार छुड़ायाकिया करते थे। संयोग से, कोरावंजी को अलोपथ '''डॉ॰ एम्. शिवराम''' ने सन्नसन् १९४२ में स्थापित किया था, जो स्वयं, हास्य को प्रोत्साहित किया करते थे। उन्होंने तो इस मासिक पत्रिका को हास्य और व्यंग्य कार्टूनोकार्टूनों के लिए ही समर्पित किया था। डॉ॰ शिवराम स्वयं कन्नड़ के एक पख्यातप्रख्यात टीटोलीयव्यंग्यकार थे औरथे। उन्होंने लक्ष्मण को बहुत प्रोत्साहित किया। लक्ष्मण मद्रास के जेमिनी स्टूडियोज में गर्मियों के छुट्टी में काम किया करते थे। उनकी पहली पूर्वकालिकपूर्णकालिक नौकरी एक राजनीतिक कार्टूनिस्ट के रूप में ''"द फ्री प्रेस जॉर्नल", मुम्बई'' में था।थी। '''श्री बाल ठाकरे'''<ref>https://en.wikipedia.org/wiki/Bal_Thackeray</ref> उनके सहयोगी थे। बाद में लक्ष्मण को '''"द टाइम्स ऑफ़ इंडिया"''' पत्रिका में नौकरी मिली और उन्होंने वहाँ ''पचास वर्षों'' से भी अधिक काम किया।
 
लक्ष्मण ने १९५४ में एशियन पैंट्स ग्रुप के लिए एक लोकप्रिय शुभकरशुभंकर '''"गट्टू"''' को बनाया।तैयार किया। उन्होंने कुछ उपन्यास भी लिखे है। उनके कार्टूनों को ''"मिस्टर एंड मिसेस ५५"'' नामक हिंदी चित्रफिल्म और ''"कामराज"'' नामक तमिल चित्र में दिखाए गए है। उनकेउनकी रचनाओकृतियों में वहवे रेखाचित्र भी शामिल हैहैं, जो ''"मालगुडी डेज"'', जोनामक श्री आर. के. नारायण द्वारा लिखित उपन्यास काके टेलीविज़न अनुकूलनके रूपांतरण के लिए तैयार किये गए थे।
 
'''सिम्बायोसिस अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में आर. के. लक्ष्मण के नाम पर एक कुर्सी भी है।'''
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== निजी ज़िन्दगी:==
 
आर. के. लक्ष्मण का पहला विवाह भरतनाट्यम नर्तकी और सिनेमा की अभिनेत्री ''कमला लक्ष्मण'' से हुआ था (विवाह से पहले उन्हें बेबी कमला और कुमारी कमला के नमोनामों से जाना जाता था)। उनसे तलाक के बाद, आर. के. लक्ष्मण ने फिर विवाह किया और उनकेउनकी दूसरे पत्नी (जो एक लेखिका है) का नाम भी ''कमला'' था। फिल्मफेयर, एक सिनेमा पत्रिका के कार्टून सीरीज "''द स्टार ऐ हाव नेवर मेट"'' में उन्होंने कमला लक्ष्मण कीका एक कार्टून बनाकर उसको यह शीर्षक दिया था ''"द स्टार ओनली ऐ हाव मेट"''।
 
सितम्बर २००३ में, लक्ष्मण ने एक स्ट्रोक के प्रभाव के कारण अपनीउनके बाईशरीर ओरका सेबायां रुकहिस्सा छोड़पक्षाघात दिया।से वेग्रस्त इसहो आघातगया सेथा। कुछउससे वे एक दूरहद तक उबर पायेपाए है।थे। '''२०१२ अक्टूबर में,पुणे में लक्ष्मण ने अपनीअपने ९१वनिवास जन्मदिन को पुणेस्थान में मनाया।'''एक अपनेघरेलू निवासकार्यक्रम मेमें एकअपना निजि९१वां सभाजन्मदिन के दौरान, लक्ष्मणमनाया।''' नेउन्होंने केक को काटा और उनके एक आराधकप्रशंसक राजवर्धन पाटिल ने उन्हेउन्हें ''"द ब्रेनी क्रो"'' नामक एक व्रित्छित्र कोवृतचित्र प्रस्तुत किया, जोयह वितचित्र इनकीइनका सबसे पसन्दीदा पक्षी के जीवन और उनके अस्तित्व के बारे मेमें था। विगत दिनों में शिव सेना प्रमुख श्री बाल ठाकरे, जो अतीत मेएक कार्टूनिस्ट के रूप मेमें लक्ष्मण के सहयोगी थे,थे। नेबाला उन्हेसाहेब ठाकरे भी उन्हें जन्मदिन की शुभकामनायेशुभकामनाएं भेजे।भेजा था। इस दिन मे वैज्ञानिक '''श्री जयन्त नार्लिकर'''<ref>https://en.wikipedia.org/wiki/Jayant_Narlikar</ref>और सिम्बायोसिस विश्वविध्यालय के चान्सलर श्री एस. बी. मजुम्दार ने भी उन्हे शुभकामनायेंशुभकामनाएं भेजी भेजे।
 
== सम्मान एवं पुरस्कार:==
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== सन्दर्भ:==
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{{रेमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता भारतीय}}
{{१९७१ पद्म भूषण}}